चित्राश्च योगा कला

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जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। जड़ी-बूटियों के योग से विविध वस्तुएँ ऐसी तैयार करना या ऐसी औषधें तैयार करना अथवा ऐसे मन्त्रों का प्रयोग करना जिनसे शत्रु निर्बल हो या उसकी हानि हो, इस कला का रूप है।


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