Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 21"

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{712 में [[मुहम्मद बिन कासिम]] द्वारा [[सिंध]] पर किये आक्रमण के समय उसे किस स्थानीय सम्प्रदाय का सहयोग मिला?
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{712 ई. में [[मुहम्मद बिन कासिम]] द्वारा [[सिंध]] पर किये गये आक्रमण के समय उसे किस स्थानीय सम्प्रदाय का सहयोग मिला?
 
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-[[जैन|जैनियों]] का  
 
-[[जैन|जैनियों]] का  
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-[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का  
 
-[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का  
 
-[[इस्लाम]] के अनुयायियों का  
 
-[[इस्लाम]] के अनुयायियों का  
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|बौद्ध धर्म का प्रतीक|100px|right]][[बौद्ध धर्म]] [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन शास्त्र|दर्शन]] है। इसके संस्थापक [[महात्मा बुद्ध]], शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे। बुद्ध राजा [[शुद्धोदन]] के पुत्र थे और इनका जन्म [[लुंबिनी]] नामक ग्राम ([[नेपाल]]) में हुआ था। वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे। उनके गुज़रने के बाद अगली पाँच शताब्दियों में बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैल गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध]]
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||'मुहम्मद बिन क़ासिम' एक नवयुवक [[अरब]] सेनापति था। उसे ईराक के प्रान्तपति [[अलहज्जाज]] ने, जो [[मुहम्मद बिन क़ासिम]] का चाचा और श्वसुर भी था, [[सिन्ध प्रांत|सिन्ध]] के शासक [[दाहिर]] को दण्ड देने के लिए भेजा था। नेऊन पाकिस्तान में वर्तमान हैदराबाद के दक्षिण में स्थित चराक के समीप स्थित था। देवल के बाद मुहम्मद क़ासिम नेऊन की विजय के लिए आगे बढ़ा। दाहिर ने नेऊन की रक्षा का दायित्व एक [[पुरोहित]] को सौंप कर अपने बेटे जयसिंह को ब्राह्मणाबाद बुला लिया। नेऊन में बौद्धों की संख्या अधिक थी। उन्होंने मुहम्मद बिन क़ासिम का स्वागत किया। इस प्रकार बिना युद्ध किए ही मीर क़ासिम का नेऊन दुर्ग पर अधिकार हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध]]
  
{712 में [[सिंध]] पर अरबों के आक्रमण के समय वहाँ का शासक कौन था?
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{[[गुर्जर प्रतिहार वंश]] की तीन शाखाओं- 'भृगुकच्छ नन्दीपुर शाखा', 'माहय्यपुर मेदंतक शाखा' तथा 'उज्जैयिनी शाखा' में उज्जैयिनी शाखा के गुर्जर-प्रतिहारों के वंश का संस्थापक कौन था?
 
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-दाहिरयाह
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-[[हरिश्चन्द्र]]
+[[दाहिर]]
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+[[नागभट्ट प्रथम|नागभट्ट]]
-चच
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-[[मिहिरभोज]]
-राय साहसी
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-[[नागभट्ट द्वितीय]]
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||'नागभट्ट प्रथम' [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] का प्रथम ऐतिहासिक पुरुष था। इसे 'हरिशचन्द्र' के नाम से भी जाना जाता था। उसकी दो पत्नियाँ थीं- एक [[ब्राह्मण]] थी और दूसरी [[क्षत्रिय]]। उसके विषय में [[ग्वालियर]] [[अभिलेख]] से जानकारी मिलती है, जिसके अनुसार उसने [[अरब|अरबों]] को [[सिंध]] से आगे नहीं बढ़ने दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नागभट्ट प्रथम|नागभट्ट]]
  
 
{सर्वप्रथम [[भारत]] में '[[जज़िया कर]]' लगाने का श्रेय [[मुहम्मद बिन कासिम]] को दिया जाता है। उसने किस वर्ग को इस कर से पूर्णतः मुक्त रखा था?
 
{सर्वप्रथम [[भारत]] में '[[जज़िया कर]]' लगाने का श्रेय [[मुहम्मद बिन कासिम]] को दिया जाता है। उसने किस वर्ग को इस कर से पूर्णतः मुक्त रखा था?
 
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-[[मुसलमान|मुसलमानों]] को
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-[[मुस्लिम]]
-[[बौद्ध|बौद्धों]] को
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-[[बौद्ध]]  
+[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को
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+[[ब्राह्मण]]  
-निम्न जाति के लोगों को
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-निम्न जाति के लोग
||पश्चिम में [[अफ़ग़ानिस्तान]] का गोर देश, [[पंजाब]] जिसमें [[कुरुक्षेत्र]] सम्मिलित है, [[गोंडा]]-बस्ती जनपद, [[प्रयाग]] के दक्षिण व आसपास का प्रदेश, [[पश्चिम बंगाल]], ये पाँचों प्रदेश किसी न किसी समय पर गौड़ कहे जाते रहे हैं। इन्हीं पाँचों प्रदेशों के नाम पर सम्भवत: सामूहिक नाम 'पंच गौड़' पड़ा। आदि गौड़ों का उद्गम कुरुक्षेत्र है। इस प्रदेश के [[ब्राह्मण]] विशेषत: [[गौड़ ब्राह्मण|गौड़]] कहलाये। [[कश्मीर]] और [[पंजाब]] के ब्राह्मण [[सारस्वत]], [[कन्नौज]] के आस-पास के ब्राह्मण [[कान्यकुब्ज]], [[मिथिला]] के ब्राह्मण मैथिल तथा [[उत्कल]] के [[ब्राह्मण]] [[उत्कल ब्राह्मण|उत्कल]] कहलाये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्राह्मण]]
 
  
{[[गुर्जर प्रतिहार वंश]] की तीन शाखाओं- 'भृगुकच्छ नन्दीपुर शाखा', 'माहय्यपुर मेदंतक शाखा' तथा 'उज्जैयिनी शाखा' में उज्जैयिनी शाखा के गुर्जर-प्रतिहारों के वंश का संस्थापक कौन था?
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{712 ई. में [[सिंध]] पर अरबों के आक्रमण के समय वहाँ का शासक कौन था?
 
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-[[हरिश्चन्द्र]]
+
-दाहिरयाह
+[[नागभट्ट प्रथम|नागभट्ट]]
+
+[[दाहिर]]
-[[मिहिरभोज]]
+
-चच
-[[नागभट्ट द्वितीय]]
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-राय साहसी
||[[गुर्जर प्रतिहार वंश]] का प्रथम ऐतिहासिक पुरुष 'हरिशचन्द्र' था। हरिशचन्द्र की दो पत्नियाँ थीं- एक [[ब्राह्मण]] थी और दूसरी [[क्षत्रिय]]। उसके विषय में [[ग्वालियर]] [[अभिलेख]] से जानकारी मिलती है, जिसके अनुसार उसने [[अरब|अरबों]] को [[सिंध]] से आगे नहीं बढ़ने दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नागभट्ट प्रथम|नागभट्ट]]
 
  
 
{किस विदेशी यात्री ने [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] को 'अल-गजुर' एवं इस वंश के शासकों को 'बौरा' कहकर पुकारा?  
 
{किस विदेशी यात्री ने [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] को 'अल-गजुर' एवं इस वंश के शासकों को 'बौरा' कहकर पुकारा?  
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+[[अलमसूदी]]  
 
+[[अलमसूदी]]  
 
-[[अलबरूनी]]  
 
-[[अलबरूनी]]  
-उपर्युक्त में से कोई नहीं  
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-उपर्युक्त में से कोई नहीं
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||[[चित्र:Al-Masudi.jpg|right|80px|border|अलमसूदी]]'अलमसूदी' [[अरब]] का एक विद्वान् और प्रमुख भूगोलवेत्ता था। 915-916 ई. में वह [[भारत]] की यात्रा करने वाला [[बग़दाद]] का [[विदेशी यात्री]] था। [[अलमसूदी]] का जन्म नवीं शताब्दी के अंतिम चरण में बग़दाद में हुआ था। सम्भवत: [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] के शासक [[महिपाल]] (910-940 ई.) के शासन काल के दौरान ही अलमसूदी [[गुजरात]] आया था। उसने गुर्जर प्रतिहारों को 'अलगुर्जर' एवं राजा को 'बौरा' कहा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अलमसूदी]]
 
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Revision as of 12:51, 27 April 2018

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rajyoan ke samany jnan


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1 712 ee. mean muhammad bin kasim dvara siandh par kiye gaye akraman ke samay use kis sthaniy sampraday ka sahayog mila?

jainiyoan ka
bauddhoan ka
brahmanoan ka
islam ke anuyayiyoan ka

2 gurjar pratihar vansh ki tin shakhaoan- 'bhrigukachchh nandipur shakha', 'mahayyapur medantak shakha' tatha 'ujjaiyini shakha' mean ujjaiyini shakha ke gurjar-pratiharoan ke vansh ka sansthapak kaun tha?

harishchandr
nagabhatt
mihirabhoj
nagabhatt dvitiy

3 sarvapratham bharat mean 'jaziya kar' lagane ka shrey muhammad bin kasim ko diya jata hai. usane kis varg ko is kar se poornatah mukt rakha tha?

muslim
bauddh
brahman
nimn jati ke log

4 712 ee. mean siandh par araboan ke akraman ke samay vahaan ka shasak kaun tha?

dahirayah
dahir
chach
ray sahasi

5 kis videshi yatri ne gurjar pratihar vansh ko 'al-gajur' evan is vansh ke shasakoan ko 'baura' kahakar pukara?

suleman
alamasoodi
alabarooni
uparyukt mean se koee nahian

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan