Difference between revisions of "तैलप तृतीय"

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'''तैलप तृतीय''' (1151-1156 ई.) [[चालुक्य वंश|चालुक्य]] सम्राट [[जगदेकमल्ल द्वितीय]] की मृत्यु के बाद राजा बना था।
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*[[सोमेश्वर तृतीय]] के बाद [[कल्याणी कर्नाटक|कल्याणी]] के [[चालुक्य वंश]] का क्षय शुरू हो गया।  
 
*[[सोमेश्वर तृतीय]] के बाद [[कल्याणी कर्नाटक|कल्याणी]] के [[चालुक्य वंश]] का क्षय शुरू हो गया।  
 
*1138 ई. में 'सोमेश्वर की मृत्यु' हो जाने पर उसका पुत्र [[जगदेकमल्ल द्वितीय]] राजा बना।
 
*1138 ई. में 'सोमेश्वर की मृत्यु' हो जाने पर उसका पुत्र [[जगदेकमल्ल द्वितीय]] राजा बना।
 
*जगदेकमल्ल द्वितीय के शासन काल में [[चालुक्य साम्राज्य]] की शक्ति में निर्बलता आनी प्रारम्भ हो गई।  
 
*जगदेकमल्ल द्वितीय के शासन काल में [[चालुक्य साम्राज्य]] की शक्ति में निर्बलता आनी प्रारम्भ हो गई।  
*[[अन्हिलवाड़]] कुमारपाल (1143-1171) के जगदेकमल्ल के साथ अनेक युद्ध हुए, जिनमें कुमारपाल विजयी हुआ।
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*[[अन्हिलवाड़]] [[कुमारपाल]] (1143-1172 ई.) के जगदेकमल्ल के साथ अनेक युद्ध हुए, जिनमें कुमारपाल विजयी हुआ।
*1151 ई. में जगदेकमल्ल की मृत्यु के बाद तैलप तृतीय ने कल्याणी का राजसिंहासन प्राप्त किया।  
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*1151 ई. में जगदेकमल्ल की मृत्यु के बाद तैलप तृतीय ने कल्याणी का राजसिंहासन प्राप्त किया। उसका मंत्री व सेनापति विज्जल था, जो [[कलचुरी वंश]] का था।  
*उसका मंत्री व सेनापति विज्जल था, जो [[कलचुरी वंश]] का था।  
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*विज्जल इतना शक्तिशाली व्यक्ति था, कि उसने राजा तैलप को अपने हाथों में कठपुतली के समान बनाकर रखा था। बहुत से सामन्त उसके हाथों में थे। उनकी सहायता से 1156 ई. के लगभग विज्जल ने तैलप को राज्यच्युत कर स्वयं कल्याणी की राजगद्दी पर अपना अधिकार कर लिया, और वासव का अपना मंत्री नियुक्त किया।
*विज्जल इतना शक्तिशाली व्यक्ति था, कि उसने राजा तैलप को अपने हाथों में कठपुतली के समान बनाकर रखा था। बहुत से सामन्त उसके हाथों में थे।  
 
*उनकी सहायता से 1156 ई. के लगभग विज्जल ने तैल को राज्यच्युत कर स्वयं कल्याणी की राजगद्दी पर अपना अधिकार कर लिया, और वासव का अपना मंत्री नियुक्त किया।
 
 
 
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Latest revision as of 11:49, 10 January 2015

tailap tritiy (1151-1156 ee.) chaluky samrat jagadekamall dvitiy ki mrityu ke bad raja bana tha.

  • someshvar tritiy ke bad kalyani ke chaluky vansh ka kshay shuroo ho gaya.
  • 1138 ee. mean 'someshvar ki mrityu' ho jane par usaka putr jagadekamall dvitiy raja bana.
  • jagadekamall dvitiy ke shasan kal mean chaluky samrajy ki shakti mean nirbalata ani prarambh ho gee.
  • anhilava d kumarapal (1143-1172 ee.) ke jagadekamall ke sath anek yuddh hue, jinamean kumarapal vijayi hua.
  • 1151 ee. mean jagadekamall ki mrityu ke bad tailap tritiy ne kalyani ka rajasianhasan prapt kiya. usaka mantri v senapati vijjal tha, jo kalachuri vansh ka tha.
  • vijjal itana shaktishali vyakti tha, ki usane raja tailap ko apane hathoan mean kathaputali ke saman banakar rakha tha. bahut se samant usake hathoan mean the. unaki sahayata se 1156 ee. ke lagabhag vijjal ne tailap ko rajyachyut kar svayan kalyani ki rajagaddi par apana adhikar kar liya, aur vasav ka apana mantri niyukt kiya.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

sanbandhit lekh