दीर्घ विष्णु मन्दिर मथुरा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:37, 31 May 2010 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (1 अवतरण)
Jump to navigation Jump to search

यह मंदिर खारी कुंआ, घीया मण्डी, मथुरा में स्थित है।

इतिहास

वराह पुराण, नारद पुराण, गर्ग संहिताश्रीमद् भागवत में इस मन्दिर के विष्णु घाट के किनारे पर होने की पुष्टि हुई है । कहा जाता है कि मूल मंदिर का अस्तित्व अब नहीं है, परंतु उपस्थित मंदिर बनारस के राजा पतनीमल द्वारा निर्मित है। इसका निर्माण भगवान कृष्ण के छर्भुजा स्वरूप को स्मरण करने व यमुना को तीर्थराज प्रयाग से बचाने हेतु किया गया था । इस मन्दिर का मूल नाम बालकृष्ण के विराट रूप को दर्शाता है जो उन्होंने कंस से युद्ध करने के लिए धरा था ।

वास्तु

इस मन्दिर की छत गुम्बदनुमा, आधार आयताकार व ऊँचा कुरसी आसार है । पूर्वमुखी द्वार में प्रवेश करने पर खुला हुआ आंगन दिखाई देता है । पश्चिम में जगमोहन (30’ X 30’) के साथ आंगन निर्मित है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। जगमोहन के ऊपर निर्मित गुम्बद पर कमल की आकृति सुगठित है । मन्दिर को क्रमबद्ध सोलह पत्तीदार दरवज़ो, अलंकृत आलों, जटिल पत्थर की जालियों और छज्जों द्वारा सुसज्जित किया गया है ।

वीथिका

अन्य लिंक

Template:मथुरा के स्थान और मन्दिर

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः