बेंच दी क्यों ज़िन्दगी दो चार आने के लिए
एक दो लम्हा तो रखता मुस्कुराने के लिए
दौड़कर दफ़्तर गये भागे वहाँ से घर गये
लंच में फुर्सत नहीं है लंच खाने के लिए
किसलिए किसके लिए टट्टू बने हो रात दिन
आज भी रोया है बच्चा गोद आने के लिए
गाँव में माँ बाप तुमको याद करते हैं बहुत
वक़्त थोड़ा सा निकालो गाँव जाने के लिए
कुछ समय घर के लिए भी अब निकालो दोस्तो
दिन बहुत थोड़े बचे हैं घर बचाने के लिए