संविधान संशोधन- 84वाँ

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संविधान संशोधन- 84वाँ
विवरण 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है।
संविधान लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950
84वाँ संशोधन 2001
संबंधित लेख संविधान सभा
अन्य जानकारी 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है।

भारत का संविधान (84वाँ संशोधन) अधिनियम, 2001

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • इस क़ानून द्वारा संविधान के अनुच्छेद 82 और 170(3) की शर्तों में संशोधन किया गया है ताकि वर्ष 1991 की जनगणना के दौरान सुनिश्चित की गयी आबादी के आधार पर प्रत्येक राज्य के लिए आबंटित लोकसभा सीटों और राज़्यों की विधानसभा सीटों की संख्या में कोई परिवर्तन किए बगैर राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों को परिवर्तित तथा पुनर्गठित किया जा सके।
  • इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल हैं।
  • ऐसा विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में आबादी\मतदाताओं की संख्या में अनियमित वृद्धि के कारण पैदा हुए असंतुलन के दूर करने के लिए किया गया है।
  • इससे वर्ष 1991 की जनगणना के दौरान सुनिश्चित की गयी आबादी के आधार पर राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा के लिए आरक्षित, अनुसूचित और जनजाति की सीटों की संख्या भी फिर से निर्धारित की जा सकेगी।


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