हमारे पथ प्रदर्शक -अब्दुल कलाम: Difference between revisions
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मैं क्या हूँ और क्या बन सकता हूँ ? वे कौन लोग थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपना-अपना विशिष्ट योगदान देकर मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा की ? कैसे मैं इस मायावी संसार में दिग्भ्रमित हुए बिना अग्रसर हो सकता हूँ ? कैसे मैं दैनिक जीवन में | मैं क्या हूँ और क्या बन सकता हूँ ? वे कौन लोग थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपना-अपना विशिष्ट योगदान देकर मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा की ? कैसे मैं इस मायावी संसार में दिग्भ्रमित हुए बिना अग्रसर हो सकता हूँ ? कैसे मैं दैनिक जीवन में होने वाले तनाव पर काबू पा सकता हूँ ? | ||
ऐसे अनेक प्रश्न छात्र तथा विभिन्न राष्ट्रपति से उनकी जुड़ी युवाशक्ति भारत के दूरदर्शी राष्ट्रपति से उनकी यात्राओं में अकसर पूछते हैं। राष्ट्रपति डॉ. कलाम की यह नवीनतम कृति ‘हमारे पथ-प्रदर्शक इन सभी प्रश्नों का उत्तर बखूबी देती है। | ऐसे अनेक प्रश्न छात्र तथा विभिन्न राष्ट्रपति से उनकी जुड़ी युवाशक्ति भारत के दूरदर्शी राष्ट्रपति से उनकी यात्राओं में अकसर पूछते हैं। राष्ट्रपति डॉ. कलाम की यह नवीनतम कृति ‘हमारे पथ-प्रदर्शक इन सभी प्रश्नों का उत्तर बखूबी देती है। | ||
छात्रों एवं युवाओं हेतु प्रेरणा की स्रोत महान् विभूतियों के कृतित्व का भावपूर्ण वर्णन। कैसे वे | छात्रों एवं युवाओं हेतु प्रेरणा की स्रोत महान् विभूतियों के कृतित्व का भावपूर्ण वर्णन। कैसे वे महान् बने और वे कौन से कारक एवं तथ्य थे जिन्होंने उन्हें महान् बनाया। | ||
अभी तक पाठकों को राष्ट्रपति डॉ. कलाम के वैज्ञानिक स्वरूप एवं प्रगतिशील चिंतन की ही जानकारी रही है, जो उनके महान् व्यक्तित्व का एक पक्ष रहा है। उनके व्यक्तित्व का दूसरा प्रबल पक्ष उनका आध्यात्मिक चिंतन है। प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. कलाम की आध्यात्मिक चिंतन प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन है। | अभी तक पाठकों को राष्ट्रपति डॉ. कलाम के वैज्ञानिक स्वरूप एवं प्रगतिशील चिंतन की ही जानकारी रही है, जो उनके महान् व्यक्तित्व का एक पक्ष रहा है। उनके व्यक्तित्व का दूसरा प्रबल पक्ष उनका आध्यात्मिक चिंतन है। प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. कलाम की आध्यात्मिक चिंतन प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन है। | ||
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*प्रथम खंड में अनुभव चिंतन कल्पना संवेग अनुभूति संवेदना बोध, अंतर्दृष्टि और ज्ञान तथा मस्तिष्क एवं संवेग से उत्पन्न होने वाली विभिन्न स्थितियों की अंतरंगता की अवधारणा स्पष्ट की गई है। | *प्रथम खंड में अनुभव चिंतन कल्पना संवेग अनुभूति संवेदना बोध, अंतर्दृष्टि और ज्ञान तथा मस्तिष्क एवं संवेग से उत्पन्न होने वाली विभिन्न स्थितियों की अंतरंगता की अवधारणा स्पष्ट की गई है। | ||
*द्वितीय खंड में कुछ ऐसे | *द्वितीय खंड में कुछ ऐसे महान् व्यक्तियों के जीवन के मूल तत्त्वों को प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने अलग-अलग कालखंडों में जन्म लेकर मानवजाति के समक्ष भौतिक चिंतन एवं श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। महान् व्यक्तियों की इस सूची में हमने कुछ आधुनिक लब्धप्रतिष्ठ व्यक्तियों को भी निस्संकोच शामिल किया है। सुदूर अतीत में हुए महिमामंडित व्यक्तियों में महानता के लक्षणों की चर्चा करना बड़ा आसान होता है; परंतु अपने आस-पास उपस्थित अन्य लोगों में महानता देख पाना किंचित कठिन ही होता है। यद्यपि यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। | ||
*पुस्तक के अंतिम खंड में आत्मिक यात्रा और उसके विभिन्न स्वरूपों को शाश्वत तत्त्व के विस्तार के रूप में वर्णित किया गया है। <ref>{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=1682 |title=हमारे पथ प्रदर्शक |accessmonthday=14 दिसम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय साहित्य संग्रह |language=हिंदी }}</ref> | *पुस्तक के अंतिम खंड में आत्मिक यात्रा और उसके विभिन्न स्वरूपों को शाश्वत तत्त्व के विस्तार के रूप में वर्णित किया गया है। <ref>{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=1682 |title=हमारे पथ प्रदर्शक |accessmonthday=14 दिसम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय साहित्य संग्रह |language=हिंदी }}</ref> | ||
Latest revision as of 13:47, 6 September 2017
हमारे पथ प्रदर्शक -अब्दुल कलाम
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लेखक | अब्दुल कलाम, अरुण तिवारी |
मूल शीर्षक | हमारे पथ प्रदर्शक |
प्रकाशक | प्रभात प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि | 18 मार्च, 2006 |
ISBN | 81-7315-557-7 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 174 |
भाषा | हिंदी |
हमारे पथ प्रदर्शक भारत के ग्याहरवें राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन' के नाम से प्रसिद्ध 'ए.पी.जे. अब्दुल कलाम' की चर्चित पुस्तक है। मैं क्या हूँ और क्या बन सकता हूँ ? वे कौन लोग थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपना-अपना विशिष्ट योगदान देकर मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा की ? कैसे मैं इस मायावी संसार में दिग्भ्रमित हुए बिना अग्रसर हो सकता हूँ ? कैसे मैं दैनिक जीवन में होने वाले तनाव पर काबू पा सकता हूँ ?
ऐसे अनेक प्रश्न छात्र तथा विभिन्न राष्ट्रपति से उनकी जुड़ी युवाशक्ति भारत के दूरदर्शी राष्ट्रपति से उनकी यात्राओं में अकसर पूछते हैं। राष्ट्रपति डॉ. कलाम की यह नवीनतम कृति ‘हमारे पथ-प्रदर्शक इन सभी प्रश्नों का उत्तर बखूबी देती है। छात्रों एवं युवाओं हेतु प्रेरणा की स्रोत महान् विभूतियों के कृतित्व का भावपूर्ण वर्णन। कैसे वे महान् बने और वे कौन से कारक एवं तथ्य थे जिन्होंने उन्हें महान् बनाया।
अभी तक पाठकों को राष्ट्रपति डॉ. कलाम के वैज्ञानिक स्वरूप एवं प्रगतिशील चिंतन की ही जानकारी रही है, जो उनके महान् व्यक्तित्व का एक पक्ष रहा है। उनके व्यक्तित्व का दूसरा प्रबल पक्ष उनका आध्यात्मिक चिंतन है। प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. कलाम की आध्यात्मिक चिंतन प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन है। यह पुस्तक प्रत्येक भारतीय को प्रेरित कर मानवता का मार्ग प्रशस्त करेगी, ऐसा विश्वास है।
- सदाचार स्तोत्र
- सदाचार से चरित्र में निर्मलता आती है।
- चरित्र की निर्मलता से घर परिवार में समरसता आती है।
- घर-परिवार में समरसता से राष्ट्र में व्यवस्था आती है।
- राष्ट्र की व्यवस्था से दुनिया में गतिशीलता और विकासशीलता आती है।
आमुख
मेरी पुस्तक ‘तेजस्वी मन’ में एक स्वप्न का प्रसंग आता है, जिसमें मैंने पाँच महान् व्यक्तियों सम्राट अशोक, अब्राहम लिंकन, महात्मा गांधी, खलीफा उमर और आइंस्टाइन का ज़िक्र किया है। स्वप्न में ये पाँचों प्रबुद्ध व्यक्ति चांदनी में नहाई मरुभूमि में मनुष्य की उन्मतत्ता के संबंध में बातचीत कर रहे हैं- 'आखिर मनुष्य स्वयं ही मानव जाति के विध्वंस पर क्यों उतारू है, जबकि इस कार्य में अंततोगत्वा उसे ही पीड़ित होना पड़ता है।' इस स्वप्न के माध्यम से पुस्तक में सृजानात्मक चिंतन प्रक्रिया पर बल देते हुए श्रेष्ठ मानव मूल्यों का प्रतिपादन किया गया है। पुस्तक का प्रकाशन जुलाई 2002 में मेरे राष्ट्रपति पद ग्रहण करने की पूर्व संध्या पर हुआ था।
डॉ. कलाम की नज़र से
मेरे मित्र और ‘अग्नि की उड़ान’ (Wings of Fire) के मेरे सहलेखक अरुण तिवारी की मेरे साथ राष्टपति भवन में हुई भेंटों और यात्राओं के दौरान हुए वार्त्तालाप का एक लंबा सिलसिला रहा है। हम अकसर मुग़ल गार्डन में अमर कुटी (Immortal Hut) में बैठा करते, जहाँ अरुण मुझसे विभिन्न सर्वजीवनोपयोगी विषयों पर सुनते-सुनाते और मेरे विचारों को अपने लैपटॉप कंप्यूटर पर दर्ज करते जाते। बाद में उन्होंने हमारे वार्त्तालापों की चिंतन प्रक्रिया का विस्तार करके उसे एक व्यवस्थित संवाद रूप में प्रस्तुत किया। भारतीय संस्कृति में शिक्षक और शिष्य के संबंध में यह माना जाता है कि शिक्षा के चलते शिष्य के कुछ गुण अपरिहार्य रूप से उसके शिक्षक के गुणों के साथ समाहित हो जाते हैं; अरुण ने शिक्षक में अपने सद्गुण हृदयगम कराकर एक उल्लेखनीय कार्य किया है।
पुस्तक को तीन खंडों में व्यवस्थित किया गया है -
- प्रथम खंड में अनुभव चिंतन कल्पना संवेग अनुभूति संवेदना बोध, अंतर्दृष्टि और ज्ञान तथा मस्तिष्क एवं संवेग से उत्पन्न होने वाली विभिन्न स्थितियों की अंतरंगता की अवधारणा स्पष्ट की गई है।
- द्वितीय खंड में कुछ ऐसे महान् व्यक्तियों के जीवन के मूल तत्त्वों को प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने अलग-अलग कालखंडों में जन्म लेकर मानवजाति के समक्ष भौतिक चिंतन एवं श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। महान् व्यक्तियों की इस सूची में हमने कुछ आधुनिक लब्धप्रतिष्ठ व्यक्तियों को भी निस्संकोच शामिल किया है। सुदूर अतीत में हुए महिमामंडित व्यक्तियों में महानता के लक्षणों की चर्चा करना बड़ा आसान होता है; परंतु अपने आस-पास उपस्थित अन्य लोगों में महानता देख पाना किंचित कठिन ही होता है। यद्यपि यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
- पुस्तक के अंतिम खंड में आत्मिक यात्रा और उसके विभिन्न स्वरूपों को शाश्वत तत्त्व के विस्तार के रूप में वर्णित किया गया है। [1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हमारे पथ प्रदर्शक (हिंदी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2013।
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