Difference between revisions of "कुषाण वंश"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
Line 4: Line 4:
 
कुषाण भी शकों की ही तरह मध्य एशिया से निकाले जाने पर [[काबुल]]-[[कंधार]] की ओर यहाँ आ गये थे। उस काल में यहाँ के हिन्दी यूनानियों की शक्ति कम हो गई थी, उन्हें कुषाणों ने सरलता से पराजित कर दिया। उसके बाद उन्होंने काबुल-कंधार पर अपना राज्याधिकार कायम किया। उनके प्रथम राजा का नाम कुजुल कडफाइसिस था। उसने काबुल – कंधार के यवनों (हिन्दी यूनानियों) को हरा कर [[भारत]] की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर बसे हुए पह्लवों को भी पराजित कर दिया। कुषाणों का शासन पश्चिमी [[पंजाब]] तक हो गया था। कुजुल के पश्चात उसके पुत्र विम तक्षम ने कुषाण राज्य का और भी अधिक विस्तार किया। भारत की तत्कालीन राजनैतिक परिस्थिति का लाभ उठा कर ये लोग आगे बढ़े और उन्होंने हिंद यूनानी शासकों की शक्ति को कमजोर कर [[शुंग साम्राज्य]] के पश्चिमी भाग को अपने अधिकार में कर लिया। विजित प्रदेश का केन्द्र उन्होंने [[मथुरा]] को बनाया, जो उस समय उत्तर भारत के धर्म, कला तथा व्यापारिक यातायात का एक प्रमुख नगर था।<ref>संभवतः इसी समय से जनपद का नाम भी शूरसेन के स्थान पर 'मथुरा' प्रसिद्ध हो गया।</ref>
 
कुषाण भी शकों की ही तरह मध्य एशिया से निकाले जाने पर [[काबुल]]-[[कंधार]] की ओर यहाँ आ गये थे। उस काल में यहाँ के हिन्दी यूनानियों की शक्ति कम हो गई थी, उन्हें कुषाणों ने सरलता से पराजित कर दिया। उसके बाद उन्होंने काबुल-कंधार पर अपना राज्याधिकार कायम किया। उनके प्रथम राजा का नाम कुजुल कडफाइसिस था। उसने काबुल – कंधार के यवनों (हिन्दी यूनानियों) को हरा कर [[भारत]] की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर बसे हुए पह्लवों को भी पराजित कर दिया। कुषाणों का शासन पश्चिमी [[पंजाब]] तक हो गया था। कुजुल के पश्चात उसके पुत्र विम तक्षम ने कुषाण राज्य का और भी अधिक विस्तार किया। भारत की तत्कालीन राजनैतिक परिस्थिति का लाभ उठा कर ये लोग आगे बढ़े और उन्होंने हिंद यूनानी शासकों की शक्ति को कमजोर कर [[शुंग साम्राज्य]] के पश्चिमी भाग को अपने अधिकार में कर लिया। विजित प्रदेश का केन्द्र उन्होंने [[मथुरा]] को बनाया, जो उस समय उत्तर भारत के धर्म, कला तथा व्यापारिक यातायात का एक प्रमुख नगर था।<ref>संभवतः इसी समय से जनपद का नाम भी शूरसेन के स्थान पर 'मथुरा' प्रसिद्ध हो गया।</ref>
 
==कुषाण वंश==
 
==कुषाण वंश==
कुषाण वंश (लगभग 1 ई॰ से 225 तक) ई॰ सन् के आरंभ से शकों की कुषाण नामक एक शाखा का प्रारम्भ हुआ । विद्वानों ने इन्हें [[युइशि]], तुरूश्क (तुखार) नाम दिया है । युइशि जाति प्रारम्भ में मध्य एशिया में थी। वहाँ से निकाले जाने पर ये लोग [[कम्बोज]]-[[बाह्यीक]] में आकर बस गये और वहाँ की सभ्यता से प्रभावित रहे। [[हिंदुकुश]] को पार कर वे [[चितराल]] देश के पश्चिम से उत्तरी [[स्वात]] और [[हज़ारा]] के रास्ते आगे बढ़ते रहे। तुखार प्रदेश की उनकी पाँच रियासतों पर उनका अधिकार हो गया। ई॰ पूर्व प्रथम शती में कुषाणों ने यहाँ की सभ्यता को अपनाया। कुषाण वंश के जो शासक थे उनके नाम इस प्रकार है-
+
कुषाण वंश (लगभग 1 ई॰ से 225 तक) ई॰ सन् के आरंभ से शकों की कुषाण नामक एक शाखा का प्रारम्भ हुआ। विद्वानों ने इन्हें [[युइशि]], तुरूश्क (तुखार) नाम दिया है । युइशि जाति प्रारम्भ में मध्य एशिया में थी। वहाँ से निकाले जाने पर ये लोग [[कम्बोज]]-[[बाह्यीक]] में आकर बस गये और वहाँ की सभ्यता से प्रभावित रहे। [[हिंदुकुश]] को पार कर वे [[चितराल]] देश के पश्चिम से उत्तरी [[स्वात]] और [[हज़ारा]] के रास्ते आगे बढ़ते रहे। तुखार प्रदेश की उनकी पाँच रियासतों पर उनका अधिकार हो गया। ई॰ पूर्व प्रथम शती में कुषाणों ने यहाँ की सभ्यता को अपनाया। कुषाण वंश के जो शासक थे उनके नाम इस प्रकार है-
 
*विम तक्षम
 
*विम तक्षम
 
*कुजुल कडफ़ाइसिस
 
*कुजुल कडफ़ाइसिस
 
*विम कडफ़ाइसिस  
 
*विम कडफ़ाइसिस  
 +
====कुजुल कडफाइसिस====
 
{{Main|कुजुल कडफ़ाइसिस}}
 
{{Main|कुजुल कडफ़ाइसिस}}
====कुजुल कडफाइसिस====
 
 
कुषाणों के एक सरदार का नाम कुजुल कडफाइसिस था । उसने काबुल और कन्दहार पर अधिकार कर लिया । पूर्व में यूनानी शासकों की शक्ति कमजोर हो गई थी, कुजुल ने इस का लाभ उठा कर अपना प्रभाव यहाँ बढ़ाना शुरू कर दिया । पह्लवों को पराजित कर उसने अपने शासन का विस्तार पंजाब के पश्चिम तक स्थापित कर लिया। '''मथुरा में इस शासक के तांबे के कुछ सिक्के प्राप्त हुए है ।'''  
 
कुषाणों के एक सरदार का नाम कुजुल कडफाइसिस था । उसने काबुल और कन्दहार पर अधिकार कर लिया । पूर्व में यूनानी शासकों की शक्ति कमजोर हो गई थी, कुजुल ने इस का लाभ उठा कर अपना प्रभाव यहाँ बढ़ाना शुरू कर दिया । पह्लवों को पराजित कर उसने अपने शासन का विस्तार पंजाब के पश्चिम तक स्थापित कर लिया। '''मथुरा में इस शासक के तांबे के कुछ सिक्के प्राप्त हुए है ।'''  
 +
====विम तक्षम====
 
{{Main|विम तक्षम}}
 
{{Main|विम तक्षम}}
====विम तक्षम====
 
 
विम तक्षम लगभग 60 ई॰ से 105 ई॰ के समय में शासक हुआ होगा। विम बड़ा शक्तिशाली शासक था। अपने पिता कुजुल के द्वारा विजित राज्य के अतिरिक्त विम ने पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]] तक अपने राज्य की सीमा स्थापित कर ली। विम ने राज्य की पूर्वी सीमा [[बनारस]] तक बढा ली। इस विस्तृत राज्य का प्रमुख केन्द्र मथुरा नगर बना। विम के बनाये सिक्के बनारस से लेकर पंजाब तक बहुत बड़ी मात्रा में मिले है।
 
विम तक्षम लगभग 60 ई॰ से 105 ई॰ के समय में शासक हुआ होगा। विम बड़ा शक्तिशाली शासक था। अपने पिता कुजुल के द्वारा विजित राज्य के अतिरिक्त विम ने पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]] तक अपने राज्य की सीमा स्थापित कर ली। विम ने राज्य की पूर्वी सीमा [[बनारस]] तक बढा ली। इस विस्तृत राज्य का प्रमुख केन्द्र मथुरा नगर बना। विम के बनाये सिक्के बनारस से लेकर पंजाब तक बहुत बड़ी मात्रा में मिले है।
  

Revision as of 11:38, 28 June 2010

yuishi logoan ke paanch rajyoan mean anyatam ka kueee-shuaanga tha. 25 ee. poo. ke lagabhag is rajy ka svami kushan nam ka vir purush hua, jisake shasan mean is rajy ki bahut unnati huee. usane dhire-dhire any yuishi rajyoan ko jitakar apane adhin kar liya. vah keval yuishi rajyoan ko jitakar hi santusht nahian hua, apitu usane samip ke parthiyan aur shak rajyoan par bhi akraman kie. anek aitihasikoan ka mat hai, ki kushan kisi vyakti vishesh ka nam nahian tha. yah nam yuishi jati ki us shakha ka tha, jisane any charoan yuishi rajyoan ko jitakar apane adhin kar liya tha. jis raja ne paanchoan yuishi rajyoan ko milakar apani shakti ka utkarsh kiya, usaka apana nam kujul kadafiyas tha. paryapt praman ke abhav mean yah nishchit kar sakana kathin hai ki jis yuishi vir ne apani jati ke vividh rajyoan ko jitakar ek sootr mean sangathit kiya, usaka vaiyaktik nam kushan tha ya kujul tha. yah asandigdh hai, ki bad ke yuishi raja bhi kushan vanshi the. raja kushan ke vanshaj hone ke karan ve kushan kahalae, ya yuishi jati ki kushan shakha mean utpann hone ke karan—yah nishchit n hone par bhi isamean sandeh nahian ki ye raja kushan kahate the aur inhian ke dvara sthapit samrajy ko kushan samrajy kaha jata hai.

kushan bhi shakoan ki hi tarah madhy eshiya se nikale jane par kabul-kandhar ki or yahaan a gaye the. us kal mean yahaan ke hindi yoonaniyoan ki shakti kam ho gee thi, unhean kushanoan ne saralata se parajit kar diya. usake bad unhoanne kabul-kandhar par apana rajyadhikar kayam kiya. unake pratham raja ka nam kujul kadaphaisis tha. usane kabul – kandhar ke yavanoan (hindi yoonaniyoan) ko hara kar bharat ki uttar-pashchimi sima par base hue pahlavoan ko bhi parajit kar diya. kushanoan ka shasan pashchimi panjab tak ho gaya tha. kujul ke pashchat usake putr vim taksham ne kushan rajy ka aur bhi adhik vistar kiya. bharat ki tatkalin rajanaitik paristhiti ka labh utha kar ye log age badhe aur unhoanne hiand yoonani shasakoan ki shakti ko kamajor kar shuang samrajy ke pashchimi bhag ko apane adhikar mean kar liya. vijit pradesh ka kendr unhoanne mathura ko banaya, jo us samay uttar bharat ke dharm, kala tatha vyaparik yatayat ka ek pramukh nagar tha.[1]

kushan vansh

kushan vansh (lagabhag 1 ee॰ se 225 tak) ee॰ sanh ke aranbh se shakoan ki kushan namak ek shakha ka prarambh hua. vidvanoan ne inhean yuishi, turooshk (tukhar) nam diya hai . yuishi jati prarambh mean madhy eshiya mean thi. vahaan se nikale jane par ye log kamboj-bahyik mean akar bas gaye aur vahaan ki sabhyata se prabhavit rahe. hiandukush ko par kar ve chitaral desh ke pashchim se uttari svat aur hazara ke raste age badhate rahe. tukhar pradesh ki unaki paanch riyasatoan par unaka adhikar ho gaya. ee॰ poorv pratham shati mean kushanoan ne yahaan ki sabhyata ko apanaya. kushan vansh ke jo shasak the unake nam is prakar hai-

  • vim taksham
  • kujul kadafaisis
  • vim kadafaisis

kujul kadaphaisis

  1. REDIRECTsaancha:mukhy

kushanoan ke ek saradar ka nam kujul kadaphaisis tha . usane kabul aur kandahar par adhikar kar liya . poorv mean yoonani shasakoan ki shakti kamajor ho gee thi, kujul ne is ka labh utha kar apana prabhav yahaan badhana shuroo kar diya . pahlavoan ko parajit kar usane apane shasan ka vistar panjab ke pashchim tak sthapit kar liya. mathura mean is shasak ke taanbe ke kuchh sikke prapt hue hai .

vim taksham

  1. REDIRECTsaancha:mukhy

vim taksham lagabhag 60 ee॰ se 105 ee॰ ke samay mean shasak hua hoga. vim b da shaktishali shasak tha. apane pita kujul ke dvara vijit rajy ke atirikt vim ne poorvi uttar pradesh tak apane rajy ki sima sthapit kar li. vim ne rajy ki poorvi sima banaras tak badha li. is vistrit rajy ka pramukh kendr mathura nagar bana. vim ke banaye sikke banaras se lekar panjab tak bahut b di matra mean mile hai.

tika tippani aur sandarbh

  1. sanbhavatah isi samay se janapad ka nam bhi shoorasen ke sthan par 'mathura' prasiddh ho gaya.