करहिया की रायसौ: Difference between revisions

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करहिया की रायसौ नामक [[रासो काव्य]] सं. 1934 की रचना है। इसके रचयिता कवि गुलाब हैं, जिनके वंशज 'माथुर चतुर्वेदी चतुर्भुज वैद्य आंतरी' ज़िला [[ग्वालियर]] में निवास करते थे।  
*इसके रचयिता कवि गुलाब हैं, जिनके वंशज 'माथुर चतुर्वेदी चतुर्भुज वैद्य आंतरी' ज़िला [[ग्वालियर]] में निवास करते थे।  
*श्री चतुर्भुज जी के वंशज श्री रघुनन्दन चतुर्वेदी आज भी आन्तरी ग्वालियर में ही निवास करते हैं, जिनके पास इस ग्रन्थ की एक प्रति वर्तमान है।  
*श्री चतुर्भुज जी के वंशज श्री रघुनन्दन चतुर्वेदी आज भी आन्तरी ग्वालियर में ही निवास करते हैं, जिनके पास इस ग्रन्थ की एक प्रति वर्तमान है।  
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Latest revision as of 08:22, 22 April 2012

करहिया की रायसौ नामक रासो काव्य सं. 1934 की रचना है। इसके रचयिता कवि गुलाब हैं, जिनके वंशज 'माथुर चतुर्वेदी चतुर्भुज वैद्य आंतरी' ज़िला ग्वालियर में निवास करते थे।

  • श्री चतुर्भुज जी के वंशज श्री रघुनन्दन चतुर्वेदी आज भी आन्तरी ग्वालियर में ही निवास करते हैं, जिनके पास इस ग्रन्थ की एक प्रति वर्तमान है।
  • इसमें करहिया के परमारों एवं भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के बीच हुए एक युद्ध का वर्णन है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रासो काव्य : वीरगाथायें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2011।

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