संविधान संशोधन- 63वाँ: Difference between revisions
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*इस पर पुनर्विचार करने पर सरकार ने निर्णय किया कि संशोधन में पंजाब में आपात स्थिति की घोषणा के संबंध में जिस विशेष अधिकारी की व्यवस्था की गई थी, उसकी अब | *इस पर पुनर्विचार करने पर सरकार ने निर्णय किया कि संशोधन में पंजाब में आपात स्थिति की घोषणा के संबंध में जिस विशेष अधिकारी की व्यवस्था की गई थी, उसकी अब ज़रूरत नहीं रही। | ||
*तद्नुसार, अनुच्छेद 356 की धारा 5 तथा अनुच्छेद 359(क) को हटा दिया गया है। | *तद्नुसार, अनुच्छेद 356 की धारा 5 तथा अनुच्छेद 359(क) को हटा दिया गया है। | ||
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संविधान संशोधन- 63वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
63वाँ संशोधन | 1989 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (63वाँ संशोधन) अधिनियम, 1989
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- संविधान (59 संशोधन) अधिनियम मार्च 1988 में लागू किया गया, जिससे पंजाब में आपात स्थिति की घोषणा और राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि के संबंध में कुछ परिवर्तन किए गए थे।
- इस पर पुनर्विचार करने पर सरकार ने निर्णय किया कि संशोधन में पंजाब में आपात स्थिति की घोषणा के संबंध में जिस विशेष अधिकारी की व्यवस्था की गई थी, उसकी अब ज़रूरत नहीं रही।
- तद्नुसार, अनुच्छेद 356 की धारा 5 तथा अनुच्छेद 359(क) को हटा दिया गया है।
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