Difference between revisions of "पुत्र"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
*[[परिवार]] में विवाहिता स्त्री से उत्पन्न नर सन्तान को पुत्र कहा जाता है। पुत्र को बेटा, लड़का, बालक आदि नामों से भी सम्बोधित किया जाता है।
+
[[हिन्दू]] [[परिवार]] में विवाहिता स्त्री से उत्पन्न नर सन्तान को पुत्र कहा जाता है। पुत्र को बेटा, लड़का, बालक आदि नामों से भी सम्बोधित किया जाता है।
 
==पुत्र के पौराणिक सन्दर्भ==
 
==पुत्र के पौराणिक सन्दर्भ==
 
पुत्र का प्रारम्भिक अर्थ लघु अथवा [[कनिष्ठ]] होता। 'पुत्रक' रूप का व्यवहार प्यार भरे सम्बोधन में अपने से छोटे लोगों के लिए होता था। आगे चलकर इस शब्द की धार्मिक व्युत्पत्ति की जाने लगी- "पुत=नरक से, त्र= बचाने वाला।" पुत्रों द्वारा प्रदत्त पिण्ड और [[श्राद्ध]] से [[पिता]] तथा अन्य पितरों का उद्धार होता है, इसलिए वे पितरों को नरक से त्राण देने वाले माने जाते हैं।  
 
पुत्र का प्रारम्भिक अर्थ लघु अथवा [[कनिष्ठ]] होता। 'पुत्रक' रूप का व्यवहार प्यार भरे सम्बोधन में अपने से छोटे लोगों के लिए होता था। आगे चलकर इस शब्द की धार्मिक व्युत्पत्ति की जाने लगी- "पुत=नरक से, त्र= बचाने वाला।" पुत्रों द्वारा प्रदत्त पिण्ड और [[श्राद्ध]] से [[पिता]] तथा अन्य पितरों का उद्धार होता है, इसलिए वे पितरों को नरक से त्राण देने वाले माने जाते हैं।  
 
धर्मशास्त्र में बारह प्रकार के पुत्रों का उल्लेख पाया जाता है। [[मनुस्मृति]]<ref>[[मनुस्मृति]] 9 श्लोक 158-160</ref> के अनुसार इनका क्रम इस प्रकार है:-
 
धर्मशास्त्र में बारह प्रकार के पुत्रों का उल्लेख पाया जाता है। [[मनुस्मृति]]<ref>[[मनुस्मृति]] 9 श्लोक 158-160</ref> के अनुसार इनका क्रम इस प्रकार है:-
 
*[[औरस पुत्र]]
 
*[[औरस पुत्र]]
 
 
*[[क्षेत्रज पुत्र]]
 
*[[क्षेत्रज पुत्र]]
 
 
*[[दत्तक पुत्र]]
 
*[[दत्तक पुत्र]]
 
 
*[[कृत्रिम पुत्र]]
 
*[[कृत्रिम पुत्र]]
 
 
*[[गूढज पुत्र]]
 
*[[गूढज पुत्र]]
 
 
*[[अपविद्ध पुत्र]]
 
*[[अपविद्ध पुत्र]]
 
*[[कानीन पुत्र]]
 
*[[कानीन पुत्र]]
 
 
*[[सहोढ़ पुत्र]]
 
*[[सहोढ़ पुत्र]]
 
*[[क्रीतक पुत्र]]
 
*[[क्रीतक पुत्र]]
 
 
*[[पौनर्भव पुत्र]]
 
*[[पौनर्भव पुत्र]]
 
 
*[[स्वयंदत्त पुत्र]]
 
*[[स्वयंदत्त पुत्र]]
 
 
*[[शौद्र पुत्र]]
 
*[[शौद्र पुत्र]]
  
 
 
{{प्रचार}}
 
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
Line 35: Line 22:
 
{{परिवार}}
 
{{परिवार}}
 
[[Category:परिवार]]
 
[[Category:परिवार]]
 +
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

Latest revision as of 12:16, 21 March 2014

hindoo parivar mean vivahita stri se utpann nar santan ko putr kaha jata hai. putr ko beta, l daka, balak adi namoan se bhi sambodhit kiya jata hai.

putr ke pauranik sandarbh

putr ka prarambhik arth laghu athava kanishth hota. 'putrak' roop ka vyavahar pyar bhare sambodhan mean apane se chhote logoan ke lie hota tha. age chalakar is shabd ki dharmik vyutpatti ki jane lagi- "put=narak se, tr= bachane vala." putroan dvara pradatt pind aur shraddh se pita tatha any pitaroan ka uddhar hota hai, isalie ve pitaroan ko narak se tran dene vale mane jate haian. dharmashastr mean barah prakar ke putroan ka ullekh paya jata hai. manusmriti[1] ke anusar inaka kram is prakar hai:-


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. manusmriti 9 shlok 158-160

sanbandhit lekh