मध्य सप्तक: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:40, 8 April 2011
मध्य सप्तक, सप्तक का एक प्रकार है। जिस प्रकार में हम साधारणत: अधिक गाते-बजाते हैं, वह मध्य सप्तक कहलाता है। इस सप्तक के स्वरों का उपयोग अन्य सप्तक के स्वरों की अपेक्षा अधिक होता है। यह सप्तक दोनों सप्तकों के मध्य में होता है, इसलिए इसे मध्य सप्तक कहा गया है। मध्य सप्तक के स्वर अपने पिछले सप्तक अर्थात् मन्द्र सप्तक के स्वरों से दुगुनी ऊँचाई पर और अगले सप्तक अर्थात् तार सप्तक के स्वरों के आधे होते हैं। इसमें 7 शुद्ध और 5 विकृत कुल 12 स्वर होते हैं।
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