Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 62"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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-[[महात्मा गाँधी]]
 
-[[महात्मा गाँधी]]
 
+[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
 
+[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
-[[जवाहर लाल नेहरू]]
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-[[जवाहरलाल नेहरू]]
||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|100px|गोपाल कृष्ण गोखले]]महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य [[गोपाल कृष्ण गोखले]] को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें [[भारत]] का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है। 1905 ई. में गोखले ने 'भारत सेवक समाज' की स्थापना की, ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि, वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। इसीलिए इन्होंने सबसे पहले प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिये सदन में विधेयक भी प्रस्तुत किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
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||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|100px|गोपाल कृष्ण गोखले]]'गोपाल कृष्ण गोखले' अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। ये एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। '[[महादेव गोविंद रानाडे]]' के शिष्य [[गोपाल कृष्ण गोखले]] को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें "भारत का ग्लेडस्टोन" कहा जाता है। [[1905]] ई. में गोखले ने 'भारत सेवक समाज' की स्थापना की, ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा [[भारत]] की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। इसीलिए इन्होंने सबसे पहले प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिये सदन में विधेयक भी प्रस्तुत किया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
  
{'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई?
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{'[[गोत्र]]' व्यवस्था प्रचलन में कब आई?
 
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-ऋग्वैदिक काल में
 
-ऋग्वैदिक काल में
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-सैन्धव काल में
 
-सैन्धव काल में
 
-सूत्रकाल में
 
-सूत्रकाल में
||उत्तर वैदिक काल में [[आर्य|आर्यो]] ने [[यमुना]], [[गंगा]] एवं [[गण्डक नदी|गण्डक]] नदियों के मैदानों को जीतकर अपने अधिकार में कर लिया। दक्षिण में आर्यो का फैलाव [[विदर्भ]] तक हुआ। उत्तर वैदिक कालीन सभ्यता का मुख्य केन्द्र '[[मध्य प्रदेश]]' था, जिसका प्रसार [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] से लेकर गंगा दोआब तक था। यहीं से आर्य [[संस्कृति]] पूर्वी ओर प्रस्थान कर [[कोशल]], [[काशी]] एवं [[विदेह]] तक फैली। गोत्र व्यवस्था का प्रचलन भी उत्तर वैदिक काल से ही प्रारम्भ हुआ माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तर वैदिक काल]]
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||उत्तर वैदिक काल में [[आर्य|आर्यो]] ने [[यमुना]], [[गंगा]] एवं [[गण्डक नदी|गण्डक]] नदियों के मैदानों को जीतकर अपने अधिकार में कर लिया था। दक्षिण में [[आर्य|आर्यों]] का फैलाव [[विदर्भ]] तक हो चुका था। उत्तर वैदिक कालीन सभ्यता का मुख्य केन्द्र [[मध्य प्रदेश]] था, जिसका प्रसार [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] से लेकर गंगा दोआब तक था। यहीं से आर्य संस्कृति पूर्वी ओर प्रस्थान कर [[कोशल]], [[काशी]] एवं [[विदेह]] तक फैल गई। [[गोत्र]] व्यवस्था का प्रचलन भी उत्तर वैदिक काल से ही प्रारम्भ हुआ माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तर वैदिक काल]]
  
{'[[राजगृह]]' में [[महावीर|महावीर स्वामी]] ने सर्वाधिक निवास किस ऋतु में किया?
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{'[[राजगृह]]' में [[महावीर|महावीर स्वामी]] ने सर्वाधिक निवास किस [[ऋतु]] में किया?
 
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-[[ग्रीष्म ऋतु]]
 
-[[ग्रीष्म ऋतु]]
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-[[शीत ऋतु]]
 
-[[शीत ऋतु]]
 
-[[बसन्त ऋतु]]
 
-[[बसन्त ऋतु]]
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||[[चित्र:Mahaveer.jpg|right|100px|महावीर]]'राजगृह' अथवा 'राजगीर' [[बिहार]] में [[नालंदा ज़िला|नालंदा ज़िले]] में स्थित एक प्रसिद्ध शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है। यह कभी [[मगध साम्राज्य]] की राजधानी हुआ करता था, जिससे बाद में [[मौर्य साम्राज्य]] का उदय हुआ। राजगीर जिस समय [[मगध]] की राजधानी थी, उस समय इसे 'राजगृह' के नाम से जाना जाता था। [[मथुरा]] से लेकर राजगृह तक [[महाजनपद]] का सुन्दर वर्णन [[बौद्ध]] ग्रंथों में प्राप्त होता है। मथुरा से यह रास्ता [[वैरंजा]], [[सोरेय्य]], [[संक़िस्सा ]], [[कान्यकुब्ज]] होते हुए [[प्रयाग]], [[प्रतिष्ठानपुर]] जाता था, जहाँ पर [[गंगा]] पार करके [[वाराणसी]] पहुँचा जाता था। माना जाता है कि [[महावीर|भगवान महावीर स्वामी]] ने [[वर्षा ऋतु]] में राजगृह में सर्वाधिक समय व्यतीत किया था। यहाँ प्रथम [[बौद्ध संगीति|विश्‍व बौद्ध संगीति]] का आयोजन हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजगृह]], [[वर्षा ऋतु]], [[महावीर]]
  
 
{[[जैन धर्म]] के पहले [[तीर्थंकर]] के रूप में किसे जाना जाता है?
 
{[[जैन धर्म]] के पहले [[तीर्थंकर]] के रूप में किसे जाना जाता है?
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-[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]]
 
-[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]]
 
-[[अजितनाथ]]
 
-[[अजितनाथ]]
||[[चित्र:Seated-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-38.jpg|right|100px|आसनस्थ ऋषभनाथ]]ऋषभदेव के [[पिता]] का नाम 'नाभिराय' होने से इन्हें ‘नाभिसूनु’ भी कहा गया है। इनकी माता का नाम 'मरुदेवी' था। ये आसमुद्रान्त सारे [[भारत]] (वसुधा) के अधिपति थे। इन्हें [[जैन धर्म]] का प्रथम तीर्थंकर माना गया है। [[जैन साहित्य]] में इन्हें प्रजापति, आदिब्रह्मा, आदिनाथ, बृहद्देव, पुरुदेव, नाभिसूनु और वृषभ नामों से भी समुल्लेखित किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋषभदेव]]
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||[[चित्र:Seated-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-38.jpg|right|100px|आसनस्थ ऋषभनाथ]]'ऋषभदेव' के [[पिता]] का नाम 'नाभिराय' होने से इन्हें ‘नाभिसूनु’ भी कहा गया है। इनकी [[माता]] का नाम 'मरुदेवी' था। ये आसमुद्रान्त सारे [[भारत]] (वसुधा) के अधिपति थे। [[ऋषभदेव]] को [[जैन धर्म]] का प्रथम [[तीर्थंकर]] माना गया है। [[जैन साहित्य]] में इन्हें 'प्रजापति', 'आदिब्रह्मा', 'आदिनाथ', 'बृहद्देव', 'पुरुदेव', 'नाभिसूनु' और 'वृषभ' नामों से भी समुल्लेखित किया गया है। ऋषभ ने जनता को योग-साधना में विघ्नस्वरूप जानकर अजगरवृत्ति धारणा कर ली तथा लेटे-लेटे ही सब कर्म करने लगे। कालान्तर में उन्होंने ऐहिक शरीर का त्याग कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋषभदेव]]
  
 
{आदि जैन ग्रंथों की [[भाषा]] क्या थी?
 
{आदि जैन ग्रंथों की [[भाषा]] क्या थी?
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-[[पालि भाषा]]
 
-[[पालि भाषा]]
 
-[[अपभ्रंश भाषा]]
 
-[[अपभ्रंश भाषा]]
||[[प्राकृत भाषा]] भारतीय [[आर्य|आर्यों]] की [[भाषा]] का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन् तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्त्व कम होने लगा, तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं- 'अर्धमागधी प्राकृत', 'पैशाची प्राकृत', 'महाराष्ट्री प्राकृत' और 'शौरसेनी प्राकृत'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्राकृत भाषा]]
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||[[प्राकृत भाषा]] भारतीय [[आर्य|आर्यों]] की [[भाषा]] का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई. पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्त्व कम होने लगा, तो [[प्राकृत भाषा]] अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं- 'अर्धमागधी प्राकृत', 'पैशाची प्राकृत', 'महाराष्ट्री प्राकृत' और 'शौरसेनी प्राकृत'। अर्धमागधी प्राकृत में [[जैन]] और [[बौद्ध साहित्य]] अधिक लिखा गया है। इसका मुख्य क्षेत्र [[मगध]] था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्राकृत भाषा]]
 
 
{[[मुस्लिम]] क़ानून के चार स्रोतों में से तीन '[[क़ुरान]]', '[[हदीस]]' एवं 'इज्मा' हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा चौथा स्रोत है?
 
|type="()"}
 
-ख़म्स
 
+कयास
 
-[[ख़राज]]
 
-आयतें
 
 
 
{'इण्डिपेन्डेन्स' नामक [[समाचार पत्र]] का प्रकाशन किसने प्रारम्भ किया था?
 
|type="()"}
 
-[[जवाहर लाल नेहरु|पं. जवाहर लाल नेहरु]]
 
+[[मोतीलाल नेहरू|पं. मोती लाल नेहरु]]
 
-[[शिव प्रसाद गुप्त]]
 
-[[मदन मोहन मालवीय]]
 
 
 
{हरविलास शारदा द्वारा प्रस्तावित अधिनियम, जिसे सामान्यतया 'शारदा अधिनियम' कहा जाता है, क्या था?
 
|type="()"}
 
-'विधवा पुनर्विवाह अधिनियम'
 
-'[[हिन्दू]] महिला उत्तराधिकारी अधिनियम'
 
+'बाल विवाह निरोधक अधिनियम' 1929
 
-'हिन्दू सिविल विवाह अधिनियम'
 
 
 
{'शिमला का संन्यासी' के नाम से कौन विख्यात है?
 
|type="()"}
 
+[[ह्यूम, ए. ओ.|ए.ओ. ह्यूम]]
 
-[[लॉर्ड रिपन]]
 
-जॉन स्ट्रेची
 
-[[एनी बेसेन्ट]]
 
 
 
{[[हड़प्पा सभ्यता]] की मुद्राएँ किससे निर्मित की जाती थीं?
 
|type="()"}
 
-[[तांबा|तांबे]] से
 
-[[सोना|सोने]] से
 
+[[मिट्टी]] से
 
-[[कांस्य]]
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
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Latest revision as of 13:54, 9 May 2021

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

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1 kis bharatiy ne sarvapratham anivary prathamik shiksha lagoo karane ke lie sadan mean vidheyak prastut kiya tha?

madan mohan malaviy
mahatma gaandhi
gopal krishna gokhale
javaharalal neharoo

2 'gotr' vyavastha prachalan mean kab aee?

rrigvaidik kal mean
uttar vaidik kal mean
saindhav kal mean
sootrakal mean

3 'rajagrih' mean mahavir svami ne sarvadhik nivas kis rritu mean kiya?

grishm rritu
varsha rritu
shit rritu
basant rritu

4 jain dharm ke pahale tirthankar ke roop mean kise jana jata hai?

mahavir svami
rrishabhadev
parshvanath
ajitanath

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan