वरुण सिंह

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वरुण सिंह (अंग्रेज़ी: Group Captain Varun Singh, जन्म- 1982; मृत्यु- 15 दिसम्बर, 2021) भारतीय वायु सेना में चालक थे। वह शौर्य चक्र से सम्मानित थे। तमिलनाडु की कुन्नूर पहाड़ियों में हेलिकॉप्टर हादसे में वे इकलौते बचे थे। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ कुछ दिनों बाद वह भी जिंदगी की जंग हार गये। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत व 11 अन्य अफसरों की भी इस हादसे में मौत हुई थी।

परिचय

कैप्टन वरुण सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील के कन्हौली गांव के रहने वाले थे। वह कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व विधायक रहे अखिलेश प्रताप के भतीते थे। वरुण सिंह, उनके पिता और भाई सशस्त्र बलों की तीन सेवाओं में रहे हैं। जहां कैप्टन वरुण सिंह वायु सेना में कार्यरत थे तो उनके पिता कर्नल (सेवानिवृत्त) के.पी. सिंह, आर्मी एयर डिफेंस की रेजिमेंट में सेना के जवान थे। कर्नल के.पी. सिंह के बेटे और ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के छोटे भाई, लेफ्टिनेंट कमांडर तनुज सिंह भारतीय नौसेना में एक अधिकारी हैं।[1]

शौर्य चक्र

पिछले साल (2020) एक उड़ान के दौरान बड़े टेक्निकल फॉल्ट की चपेट में आने के बाद अपने विमान को हैंडल करने के अदम्य साहस के लिए उन्हें 15 अगस्त, 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। उन्होंने अपने तेजस फाइटर को मिड-एयर इमरजेंसी के बावजूद 10 हजार फीट की ऊंचाई से सुरक्षित उतारा था।

ग्रुप कैप्टन सिंह के पुरस्कार के उद्धरण में कहा गया, "अत्यधिक जानलेवा स्थिति में भारी शारीरिक और मानसिक दबाव में होने के बावजूद उन्होंने मानसिक संतुलन बनाए रखा और असाधारण उड़ान कौशल का प्रदर्शन करते हुए विमान को बचा लिया।" अधिकारियों ने बताया था कि उनका विमान पूरी तरह नियंत्रण खो बैठा था और ऐसी परिस्थिति में पायलट को विमान छोड़ देने की पूरी छूट होती है, लेकिन उन्होंने स्थिति की गंभीरता का आकलन किया और विमान को फिर से सुरक्षित उड़ाने का फैसला किया।

प्रेरणादायक सीख

"औसत दर्जे का होना भी ठीक होता है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी।" यह प्रेरणादायक सीख भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने दी थी। हेलिकॉप्टर हादसे में घायल भारतीय वायुसेना के इस जाबांज ऑफिसर की सांसें आखिरकार थम गई थीं। वह करीब एक सप्ताह से जिंदगी की जंग लड़ रहे थे। लेकिन जाते-जाते भी वह ऐसी सीख दे गए, जो किसी भी औसत दर्जे (साधारण) के छात्र को असाधारण बना सकती है।

वरुण सिंह ने शौर्य चक्र से सम्मानित होने के कुछ सप्ताह बाद 18 सितंबर, 2021 को अपने स्कूल चंडीमंदिर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखा था। करीब तीन महीने पहले लिखे गये पत्र में उन्होंने छात्रों से कहा था- "औसत दर्जे का होना ठीक बात है। स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और न ही सभी 90 फीसदी अंक ला पाते हैं। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे का होने के लिए ही बने हैं। आप स्कूल में साधारण के हो सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी।"[2]

मृत्यु

15 दिसम्बर, 2021 को वरुण सिंह का बेंगलुरु के एक अस्पताल में निधन हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देवरिया के रहने वाले थे कैप्टन वरुण सिंह (हिंदी) abplive.com। अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2021।
  2. कहते थे- 12वीं के अंक नहीं तय करेंगे आपकी तकदीर (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2021।

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