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'''ब''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का तेईसवाँ वर्ण जो पवर्ग का तीसरा [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह द्वयोष्ठ्य, स्पर्श,घोष और अल्पप्राण ध्वनि है। इसका [[महाप्राण व्यंजन|महाप्राण]] रूप '[[भ]]' है।  
'''ब''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का तेईसवाँ वर्ण जो पवर्ग का तीसरा [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह द्वयोष्ठ्य, स्पर्श,घोष और अल्पप्राण ध्वनि है। इसका [[महाप्राण व्यंजन|महाप्राण]] रूप '[[भ]]' है।  
;विशेष-  'ब', 'बा' आदि के अनुनासिक रूप क्रमश: बँ, बाँ, बिँ, बीँ, इत्यादि होते हैं परन्तु शिरोरेखा के ऊपर मात्रा आने पर 'चन्द्रबिन्दु' के स्थान पर 'बिन्दु' लगाने की रीति सुविधार्थ प्रचलित है। जैसे- बिँधना > बिंधना; बीँधना > बिंधना; बेँट > बेंट।
;विशेष-  'ब', 'बा' आदि के अनुनासिक रूप क्रमश बँ, बाँ, बिँ, बीँ, इत्यादि होते हैं परन्तु शिरोरेखा के ऊपर मात्रा आने पर 'चन्द्रबिन्दु' के स्थान पर 'बिन्दु' लगाने की रीति सुविधार्थ प्रचलित है। जैसे- बिँधना > बिंधना; बीँधना > बिंधना; बेँट > बेंट।
* व्यंजन-गुच्छों में यदि 'ब' किसी व्यंजन के पहले आकर उससे मिलता है तो अपनी खड़ी रेखा को छोड़ देता है (अब्ज, ज़ब्त, शब्द) परन्तु 'ब्' का 'र' से संयुक्त रूप 'ब्र' ध्यान देने योग्य है। जैसे- ब्रज, ब्रिटेन, ब्रेक।
* व्यंजन-गुच्छों में यदि 'ब' किसी व्यंजन के पहले आकर उससे मिलता है तो अपनी खड़ी रेखा को छोड़ देता है (अब्ज, ज़ब्त, शब्द) परन्तु 'ब्' का 'र' से संयुक्त रूप 'ब्र' ध्यान देने योग्य है। जैसे- ब्रज, ब्रिटेन, ब्रेक।
* 'ब्ल' और 'ब्व' रूप प्राय: विदेशी शब्दों मे प्रयुक्त होते है। जैसे- ब्लाउज, ब्वाय।
* 'ब्ल' और 'ब्व' रूप प्राय: विदेशी शब्दों मे प्रयुक्त होते है। जैसे- ब्लाउज, ब्वाय।
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* [[हिन्दी]] की अनेक बोलियों में तत्सम शब्दों के 'व' को 'ब' करके बोलने की प्रवृत्ति है (विवेक-बिबेक, विचार-बिचार, विहार-बिहार) और 'ब' को 'व' करके बोलने की प्रवृत्ति भी कहीं-कहीं या कुछ व्यक्तियों में होती है। शुद्ध उच्चारण और शुद्ध [[वर्तनी (हिन्दी)|वर्तनी]] की दृष्टि से शब्द का ठीक स्वरूप ध्यान में रहना चाहिये नहीं तो 'त्ब' वाले, इष्ट शब्द के स्थान पर 'व' वाले भिन्नार्थक शब्द के प्रयोग से भीषण त्रुटि हो सकती है। जैसे- बात-वात, बहन-वहन, बाला-वाला।
* [[हिन्दी]] की अनेक बोलियों में तत्सम शब्दों के 'व' को 'ब' करके बोलने की प्रवृत्ति है (विवेक-बिबेक, विचार-बिचार, विहार-बिहार) और 'ब' को 'व' करके बोलने की प्रवृत्ति भी कहीं-कहीं या कुछ व्यक्तियों में होती है। शुद्ध उच्चारण और शुद्ध [[वर्तनी (हिन्दी)|वर्तनी]] की दृष्टि से शब्द का ठीक स्वरूप ध्यान में रहना चाहिये नहीं तो 'त्ब' वाले, इष्ट शब्द के स्थान पर 'व' वाले भिन्नार्थक शब्द के प्रयोग से भीषण त्रुटि हो सकती है। जैसे- बात-वात, बहन-वहन, बाला-वाला।
* [ [[संस्कृत]] (धातु) बल् + ड ] [[पुल्लिंग]]- वरुण, समुद्र, जल, पानी, घड़ा, सन्तान।
* [ [[संस्कृत]] (धातु) बल् + ड ] [[पुल्लिंग]]- वरुण, समुद्र, जल, पानी, घड़ा, सन्तान।
* [[फ़ारसी]] उपसर्ग ([[अरबी भाषा|अरबी]]-फ़ारसी के शब्दों के आरम्भ में प्रयुक्त होकर) पूर्वक या सहित/ साथ। जैसे- ब-अदब, ब-ख़ुशी, द्वारा जैसे- ब-कलम ख़ुद, अनुसार। जैसे- ब-शर्त, पर या से। जैसे- ख़ुद-ब-ख़ुद (=आप से आप, अपने आप)।<ref>पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-2 | पृष्ठ संख्या- 1714</ref>
* [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] उपसर्ग ([[अरबी भाषा|अरबी]]-फ़ारसी के शब्दों के आरम्भ में प्रयुक्त होकर) पूर्वक या सहित/ साथ। जैसे- ब-अदब, ब-ख़ुशी, द्वारा जैसे- ब-कलम ख़ुद, अनुसार। जैसे- ब-शर्त, पर या से। जैसे- ख़ुद-ब-ख़ुद (=आप से आप, अपने आप)।<ref>पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-2 | पृष्ठ संख्या- 1714</ref>
==ब की बारहखड़ी==
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Latest revision as of 09:14, 8 January 2017

विवरण देवनागरी वर्णमाला का तेईसवाँ वर्ण जो पवर्ग का तीसरा व्यंजन है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह द्वयोष्ठ्य, स्पर्श,घोष और अल्पप्राण ध्वनि है। इसका महाप्राण रूप '' है।
व्याकरण [ संस्कृत (धातु) बल् + ड ] पुल्लिंग- वरुण, समुद्र, जल, पानी, घड़ा, सन्तान।
विशेष 'ब' अल्पप्राण व्यंजन है अत: 'ब्' का द्वित्व हो सकता है जो 'ब्व' रूप में लिखा जाता है। जैसे- धब्बा, डिब्बी।
संबंधित लेख , , ,
अन्य जानकारी व्यंजन-गुच्छों में यदि 'ब' किसी व्यंजन के पहले आकर उससे मिलता है तो अपनी खड़ी रेखा को छोड़ देता है (अब्ज, ज़ब्त, शब्द) परन्तु 'ब्' का 'र' से संयुक्त रूप 'ब्र' ध्यान देने योग्य है। जैसे- ब्रज, ब्रिटेन, ब्रेक।

देवनागरी वर्णमाला का तेईसवाँ वर्ण जो पवर्ग का तीसरा व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह द्वयोष्ठ्य, स्पर्श,घोष और अल्पप्राण ध्वनि है। इसका महाप्राण रूप '' है।

विशेष- 'ब', 'बा' आदि के अनुनासिक रूप क्रमश बँ, बाँ, बिँ, बीँ, इत्यादि होते हैं परन्तु शिरोरेखा के ऊपर मात्रा आने पर 'चन्द्रबिन्दु' के स्थान पर 'बिन्दु' लगाने की रीति सुविधार्थ प्रचलित है। जैसे- बिँधना > बिंधना; बीँधना > बिंधना; बेँट > बेंट।
  • व्यंजन-गुच्छों में यदि 'ब' किसी व्यंजन के पहले आकर उससे मिलता है तो अपनी खड़ी रेखा को छोड़ देता है (अब्ज, ज़ब्त, शब्द) परन्तु 'ब्' का 'र' से संयुक्त रूप 'ब्र' ध्यान देने योग्य है। जैसे- ब्रज, ब्रिटेन, ब्रेक।
  • 'ब्ल' और 'ब्व' रूप प्राय: विदेशी शब्दों मे प्रयुक्त होते है। जैसे- ब्लाउज, ब्वाय।
  • 'ब' से पहले आए व्यंजन से मिलने पर 'ब' प्राय: अपरिवर्तित रूप में रहता है परन्तु 'द' में यह नीचे मिलता है या 'हलन्त द' (द्) का प्रयोग करके लिखा जाता है। जैसे- उद्धोधन, उद् बोधन) और, 'र' शिरोरेखा के ऊपर जाता है (दुर्बल, चर्बी)।
  • 'ब' अल्पप्राण व्यंजन है अत: 'ब्' का द्वित्व हो सकता है जो 'ब्व' रूप में लिखा जाता है। जैसे- धब्बा, डिब्बी।
  • हिन्दी की अनेक बोलियों में तत्सम शब्दों के 'व' को 'ब' करके बोलने की प्रवृत्ति है (विवेक-बिबेक, विचार-बिचार, विहार-बिहार) और 'ब' को 'व' करके बोलने की प्रवृत्ति भी कहीं-कहीं या कुछ व्यक्तियों में होती है। शुद्ध उच्चारण और शुद्ध वर्तनी की दृष्टि से शब्द का ठीक स्वरूप ध्यान में रहना चाहिये नहीं तो 'त्ब' वाले, इष्ट शब्द के स्थान पर 'व' वाले भिन्नार्थक शब्द के प्रयोग से भीषण त्रुटि हो सकती है। जैसे- बात-वात, बहन-वहन, बाला-वाला।
  • [ संस्कृत (धातु) बल् + ड ] पुल्लिंग- वरुण, समुद्र, जल, पानी, घड़ा, सन्तान।
  • फ़ारसी उपसर्ग (अरबी-फ़ारसी के शब्दों के आरम्भ में प्रयुक्त होकर) पूर्वक या सहित/ साथ। जैसे- ब-अदब, ब-ख़ुशी, द्वारा जैसे- ब-कलम ख़ुद, अनुसार। जैसे- ब-शर्त, पर या से। जैसे- ख़ुद-ब-ख़ुद (=आप से आप, अपने आप)।[1]

ब की बारहखड़ी

बा बि बी बु बू बे बै बो बौ बं बः

ब अक्षर वाले शब्द


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-2 | पृष्ठ संख्या- 1714

संबंधित लेख