सोमयज्ञ: Difference between revisions

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#[[अग्निहोत्र|अग्निहोत्रम्]]
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#दर्शपौर्णमास
#[[दर्शपौर्णमास यज्ञ|दर्शपौर्णमास]]
#[[चातुर्मास्य यज्ञ|चातुर्मास्य]]
#[[चातुर्मास्य यज्ञ|चातुर्मास्य]]
#[[पशु यज्ञ|पशुयाग]]
#[[पशु यज्ञ|पशुयाग]]

Latest revision as of 05:42, 22 February 2020

सोमलता द्वारा जो यज्ञ किया जाता है, उसे सोम यज्ञ कहते हैं। यह बसन्त में होता है। यह यज्ञ एक ही दिन में पूर्ण होता है। इस यज्ञ में 16 ऋत्विक ब्राह्मण होते हैं।

अमावस्या और पूर्णिमा को होने वाले यज्ञ को दर्श और पौर्णमास कहते हैं! इस यज्ञ का अधिकार सपत्नीक होता है। इस यज्ञ का अनुष्ठान आजीवन करना चाहिए। यदि कोई जीवन भर करने में असमर्थ है तो 30 वर्ष तक करना चाहिए।[1]

वेदों में अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन मिलता है, किन्तु उनमें पांच यज्ञ ही प्रधान माने गये हैं-

  1. अग्निहोत्रम्
  2. दर्शपौर्णमास
  3. चातुर्मास्य
  4. पशुयाग
  5. सोमयज्ञ


उपरोक्त पाॅंच प्रकार के यज्ञ कहे गये हैं। ये सभी श्रुति प्रतिपादित हैं। वेदों में श्रौत यज्ञों की अत्यन्त महिमा वर्णित है। श्रौत यज्ञों को श्रेष्ठतम कर्म कहा है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जानिए यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं… (हिंदी) hanumanfanclub.in। अभिगमन तिथि: 14 फरवरी, 2020।

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