पंजाब का भूगोल: Difference between revisions
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[[पंजाब]] का अधिकांश हिस्सा समतल मैदानी है, जो पूर्वोत्तर में समुद्र तल से लगभग 275 मीटर से दक्षिण-पश्चिम में लगभग 168 मीटर की ऊँचाई की अनुवर्ती ढलान वाला है। भौतिक रूप से इस प्रदेश को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है। पूर्वोत्तर में 274-914 मीटर की ऊँचाई पर स्थित शिवालिक पहाड़ियाँ राज्य का बहुत ही छोटा हिस्सा हैं। दक्षिण में शिवालिक पहाड़ियाँ संकरे और लहरदार तराई क्षेत्र के रूप में फैली हुई हैं, जिनसे होकर कई मौसमी धाराएँ बहती हैं। इनका स्थानीय नाम चोस है और इनमें से कई मैदानों में किसी नदी में शामिल हुए बिना ही समाप्त हो जाती हैं। तीसरा क्षेत्र जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी वाला विशाल समतल मैदान है। मैदानी क्षेत्र में नदियों के किनारे निम्नभूमि पर स्थित बाढ़ के मैदान और उनके बीच में कम ऊँचाई पर स्थित समतल क्षेत्रों को अलग-अलग पहचाना जा सकता है। पहले रेत के टीलों से ढके दक्षिणी-पश्चिमी ऊँचे क्षेत्र को सिंचाई के व्यापक विस्तार के साथ ही लगभग समतल कर दिया गया है, जिससे समूचा परिदृश्य परिवर्तित हो गया है। | [[पंजाब]] का अधिकांश हिस्सा समतल मैदानी है, जो पूर्वोत्तर में समुद्र तल से लगभग 275 मीटर से दक्षिण-पश्चिम में लगभग 168 मीटर की ऊँचाई की अनुवर्ती ढलान वाला है। भौतिक रूप से इस प्रदेश को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है। पूर्वोत्तर में 274-914 मीटर की ऊँचाई पर स्थित [[शिवालिक पहाड़ियाँ]] राज्य का बहुत ही छोटा हिस्सा हैं। दक्षिण में शिवालिक पहाड़ियाँ संकरे और लहरदार तराई क्षेत्र के रूप में फैली हुई हैं, जिनसे होकर कई मौसमी धाराएँ बहती हैं। इनका स्थानीय नाम चोस है और इनमें से कई मैदानों में किसी नदी में शामिल हुए बिना ही समाप्त हो जाती हैं। तीसरा क्षेत्र जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी वाला विशाल समतल मैदान है। मैदानी क्षेत्र में नदियों के किनारे निम्नभूमि पर स्थित बाढ़ के मैदान और उनके बीच में कम ऊँचाई पर स्थित समतल क्षेत्रों को अलग-अलग पहचाना जा सकता है। पहले रेत के टीलों से ढके दक्षिणी-पश्चिमी ऊँचे क्षेत्र को सिंचाई के व्यापक विस्तार के साथ ही लगभग समतल कर दिया गया है, जिससे समूचा परिदृश्य परिवर्तित हो गया है। | ||
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*अंतर्देशीय उपोष्ण कटिबंधीय अवस्थिति के कारण | *अंतर्देशीय उपोष्ण कटिबंधीय अवस्थिति के कारण पंजाब की जलवायु अर्द्ध शुष्क से अर्द्ध नम के बीच विविधतापूर्ण है। | ||
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सदियों से मानव बस्तियों के विकास के कारण पंजाब के मैदानी क्षेत्र के अधिकांश जंगल समाप्त हो गए हैं। [[शिवालिक पहाड़ियाँ|शिवालिक पहाड़ियों]] के विशाल हिस्से में जंगलों की व्यापक कटाई के फलस्वरूप वृक्षों की जगह अब झाड़ीदार वनस्पति पाई जाती है। पर्वतीय ढलानों पर वन लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रमुख सड़कों के किनारे और ऊपर तथा बंजर भूमि पर यूकलिप्टस व पॉपलर के वृक्ष लगाए गए हैं। | सदियों से मानव बस्तियों के विकास के कारण पंजाब के मैदानी क्षेत्र के अधिकांश जंगल समाप्त हो गए हैं। [[शिवालिक पहाड़ियाँ|शिवालिक पहाड़ियों]] के विशाल हिस्से में जंगलों की व्यापक कटाई के फलस्वरूप वृक्षों की जगह अब झाड़ीदार वनस्पति पाई जाती है। पर्वतीय ढलानों पर वन लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रमुख सड़कों के किनारे और ऊपर तथा बंजर भूमि पर यूकलिप्टस व पॉपलर के वृक्ष लगाए गए हैं। | ||
प्रदेश के कुल क्षेत्रफल के तीन-चौथाई हिस्से में खेती होने के कारण वन्य जीवों के पर्यावास में भारी कमी आई है। इसके बावजूद पक्षियों, कृतंक जन्तुओं और साँप व अन्य जानवरों की कई प्रजातियों ने [[कृषि]] पर्यावरण के अनुसार स्वयं को अनुकूलित कर लिया है। | प्रदेश के कुल क्षेत्रफल के तीन-चौथाई हिस्से में खेती होने के कारण वन्य जीवों के पर्यावास में भारी कमी आई है। इसके बावजूद पक्षियों, कृतंक जन्तुओं और [[साँप]] व अन्य जानवरों की कई प्रजातियों ने [[कृषि]] पर्यावरण के अनुसार स्वयं को अनुकूलित कर लिया है। | ||
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- भू-आकृति
पंजाब का अधिकांश हिस्सा समतल मैदानी है, जो पूर्वोत्तर में समुद्र तल से लगभग 275 मीटर से दक्षिण-पश्चिम में लगभग 168 मीटर की ऊँचाई की अनुवर्ती ढलान वाला है। भौतिक रूप से इस प्रदेश को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है। पूर्वोत्तर में 274-914 मीटर की ऊँचाई पर स्थित शिवालिक पहाड़ियाँ राज्य का बहुत ही छोटा हिस्सा हैं। दक्षिण में शिवालिक पहाड़ियाँ संकरे और लहरदार तराई क्षेत्र के रूप में फैली हुई हैं, जिनसे होकर कई मौसमी धाराएँ बहती हैं। इनका स्थानीय नाम चोस है और इनमें से कई मैदानों में किसी नदी में शामिल हुए बिना ही समाप्त हो जाती हैं। तीसरा क्षेत्र जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी वाला विशाल समतल मैदान है। मैदानी क्षेत्र में नदियों के किनारे निम्नभूमि पर स्थित बाढ़ के मैदान और उनके बीच में कम ऊँचाई पर स्थित समतल क्षेत्रों को अलग-अलग पहचाना जा सकता है। पहले रेत के टीलों से ढके दक्षिणी-पश्चिमी ऊँचे क्षेत्र को सिंचाई के व्यापक विस्तार के साथ ही लगभग समतल कर दिया गया है, जिससे समूचा परिदृश्य परिवर्तित हो गया है।
- जलवायु
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- अंतर्देशीय उपोष्ण कटिबंधीय अवस्थिति के कारण पंजाब की जलवायु अर्द्ध शुष्क से अर्द्ध नम के बीच विविधतापूर्ण है।
- गर्मी का मौसम बेहद गर्म होता है; जून में औसत तापमान 34° से. होता है और विशेष रूप से गर्म दिनों में यह 45° से. तक पहुँच जाता है।
- यहाँ शीत ऋतु में सर्दी भी काफ़ी पड़ती है। जनवरी में औसत तापमान 13° से. होता है और कई बार रात के समय तापमान जमाव बिन्दु तक गिर जाता है।
- वन्य एवं प्राणी जीवन
सदियों से मानव बस्तियों के विकास के कारण पंजाब के मैदानी क्षेत्र के अधिकांश जंगल समाप्त हो गए हैं। शिवालिक पहाड़ियों के विशाल हिस्से में जंगलों की व्यापक कटाई के फलस्वरूप वृक्षों की जगह अब झाड़ीदार वनस्पति पाई जाती है। पर्वतीय ढलानों पर वन लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रमुख सड़कों के किनारे और ऊपर तथा बंजर भूमि पर यूकलिप्टस व पॉपलर के वृक्ष लगाए गए हैं।
प्रदेश के कुल क्षेत्रफल के तीन-चौथाई हिस्से में खेती होने के कारण वन्य जीवों के पर्यावास में भारी कमी आई है। इसके बावजूद पक्षियों, कृतंक जन्तुओं और साँप व अन्य जानवरों की कई प्रजातियों ने कृषि पर्यावरण के अनुसार स्वयं को अनुकूलित कर लिया है।
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