रूप कथा पद -रहीम
रूप कथा, पद, चारुपट, कंचन, दोहा, लाल ।
ज्यों-ज्यों निरखत सूक्ष्म गति, मोल ‘रहीम’ बिसाल ॥
- अर्थ
रूप और कथा और कविता तथा सुन्दर वस्त्र एवं स्वर्ण और दोहा तथा रतन, इन सबका असली मोल तो तभी आँका जा सकता है, जबकि अधिक-से-अधिक सूक्षमता के साथ इनको देखा परखा जाय।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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