आमंत्रण और निमंत्रण

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'आमंत्रण' और 'निमंत्रण' दोनों का अर्थ समान समझ लिया जाता है, पर ऐसा है नहीं। दोनों ही शब्दों में 'मंत्र' धातु की एक सी उपस्थिति है। सामान्य रूप से 'आमंत्रण' और निमंत्रण बुलावा के लिए प्रयुक्त होते है, परंतु 'आ' और 'नि' के चलते इनके अर्थो में विशिष्टता आ गई है।

आमंत्रण और निमंत्रण में अंतर

आमंत्रण में अच्छी तरह बुलाने का भाव निहित है। निमंत्रण भी अच्छी तरह का ही बुलावा है, पर भोजन आदि का हेतु विशेष रूप से इसमें जुड़ गया है। न्योता इसी निमंत्रण से निकला है। किसी कार्यक्रम में भोजन-नाश्ते की व्यवस्था हो तो लोगों को निमंत्रण भेजा जाता है, पर मंच पर भाषण करने, कविता आदि पढ़ने के लिए बुलाना हो तो आमंत्रित किया जाता है।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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