जय- जय भैरवि असुर भयाउनि -विद्यापति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:54, 1 February 2013 by आरिफ़ बेग (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
जय- जय भैरवि असुर भयाउनि -विद्यापति
कवि विद्यापति
जन्म सन् 1350 से 1374 के मध्य
जन्म स्थान बिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु सन् 1440 से 1448 के मध्य
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ कीर्तिलता, मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि
भाषा संस्कृत, अवहट्ट और मैथिली
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
विद्यापति की रचनाएँ

जय-जय भै‍रवि असुर भयाउनि।
पशुपति भामिनी माया।
सहज सुमति कर दियउ गोसाउनि।
अनुगति गति तुअ पाया।
वासर रैनि सबासन शोभित।
चरण चन्‍द्रमणि चूड़ा।
कतओक दैत्‍य मारि मुख मेलल।
कतओ उगिलि कएल कूड़ा।
सामर बरन नयन अनुरंजित।
जलद जोग फुलकोका।
कट-कट विकट ओठ पुट पांडरि।
लिधुर फेन उठ फोंका।
घन-घन-घनय घुंघरू कत बाजय।
हन-हन कर तुअ काता।
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक।
पुत्र बिसरू जनि माता।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः