पंचमी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
No edit summary
 
(6 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
*पंचमी में [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] और [[चंद्र ग्रह|चन्द्र]] का अन्तर 49° से 60° तक होने पर शुक्ल पक्ष की पंचमी और 229° से 240° तक अन्तर होने पर कृष्ण पक्ष की पंचमी होती है।  
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=पंचमी|लेख का नाम=पंचमी (बहुविकल्पी)}}
 
'''पंचमी''' हिन्दू पंचाग की एक [[तिथि]] है। इस तिथि का [[हिन्दू|हिन्दुओं]] में बड़ा ही धार्मिक महत्त्व माना जाता है। पंचमी तिथि पर किये गए कार्य शुभफल प्रदान करने वाले माने जाते हैं।
 
*पंचमी में [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] और [[चंद्र ग्रह|चन्द्र]] का अन्तर 49° से 60° तक होने पर शुक्ल पक्ष की पंचमी और 229° से 240° तक अन्तर होने पर कृष्ण पक्ष की पंचमी होती है।
*पंचमी तिथि का स्वामी सर्प या नाग होता है। यह 'पूर्णा संज्ञक तिथि' है।  
*पंचमी तिथि का स्वामी सर्प या नाग होता है। यह 'पूर्णा संज्ञक तिथि' है।  
*इसकी विशेष संज्ञा ‘श्रीमती’ है।  
*इसकी विशेष संज्ञा ‘श्रीमती’ है।  
*[[पौष]] मास के दोनों पक्षों में यह तिथि शून्य फल देती है।  
*[[पौष]] मास के दोनों पक्षों में यह तिथि शून्य फल देती है।  
*शनिवार के दिन पंचमी पड़ने पर मृत्युदा होती है जिससे इसकी शुभता में कमी आ जाती है। गुरूवार के दिन यही पंचमी सिद्धिदा होकर विशेष शुभ फल देने वाली हो जाती है।
*[[शनिवार]] के दिन पंचमी पड़ने पर मृत्युदा होती है जिससे इसकी शुभता में कमी आ जाती है। [[गुरुवार]] के दिन यही पंचमी सिद्धिदा होकर विशेष शुभ फल देने वाली हो जाती है।
*पंचमी तिथि की दिशा दक्षिण है।
*पंचमी तिथि की दिशा दक्षिण है।
*शुक्ल पंचमी में शिववास कैलास पर तथा कृष्ण पंचमी में वृषभ पर होने से क्रमशः सुख तथा श्री-प्राप्तिकारक होता है। अतः इसमें शिवार्चन के समस्त उपचार शुभ होते हैं।
*[[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] पंचमी में शिववास कैलास पर तथा [[कृष्ण पक्ष|कृष्ण]] पंचमी में वृषभ पर होने से क्रमशः सुख तथा श्री-प्राप्तिकारक होता है। अतः इसमें शिवार्चन के समस्त उपचार शुभ होते हैं।
*चन्द्रमा की इस पाँचवीं कला का पान वषटरकार करते हैं।
*चन्द्रमा की इस पाँचवीं कला का पान वषटरकार करते हैं।
शुभकर्माणि सर्वाणि स्थिराणि चराणि च।
शुभकर्माणि सर्वाणि स्थिराणि चराणि च।
ऋणादानं विनायान्ति सुसिद्धिं पंचमीदिने।।
ऋणादानं विनायान्ति सुसिद्धिं पंचमीदिने।।


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2  
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
Line 27: Line 23:
{{तिथि}}
{{तिथि}}
[[Category:कैलंडर]]
[[Category:कैलंडर]]
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
[[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:संस्कृति कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 14:00, 2 January 2016

चित्र:Disamb2.jpg पंचमी एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पंचमी (बहुविकल्पी)

पंचमी हिन्दू पंचाग की एक तिथि है। इस तिथि का हिन्दुओं में बड़ा ही धार्मिक महत्त्व माना जाता है। पंचमी तिथि पर किये गए कार्य शुभफल प्रदान करने वाले माने जाते हैं।

  • पंचमी में सूर्य और चन्द्र का अन्तर 49° से 60° तक होने पर शुक्ल पक्ष की पंचमी और 229° से 240° तक अन्तर होने पर कृष्ण पक्ष की पंचमी होती है।
  • पंचमी तिथि का स्वामी सर्प या नाग होता है। यह 'पूर्णा संज्ञक तिथि' है।
  • इसकी विशेष संज्ञा ‘श्रीमती’ है।
  • पौष मास के दोनों पक्षों में यह तिथि शून्य फल देती है।
  • शनिवार के दिन पंचमी पड़ने पर मृत्युदा होती है जिससे इसकी शुभता में कमी आ जाती है। गुरुवार के दिन यही पंचमी सिद्धिदा होकर विशेष शुभ फल देने वाली हो जाती है।
  • पंचमी तिथि की दिशा दक्षिण है।
  • शुक्ल पंचमी में शिववास कैलास पर तथा कृष्ण पंचमी में वृषभ पर होने से क्रमशः सुख तथा श्री-प्राप्तिकारक होता है। अतः इसमें शिवार्चन के समस्त उपचार शुभ होते हैं।
  • चन्द्रमा की इस पाँचवीं कला का पान वषटरकार करते हैं।

शुभकर्माणि सर्वाणि स्थिराणि चराणि च। ऋणादानं विनायान्ति सुसिद्धिं पंचमीदिने।।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख