भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 14: Line 14:
*[[वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून|वन अनुसंधान संस्थान]] (व.अ.सं.), [[देहरादून]]
*[[वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून|वन अनुसंधान संस्थान]] (व.अ.सं.), [[देहरादून]]
*[[वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर|वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान]] (व.आ.वृ.प्र.सं.), [[कोयम्बटूर]]
*[[वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर|वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान]] (व.आ.वृ.प्र.सं.), [[कोयम्बटूर]]
*काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान(का.वि.प्रौ.सं.), [[बंगलौर]]
*[[काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, बंगलौर|काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान]] (का.वि.प्रौ.सं.), [[बंगलौर]]
*[[उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर|उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान]] (उ.व.अ.सं.), [[जबलपुर]]
*[[उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर|उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान]] (उ.व.अ.सं.), [[जबलपुर]]
*वर्षा वन अनुसंधान संस्थान(व.व.अ.सं.), [[जोरहाट]]
*[[वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, जोरहाट|वर्षा वन अनुसंधान संस्थान]] (व.व.अ.सं.), [[जोरहाट]]
*[[शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर|शुष्क वन अनुसंधान संस्थान]] (शु.व.अ.सं.), [[जोधपुर]]
*[[शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर|शुष्क वन अनुसंधान संस्थान]] (शु.व.अ.सं.), [[जोधपुर]]
*[[हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला|हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान]] (हि.व.अ.सं.), [[शिमला]]
*[[हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला|हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान]] (हि.व.अ.सं.), [[शिमला]]
*वन उत्पादकता संस्थान (व.उ.सं.), [[रांची]]
*[[वन उत्पादकता संस्थान, रांची|वन उत्पादकता संस्थान]] (व.उ.सं.), [[रांची]]
*वन जैवविविधता संस्थान (आईएफबी), [[हैदराबाद]]
*[[वन जैवविविधता संस्थान, हैदराबाद|वन जैवविविधता संस्थान]] (आईएफबी), [[हैदराबाद]]


====परिषद के अधीन उन्नत अनुसंधान====
====परिषद के अधीन उन्नत अनुसंधान====

Latest revision as of 11:04, 16 September 2013

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.) 'राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान तंत्र' में एक शीर्ष संस्था है। यह वानिकी के सभी पहलुओं पर अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार की आवश्यकता आधारित आयोजना, प्रोत्साहन, संचालन एवं समन्वयन करके वानिकी अनुसंधान का वास्तविक विकास करती है। परिषद विश्व चिंताओं, जैसे- जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता का संरक्षण, रेगिस्तानीकरण को रोकना और संसाधनों का पोषणीय प्रबंध एवं विकास सहित इस सेक्टर में उभर रहे विषयों के अनुरूप समाधान आधारित वानिकी अनुसंधान करती है। परिषद द्वारा सामयिक अनुसंधान प्राकृतिक संसाधन प्रबंध से संबंधित चुनौतियों का सफलतापूर्वक संचालन करने के लिए, वन प्रबंधकों एवं शोधार्थियों की क्षमता में लोगों के विश्वास को बढ़ाता है।[1]

उद्देश्य

'भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद' के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. वनों और वन्य प्राणियों से संबंधित सामान्य सूचना और अनुसंधान के लिए एक वितरण केंद्र के रूप में कार्य करना।
  2. वानिकी विस्तार कार्यक्रमों को विकसित करना तथा उन्हें जन संचार, श्रव्य-दृश्य माध्यमों और विस्तार मशीनरी द्वारा प्रसारित करना।
  3. वानिकी अनुसंधान और शिक्षा एवं इनके अनुप्रयोग के लिए सहायता और प्रोत्साहन देना तथा समन्वयन करना।
  4. वानिकी तथा अन्य संबद्ध विज्ञानों के लिए राष्ट्रीय पुस्तकालय एवं सूचना केंद्र को विकसित करना और उसका रखरखाव करना।
  5. वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और संबद्ध विज्ञानों के क्षेत्र में परामर्शी सेवाएं प्रदान करना।
  6. उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य सभी आवयश्क कार्य करना।[1]

परिषद के अधीन संस्थान एवं केंद्र

राष्ट्र की वानिकी अनुसंधान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए देश के विभिन्न जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित परिषद के आठ क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान तथा चार अनुसंधान केंद्र हैं। क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान देहरादून, कोयम्बटूर, बंगलुरू, जबलपुर, जोरहाट, जोधपुर, शिमला और रांची में तथा केंद्र इलाहाबाद, छिंदवाड़ा, हैदराबाद और आइजोल में स्थित हैं।

अनुसंधान संस्थान

परिषद के अधीन निम्नलिखित संस्थान आते हैं-

परिषद के अधीन उन्नत अनुसंधान

  1. सामाजिक वानिकी एवं पारि-पुनर्स्थापन केन्द्र (सा.वा.पा.पु.कें.), इलाहाबाद
  2. वानिकी अनुसंधान एवं मानव संसाधन विकास केन्द्र (वा.अ.मा.सं.वि.कें.), छिंदवाड़ा
  3. बांस और बेंत के लिए उन्नत अनुसंधान केन्द्र (बां.बें.उ.अ.कें.), आइजोल

सेवाएँ

  1. ढांचा मात्र तथा क्षारीय मृदाओं पर भूगर्भीय, भू-रूपात्मक तथा सूक्ष्म रूपात्मक अध्ययन करना।
  2. पर्यावरण मित्र परिरक्षकों के लिए प्रौद्योगिकी का विकास करना।
  3. वन उत्पादों के उत्पादन के लिए गैर पारंपरिक लकड़ी तथा खरपतवार का उपयोग।
  4. ईंधन, चारा तथा इमारती लकड़ी के गुणवत्तापूर्ण बीजों का उत्पादन, प्रमाणीकरण तथा आपूर्ति करना।
  5. सामाजिक वानिकी/कृषि वानिकी के क्षेत्र में अध्ययन करना।
  6. पारिस्थितिक रूप से भंगुर तथा विक्षुब्ध क्षेत्रों का संरक्षण तथा पारि-पुनरूद्धार करना।
  7. बंजर भूमि के सुधार के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना।
  8. विभिन्न प्रजातियों के रोपण भण्डार सुधार कार्यक्रम चलाना।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 सितम्बर, 2013।

संबंधित लेख