वृष राशि: Difference between revisions
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'''वृष राशि''' | '''वृष राशि''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Taurus'') [[राशि चक्र]] की यह दूसरी राशि है, इस राशि का चिह्न ’बैल’ है। बैल स्वभाव से ही अधिक परिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है। साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। यह स्वभाव वृष राशि के जातक मे भी पाया जाता है। वृष राशि का विस्तार राशि चक्र के 30 अंश से 60 अंश के बीच पाया जाता है। इसका स्वामी [[शुक्र ग्रह]] है। इसके तीन देष्काणों में उनके स्वामी ’शुक्र-शुक्र”, शुक्र-[[बुध ग्रह|बुध]]’ और शुक्र-[[शनि ग्रह|शनि]] हैं। | ||
राशि स्वामी- [[शुक्र | ;राशि स्वामी- [[शुक्र देव|शुक्र]] | ||
शुभ रत्न- [[हीरा]] | ;शुभ रत्न- [[हीरा]] | ||
अक्षर- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो | ;अक्षर- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो | ||
==नक्षत्र | ==नक्षत्र चरण == | ||
वृष राशि के अन्तर्गत [[कृत्तिका नक्षत्र]] के तीन चरण, [[रोहिणी नक्षत्र|रोहिणी]] के चारों चरण और [[मृगशिरा नक्षत्र|मृगशिरा]] के प्रथम दो चरण आते हैं। इन चरणों के स्वामी कृत्तिका के द्वितीय चरण के स्वामी [[सूर्य]]-[[शनि ग्रह|शनि]], तृतीय चरण के स्वामी [[चन्द्रमा]]-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी सूर्य-गुरु हैं। रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी चन्द्रमा-[[मंगल ग्रह|मंगल]], दूसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-शुक्र, तीसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-बुध, चौथे चरण के स्वामी चन्द्रमा-चन्द्रमा है। मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य और दूसरे चरण के मालिक [[मंगल ग्रह|मंगल]]-[[बुध ग्रह|बुध]] है। | वृष राशि के अन्तर्गत [[कृत्तिका नक्षत्र]] के तीन चरण, [[रोहिणी नक्षत्र|रोहिणी]] के चारों चरण और [[मृगशिरा नक्षत्र|मृगशिरा]] के प्रथम दो चरण आते हैं। इन चरणों के स्वामी कृत्तिका के द्वितीय चरण के स्वामी [[सूर्य]]-[[शनि ग्रह|शनि]], तृतीय चरण के स्वामी [[चन्द्रमा]]-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी सूर्य-गुरु हैं। रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी चन्द्रमा-[[मंगल ग्रह|मंगल]], दूसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-शुक्र, तीसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-बुध, चौथे चरण के स्वामी चन्द्रमा-चन्द्रमा है। मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य और दूसरे चरण के मालिक [[मंगल ग्रह|मंगल]]-[[बुध ग्रह|बुध]] है। | ||
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thumb|बैल, वृष राशि का चिह्न वृष राशि (अंग्रेज़ी:Taurus) राशि चक्र की यह दूसरी राशि है, इस राशि का चिह्न ’बैल’ है। बैल स्वभाव से ही अधिक परिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है। साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। यह स्वभाव वृष राशि के जातक मे भी पाया जाता है। वृष राशि का विस्तार राशि चक्र के 30 अंश से 60 अंश के बीच पाया जाता है। इसका स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके तीन देष्काणों में उनके स्वामी ’शुक्र-शुक्र”, शुक्र-बुध’ और शुक्र-शनि हैं।
नक्षत्र चरण
वृष राशि के अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं। इन चरणों के स्वामी कृत्तिका के द्वितीय चरण के स्वामी सूर्य-शनि, तृतीय चरण के स्वामी चन्द्रमा-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी सूर्य-गुरु हैं। रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी चन्द्रमा-मंगल, दूसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-शुक्र, तीसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-बुध, चौथे चरण के स्वामी चन्द्रमा-चन्द्रमा है। मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य और दूसरे चरण के मालिक मंगल-बुध है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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