कृति, कृत्ति और कृती

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'कृति', कृत्ति एवं 'कृती' दोनों का अर्थ समान समझ लिया जाता है, पर ऐसा है नहीं। किसी भी तरह की रचना को कहते हैं 'कृति', जबकि 'कृत्ति' है एकदम से अलग चीज 'मृगचर्म'। इसी तरह 'कृती' का भी दोनों शब्दों से दूर-दूर का कोई सम्बंध नहीं है। इसका अर्थ है-निपुण। वर्तनी में जरा सा अंतर, पर अर्थ में जमीन असमान का। थोड़ा भी अनवधान हो तो अर्थ का अनर्थ हो सकता है।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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