गौरा तोर अंगना ! बर अजगुत देखल तोर अंगना, एक दिस बाघ सिंह करे हुलना, दोसर बरद छैन्ह सेहो बौना, हे गौरा तोर अंगना ! पैंच उधार माँगे गेलौं अंगना, सम्पति मध्य देखल भांग घोटना. हे गौरा तोर अंगना ! खेती न पथारि शिव गुजर कोना , मंगनी के आस छैन्ह बरसों दिना, हे गौरा तोर अंगना ! कार्तिक गणपति दुई चेंगना, एक चढथि मोर एक मुसना, हे गौर तोर ..... भनहि विद्यापति सुनु उगना, दरिद्र हरण करू धइल सरना !