आकर्ष

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'आकर्षा: कुन्तलाश्चैव मालवाश्चांध्रकास्तथा'[1]

प्रसंग से जान पड़ता है कि आकर्ष महाभारत काल में दक्षिणापथ का एक देश था।

शब्द संदर्भ
हिन्दी अपनी ओर खींचने की क्रिया या भाव, चुम्बक, पाँसा, पाँसे से खेला जाने वाला जुआ, (धनुष को) तानना, वशीकरण, धनुष चलाने का अभ्यास, खिंचाव।
-व्याकरण    धातु, पुल्लिंग।
-उदाहरण   आकर्ष पासों से खेलना व समय बिताने के लिए खेलने की एक कला को कहते हैं।
-विशेष    जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है।
-विलोम   
-पर्यायवाची    मुग्ध, मोहग्रस्त, मोहित, विमुग्ध, अयस्कांतता, आकर्षण, खिंचाव
संस्कृत आकर्ष [आ+कृष्+घञ्] खिंचाव या (अपनी ओर) खींचना, खींच कर दूर ले जाना, पीछे हटाना, (धनुष) तानना, प्रलोभन, सम्मोहन, पासे से खेलना, पासा या चौसर, पासों से खेलने का फलक, बिसात, ज्ञानेन्द्रिय, कसौटी
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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