कि आरे, नव यौवन अभिरामा ! जत दख़ल तत कहहि न पारिअ छलो, अनुपम एक ठामा ! हरिन इन्दु अरविन्द करनी हेम पिक बुझल अनुमानी ! नयन बयन परिमल गति तनुरुची ओ गति सुललित बानी ! कुचजुग उपर चिकुर फूजी पसरल ना अरुझाएल हारा ! जनि रे सुमेरु ऊपर मिली उगल चाँद विहीन सबे तारा ! लोल कपोल लुलित मणि - मुंडल अधर बिम्ब अध् जाई ! भजहु भमर नासापुट सुन्दर से देखि कीर लजाई ! भनहिं विद्यापति से वर नागर आन न पाबए कोई ! कंस दलन नारायण सुन्दर तसु रंगीनि पए होई !