उदयपुर

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[[चित्र:Udaipur-Panoramic-View.jpg|उदयपुर नगर का पिछोला झील से विहंगम दृश्य
Panoramic View of Udaipur Across The Pichola Lake|thumb]]

पूर्व का वेनिस और भारत का दूसरा काश्मीर माना जाने वाला उदयपुर ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। उदयपुर अपनी नैसर्गिंक सौन्दर्य सुषमा से भरपूर झीलों की यह नगरी सहज ही पर्यटकों को अपनी और आकर्षित कर लेती है। यहाँ की ख़ूबसूरत वादियाँ, पर्वतों पर बिखरी हरियाली, झीलों का नजारा और बलखाती सड़के बरबस ही सैलानियों को अपनी ओर खींच लेती हैं।

स्थापना

उदयपुर शहर, दक्षिणी राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में है। यह अरावली पर्वतश्रेणी में स्थित है। महाराणा उदयसिंह ने सन् 1559 ई॰ में उदयपुर नगर की स्थापना की। लगातार मुग़लों के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर शहर राजस्थान प्रान्त का एक नगर है। यहाँ का क़िला अन्य इतिहास को समेटे हुये है। इसके संस्थापक बप्पा रावल थे, जो कि सिसोदिया राजवंश के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने उदयपुर (मेवाड़) रियासत की स्थापना की थी।

इतिहास

उदयपुर मेवाड़ के सूर्यवंशी नरेश महाराणा उदयसिंह (महाराणा प्रताप के पिता) द्वारा 16वीं शती में बसाया गया था। मेवाड़ की प्राचीन राजधानी चित्तौड़गढ़ में थी। मेवाड़ के नरेशों ने मुग़लों का आधिपत्य कभी स्वीकार नहीं किया था। महाराणा राजसिंह जो औरंगज़ेब से निरन्तर युद्ध करते रहे थे, महाराणा प्रताप के पश्चात मेवाड़ के राणाओं में सर्वप्रमुख माने जाते हैं। उदयपुर के पहले ही चित्तौड़ का नाम भारतीय शौर्य के इतिहास में अमर हो चुका था। उदयपुर में पिछौला झील में बने राजप्रासाद तथा सहेलियों का बाग़ नामक स्थान उल्लेखनीय है।

उदयपुर (सूर्योदय का शहर) को 1568 में महाराणा उदयसिंह द्वारा चित्तौड़गढ़ विजय के बाद उदयपुर रियासत की राजधानी बनाया गया था । प्राचीर से घिरा हुआ उदयपुर शहर एक पर्वतश्रेणी पर स्थित है, जिसके शीर्ष पर महाराणा जी का महल है, जो सन् 1570 ई॰ में बनना आरंभ हुआ था। उदयपुर के पश्चिम में पिछोला झील है, जिस पर दो छोटे द्वीप और संगमरमर से बने महल हैं, इनमें से एक में मुग़ल शहंशाह शाहजहाँ (शासनकाल 1628-58 ई॰) ने तख़्त पर बैठने से पहले अपने पिता जहाँगीर से विद्रोह करके शरण ली थी।

सन् 1572 ई॰ में महाराणा उदयसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र प्रताप का राज्याभिषक हुआ था। उन दिनों एक मात्र यही ऐसे शासक थे जिन्होंने मुग़लों की अधीनता नहीं स्वीकारी थी। महाराणा प्रताप एवं मुग़ल सम्राट अकबर के बीच हुआ हल्‍दीघाटी का घमासान युद्ध मातृभूमि की रक्षा के लिए इतिहास प्रसिद्ध है। यह युद्ध किसी धर्म, जाति अथवा साम्राज्य विस्तार की भावना से नहीं, बल्कि स्वाभिमान एवं मातृभूमि के गौरव की रक्षा के लिए ही हुआ।

मोर्य वंश के राजा मानसिंह ने उदयपुर के महाराजाओं के पूर्वज बप्पा रावल को जो उनका भानजा था, यह क़िला सौंप दिया। यहीं बप्पा रावल ने मेवाड़ के नरेशों की राजधानी बनाई, जो 16वीं शती में उदयपुर के बसने तक इसी रूप में रही। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने उदयपुर (मेवाड़) रियासत की स्थापना की थी। बाद में इस वंश ने मुस्लिम आक्रमणों का लंबे समय तक प्रतिरोध किया। 18वीं शताब्दी में इस राज्य को आतंरिक फूट व मराठों के आक्रमणों का सामना करना पड़ा और 1818 ई॰ में यह ब्रिटिश प्रभुता के अधीन हो गया था। 1948 ई॰ में राजस्थान राज्य में इसका विलीन हो गया।

कृषि और खनिज

उदयपुर एक कृषि वितरण केंद्र है। यहाँ के कारखानों में रसायन, एस्बेस्टॅस और चिकनी मिट्टी का उत्पादन होता है।

उद्योग और व्यापार

उदयपुर में कपड़े, कसीदाकारी की हुई वस्तुएँ, हाथीदाँत और लाख के हस्तशिल्प का भी यहाँ निर्माण होता है।

शिक्षण संस्थान

उदयपुर में मोहललाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (1962 ई॰ में स्थापित) है।

जनसंख्या

उदयपुर की जनसंख्या (2001की गणना के अनुसार ) 3,89,317 है, उदयपुर ज़िले की कुल जनसंख्या 26,32,210 है।

उदयपुर / झीलों का शहर

उदयपुर को झीलों का शहर भी कहते हैं। उदयपुर, उत्तरी भारत का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल माना जाता है। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्‍य कहीं नहीं देखने को मिलता है। यह शहर अरावली पहाडी के पास राजस्थान में स्थित है। मेवाड़ उदयपुर का ही पुराना नाम है । इस शहर ने बहुत कम समय में देश को कई देशभक्‍त दिए हैं। यहाँ का मेवाड़ राजवंश अपने को सूर्य से जोड़ता है। यहाँ का इतिहास निरंतर संघर्ष का इतिहास रहा है। यह संघर्ष स्‍वतंत्रता, स्‍वाभिमान तथा धर्म के लिए हुआ। संघर्ष कभी राजपूतों के बीच तो कभी मुग़ल तथा अन्‍य शासकों के साथ हुआ। यहाँ जैसी देशभक्‍ित, उदार व्‍यवहार तथा स्‍वतंत्रता के लिए उत्‍कृष्‍ट इच्‍छा किसी दूसरे जगह देखने को नहीं मिलती है।

पर्यटन स्थल

यहाँ के प्रमुख दर्शनीय चीजें यहाँ के शासकों द्वारा बनवाई गई महलें, झीलें, बगीचें तथा स्‍मारक हैं। ये सभी चीजें हमें सिसोदिया राजपूत शासकों के सदगुण, विजय तथा स्‍वतंत्रता की याद दिलाते हैं। इनका निर्माण उस समय हुआ जब मेवाड़ ने पहली बार मुग़लों की अधीनता स्‍वीक‍ार की थी तथा बाद में अंग्रेज़ों की। आपको उदयपुर घूमने के लिए कम-से-कम तीन दिन का समय देना चाहिए। इसके आसपास के स्‍थानों को घूमने के लिए दो और दिन देना चाहिए।

अन्‍य पर्यटन स्‍थल

दर्शनीय स्थल

बाहरी कड़ियाँ

अधिकारिक वेबसाइट

udaipur.org.

सम्बंधित लिंक

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