तुला राम उप्रेती

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(Redirected from Tula Ram Upreti)
Jump to navigation Jump to search
तुला राम उप्रेती
पूरा नाम तुला राम उप्रेती
पति/पत्नी बेनु माया उप्रेती
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र कृषि
विद्यालय ताशी नामग्याल हायर सेकेंडरी स्कूल [1]
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2023
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी कई लोग तुला राम उप्रेती को 'जैविक खेती का जनक' कहते हैं, क्योंकि उन्होंने 20 साल पहले सिक्किम में 'जैविक मिशन' शुरू होने से पहले इस प्रथा को अपनाया था।
अद्यतन‎

तुला राम उप्रेती (अंग्रेज़ी: Tula Ram Upreti) भारतीय राज्य सिक्किम से सम्बंध रखने वाले व्यक्ति हैं जिन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री, 2023 से सम्मानित किया है। तुला राम उप्रेती पिछले आठ दशकों से न केवल जैविक खेती से जुड़े हैं, बल्कि इस प्रथा का समर्थन भी कर रहे हैं। वह सिक्किम में जैविक खेती की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, उर्वरकों का उपयोग किए बिना, जैविक रूप से धान और अन्य सब्जियों की खेती में अग्रणी रहे हैं। कई लोग उन्हें 'जैविक खेती का जनक' कहते हैं, क्योंकि उन्होंने 20 साल पहले सिक्किम में 'जैविक मिशन' शुरू होने से पहले इस प्रथा को अपनाया था।

शिक्षा व परिवार

तुला राम उप्रेती ने ताशी नामग्याल हायर सेकेंडरी स्कूल (अब टीएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल) में पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की। उनके परिवार में आठ बेटे और सात बेटियां हैं। उनके परिवार में 100 से अधिक सदस्य हैं। उनके एक बेटे केएन उप्रेती ने 1979-1999 तक रेनॉक विधानसभा क्षेत्र से मंत्री और विधायक के रूप में कार्य किया।[2]

विरासत

सिक्किम में पकयोंग जिले के असम लिंग्ज़े गाँव के 98 वर्षीय तुला राम उप्रेती पिछले आठ दशकों से न केवल जैविक खेती से जुड़े हैं, बल्कि चैंपियन भी रहे हैं। वह सिक्किम में जैविक खेती की विरासत को आगे बढ़ाते हुए धान और अन्य सब्जियों की खेती करने में अग्रणी रही हैं। वह अपने नब्बे के दशक में भी अपने पूर्वजों की विरासत को जारी रखे हुए हैं, जब जैविक खेती की बात आती है।

पंचायत अध्यक्ष व समाज सेवा

सिक्किम के भारत में विलय से पहले तुला राम उप्रेती 1940 और 1950 के दशक में तिब्बत में यातुंग के साथ व्यापार करते थे। उनका कहना था कि "उन्हें चावल, एक प्रकार का अनाज, और मक्का के एक माल के साथ रेशम मार्ग से तिब्बत की पैदल यात्रा करनी होती थी। वह अपने सहायकों के साथ, अपने खाली हाथों और मवेशियों के साथ, 12 हेक्टेयर में फैले अपने खेत में खेती करते थे। सिक्किम के इस जैविक किसान ने 25 वर्षों तक असम लिंग्ज़े ग्राम पंचायत इकाई के तहत लिंगज़े वार्ड के स्थानीय पंचायत सदस्य के रूप में भी काम किया। वह दो बार पंचायत अध्यक्ष भी रहे और 1996 में समाज सेवा से सेवानिवृत्त हुए।

लोकप्रियता

तुला राम उप्रेती छोटे किसान हैं। बचपन में ही खेती से बड़ा लगाव था। शुरुआत से पारंपरिक खेती में दिलचस्पी थी, इसलिए आजीवन इस तरकीब से खेती की। नवाचार किए, ताकि अच्छा फसल उत्पादन लिया जा सके। बेहतर फसल उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को भी अपनाया। यह सफर सिक्किम सरकार के 'सिक्किम ऑर्गेनिक मिशन' की स्थापना से पहले ही शुरू हो चुका था यानी तुला राम उप्रेती छ: दशकों से जैविक खेती में लगे हुए थे।

धीरे-धीरे तुला राम उप्रेती की लोकप्रियता बढ़ने लगी। किसान इनके पास आकर खेती के गुर सीखने लगे। इन्होंने कई किसानों के जैविक खेती और प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी और पर्यावरण सरंक्षण के मद्देनजर फसल उत्पादन हासिल करने के लिए प्रेरित किया। इस काम में तुला राम उप्रेती की पत्नि बेनु माया उप्रेती ने भी खूब साथ निभाया। आज तुला राम उप्रेती जैसे किसानों की मेहनत का नतीजा है कि सिक्किम के कृषि क्षेत्र में रसायनों पर निर्भरता लगभग खत्म हो गई है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (अब टीएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल)
  2. सिक्किम के एकमात्र पद्म श्री विजेता, 98 वर्षीय तुला राम उप्रेती 80 वर्षों से जैविक खेती का समर्थन कर रहे (हिंदी) jantaserishta.com। अभिगमन तिथि: 22 जुलाई, 2023।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः