मथुरा रिफ़ाइनरी: Difference between revisions
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आज के युग में पैट्रोलियम [[पदार्थ|पदार्थों]] का महत्त्व सतत रूप से बढ़ता जा रहा है। चाहे [[कृषि]] का क्षेत्र हो या उद्योग, देश की सीमाओं की सुरक्षा का सवाल हो या घर की रसोई, यातायात के साधन हों अथवा गाँव के लालटेन की रोशनी हर जगह पैट्रोलियम पदार्थ महत्त्वपूर्ण है। इन्हीं पैट्रोलियम पदार्थों को देश के उत्तर-पश्चिमी प्रान्तों की आवश्यकता पूर्ति के लिए भगवान [[कृष्ण]] की इस कर्मभूमि में 60 लाख टन प्रतिवर्ष कच्चा तेल | '''मथुरा रिफ़ाइनरी''' [[दिल्ली]]-[[आगरा]] के मध्य [[राष्ट्रीय राजमार्ग 2]] (NH-2) पर [[मथुरा]] में स्थित है। आज के युग में पैट्रोलियम [[पदार्थ|पदार्थों]] का महत्त्व सतत रूप से बढ़ता जा रहा है। चाहे [[कृषि]] का क्षेत्र हो या उद्योग, देश की सीमाओं की सुरक्षा का सवाल हो या घर की रसोई, यातायात के साधन हों अथवा गाँव के लालटेन की रोशनी हर जगह पैट्रोलियम पदार्थ महत्त्वपूर्ण है। इन्हीं पैट्रोलियम पदार्थों को देश के उत्तर-पश्चिमी प्रान्तों की आवश्यकता पूर्ति के लिए भगवान [[कृष्ण]] की इस कर्मभूमि में 60 लाख टन प्रतिवर्ष कच्चा तेल साफ़ करने वाली देश की अत्याधुनिक रिफ़ाइनरी की स्थापना की गई। हमारे प्रथम प्रधानमन्त्री [[जवाहरलाल नेहरू|पं. जवाहरलाल नेहरू]] ने इन्हीं कारखानों को आधुनिक मन्दिर की संज्ञा दी थी। '''[[2 अक्टूबर]], [[1972]] को तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] श्रीमती [[इंदिरा गाँधी]] द्वारा मथुरा रिफ़ाइनरी का शिलान्यास किया गया।''' | ||
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मथुरा रिफ़ाइनरी में वायु द्वारा संचालित संप्रेक्षण तथा परिमति पर आधारित नियंत्रण व्यवस्था अपनायी गई यद्यपि यह तकनीक सर्वाधिक सुरक्षित है किन्तु उन्नत नियंत्रण कौशल व आधुनिकतम तकनीक अपनाने की इस व्यवस्था की अपनी सीमाएँ हैं। इसी संन्दर्भ में रिफ़ाइनरी आधुनिकतम तकनीकी डिस्ट्रीब्यूटेड डिजीटल कन्ट्रोल सिस्टम को मथुरा रिफ़ाइनरी में शुरू किया गया है। प्रथम चरण में एटमास्फिरक वैक्यूम यूनिट, विस्ब्रेकर यूनिट तथा मेराक्स यूनिट का नियंत्रण इसके तहत हाथ में लिया गया है तथा भविष्य में अन्य यूनिटें भी इस प्रणाली के अन्तर्गत ली जायेगी। डिस्ट्रीब्यूटेड डिजीटल कन्ट्रोल सिस्टम रिफ़ाइनरी तकनीक में एक नए युग की | मथुरा रिफ़ाइनरी में वायु द्वारा संचालित संप्रेक्षण तथा परिमति पर आधारित नियंत्रण व्यवस्था अपनायी गई यद्यपि यह तकनीक सर्वाधिक सुरक्षित है किन्तु उन्नत नियंत्रण कौशल व आधुनिकतम तकनीक अपनाने की इस व्यवस्था की अपनी सीमाएँ हैं। इसी संन्दर्भ में रिफ़ाइनरी आधुनिकतम तकनीकी डिस्ट्रीब्यूटेड डिजीटल कन्ट्रोल सिस्टम को मथुरा रिफ़ाइनरी में शुरू किया गया है। प्रथम चरण में एटमास्फिरक वैक्यूम यूनिट, विस्ब्रेकर यूनिट तथा मेराक्स यूनिट का नियंत्रण इसके तहत हाथ में लिया गया है तथा भविष्य में अन्य यूनिटें भी इस प्रणाली के अन्तर्गत ली जायेगी। डिस्ट्रीब्यूटेड डिजीटल कन्ट्रोल सिस्टम रिफ़ाइनरी तकनीक में एक नए युग की शुरुआत है। | ||
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मथुरा रिफ़ाइनरी विश्व के आश्चर्य [[ताजमहल]], [[सिकंदरा आगरा|सिकंदरा]] व अन्य ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों व [[भरतपुर]] पक्षी बिहार जैसे महत्त्वपूर्ण स्थानों से घिरी हुई है। इन स्थानों से मथुरा रिफ़ाइनरी की निकटता के कारण मथुरा रिफ़ाइनरी प्रबन्धन ने प्रारम्भ से ही पर्यावरण के संरक्षण को सर्वाधिक प्राथमिकता दी है। कारखाने के शुरू होने से प्रदूषण न बढ़े इसलिए पर्यावरण संरक्षण कार्यों पर 10 करोड़ रुपये खर्च किये गये। इस दिशा में विस्तृत प्रबन्ध किए गये। | मथुरा रिफ़ाइनरी विश्व के आश्चर्य [[ताजमहल]], [[सिकंदरा आगरा|सिकंदरा]] व अन्य ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों व [[भरतपुर]] पक्षी बिहार जैसे महत्त्वपूर्ण स्थानों से घिरी हुई है। इन स्थानों से मथुरा रिफ़ाइनरी की निकटता के कारण मथुरा रिफ़ाइनरी प्रबन्धन ने प्रारम्भ से ही पर्यावरण के संरक्षण को सर्वाधिक प्राथमिकता दी है। कारखाने के शुरू होने से [[प्रदूषण]] न बढ़े इसलिए पर्यावरण संरक्षण कार्यों पर 10 करोड़ रुपये खर्च किये गये। इस दिशा में विस्तृत प्रबन्ध किए गये। | ||
#मथुरा रिफ़ाइनरी से [[आगरा]] के बीच [[फरह]], [[कीठम]] व सिकन्दरा तथा भरतपुर में स्थित वायु की स्थिति व प्रदूषण स्तर नापने के लिए चार केन्द्र (एयर मानीटरिंग स्टेशन) रिफ़ाइनरी शुरू होने से पहले ही स्थापित किए गये। | #मथुरा रिफ़ाइनरी से [[आगरा]] के बीच [[फरह]], [[कीठम]] व सिकन्दरा तथा भरतपुर में स्थित वायु की स्थिति व प्रदूषण स्तर नापने के लिए चार केन्द्र (एयर मानीटरिंग स्टेशन) रिफ़ाइनरी शुरू होने से पहले ही स्थापित किए गये। | ||
#अधिक ऊँची चिमनियाँ (80-120 मीटर) लगाई गई ताकि उनसे उत्सर्जित [[गैस|गैसें]] अच्छी तरह ऊपर चले जाएँ तथा बेहतर ढंग से छितराया जा सके। | #अधिक ऊँची चिमनियाँ (80-120 मीटर) लगाई गई ताकि उनसे उत्सर्जित [[गैस|गैसें]] अच्छी तरह ऊपर चले जाएँ तथा बेहतर ढंग से छितराया जा सके। | ||
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#आधुनिकतम उपकरण जो चिमनियों से निकलने वाली गैसों की निरन्तर निगरानी कर सके, प्रदान किए गये। | #आधुनिकतम उपकरण जो चिमनियों से निकलने वाली गैसों की निरन्तर निगरानी कर सके, प्रदान किए गये। | ||
#भट्टियों (फरनेस) में केवल कम सल्फर वाले ईधन का उपयोग। | #भट्टियों (फरनेस) में केवल कम सल्फर वाले ईधन का उपयोग। | ||
#एक चलती फिरती सुसज्जित गाड़ी (एयर मानीटरिंग वेन) वायु स्थिति व प्रदूषण की जाँच के लिये। | #एक चलती फिरती सुसज्जित गाड़ी (एयर मानीटरिंग वेन) वायु स्थिति व [[प्रदूषण]] की जाँच के लिये। | ||
वायु की गुणवत्ता सम्बन्धी आँकड़े यही दर्शाते हैं कि रिफ़ाइनरी के बनने के बाद से यहाँ के पर्यावरण पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा है बल्कि सरकार व जन सामान्य को पहले से कही अधिक जागरुकता पर्यावरण संरक्षण के प्रति जाग्रत हुई है। | वायु की गुणवत्ता सम्बन्धी आँकड़े यही दर्शाते हैं कि रिफ़ाइनरी के बनने के बाद से यहाँ के पर्यावरण पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा है बल्कि सरकार व जन सामान्य को पहले से कही अधिक जागरुकता पर्यावरण संरक्षण के प्रति जाग्रत हुई है। | ||
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यही नहीं, कारखाने से निकलने वाले बेकार गन्दे पानी बहिःस्त्राव जल के उपचार के लिए भी सर्वश्रेष्ठ साधनों, उपकरणों व प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। यह निस्सारी (एफ्ल्यूएन्ट) जल तीन चरणों में साथ किया जाता है। | यही नहीं, कारखाने से निकलने वाले बेकार गन्दे पानी बहिःस्त्राव जल के उपचार के लिए भी सर्वश्रेष्ठ साधनों, उपकरणों व प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। यह निस्सारी (एफ्ल्यूएन्ट) जल तीन चरणों में साथ किया जाता है। | ||
#प्रथम चरण में भौतिक प्रक्रिया के अन्तर्गत इस जल को ए. पी. आई. सैपरेटर द्वारा किया जाता है। रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा सल्फाइड अलग किए जाते हैं। | #प्रथम चरण में भौतिक प्रक्रिया के अन्तर्गत इस जल को ए. पी. आई. सैपरेटर द्वारा किया जाता है। रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा सल्फाइड अलग किए जाते हैं। | ||
#दूसरे चरण में ट्रिकिंलिंग फिल्टर व एरेटर द्वारा जैव विज्ञानी प्रक्रिया से जल | #दूसरे चरण में ट्रिकिंलिंग फिल्टर व एरेटर द्वारा जैव विज्ञानी प्रक्रिया से जल साफ़ किया जाता है। | ||
#तीसरे चरण में इस पानी को '''पॉलशिग पॉन्ड''' में कुछ दिन रखा जाता है जिससे इसमें उपस्थित ऑर्गोनिक [[तत्व|तत्वों]] का ऑक्सीकरण हो सके और पानी पूर्णतः स्वच्छ हो जाये। इसी पानी की निकासी बरारी सिंचाई नहर में की जाती है और इसका उपयोग करके आस-पास के कृषक अपने खेतों को हरा कर रहे हैं-खुशहाल हो रहे हैं। | #तीसरे चरण में इस पानी को '''पॉलशिग पॉन्ड''' में कुछ दिन रखा जाता है जिससे इसमें उपस्थित ऑर्गोनिक [[तत्व|तत्वों]] का ऑक्सीकरण हो सके और पानी पूर्णतः स्वच्छ हो जाये। इसी पानी की निकासी बरारी सिंचाई नहर में की जाती है और इसका उपयोग करके आस-पास के कृषक अपने खेतों को हरा कर रहे हैं-खुशहाल हो रहे हैं। | ||
इस बहिःस्त्राव जल की निकासी से पूर्व कड़ी जाँच की जाती है तथा इस जल की गुणवत्ता से संतुष्ट होकर ही इस जल की निकासी की जाती है। जल की उत्कृष्टता को रिफ़ाइनरी प्रारम्भ होने के बाद से लगातार बनाए रखा जा रहा है तथा इसकी गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों से भी बेहतर है। | इस बहिःस्त्राव जल की निकासी से पूर्व कड़ी जाँच की जाती है तथा इस जल की गुणवत्ता से संतुष्ट होकर ही इस जल की निकासी की जाती है। जल की उत्कृष्टता को रिफ़ाइनरी प्रारम्भ होने के बाद से लगातार बनाए रखा जा रहा है तथा इसकी गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों से भी बेहतर है। | ||
मथुरा रिफ़ाइनरी द्वारा [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] के सहयोग से '''प्रयोगात्मक कृषि फार्म परियोजना''' शुरू की गई। इस परियोजना के अंतर्गत अध्ययन सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आर. एच. सिद्दीकी व | मथुरा रिफ़ाइनरी द्वारा [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] के सहयोग से '''प्रयोगात्मक कृषि फार्म परियोजना''' शुरू की गई। इस परियोजना के अंतर्गत अध्ययन सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आर. एच. सिद्दीकी व डॉ. सैनी तथा वनस्पतिशास्त्र के डॉ. समीउल्लाह के निर्देशों में किया जा रहा है जिसका उद्देश्य रिफ़ाइनरी के बहिःस्त्राव जल से इस क्षेत्र में होने वाली विभिन्न फ़सलों का अध्ययन करना है इसमें बहिःस्त्राव के मिट्टी के अलावा फ़सलों में वृद्धि गुणवत्ता व उत्पादन पर असर का भी अध्ययन किया गया। प्रथम चरण में यह अध्ययन तीन वर्ष के लिए था। मथुरा रिफ़ाइनरी की भूमि पर बरारी पम्प हाउस के नज़दीक 12 मीटर 40 मीटर के क्षेत्र में यह प्रगोगात्मक फार्म विकसित किया गया। | ||
==ग्रामीण विकास कार्य== | ==ग्रामीण विकास कार्य== |
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[[चित्र:Mathura-Refinery-1.jpg|मथुरा रिफ़ाइनरी, मथुरा
Mathura Refinery, Mathura|thumb|300px]]
मथुरा रिफ़ाइनरी दिल्ली-आगरा के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (NH-2) पर मथुरा में स्थित है। आज के युग में पैट्रोलियम पदार्थों का महत्त्व सतत रूप से बढ़ता जा रहा है। चाहे कृषि का क्षेत्र हो या उद्योग, देश की सीमाओं की सुरक्षा का सवाल हो या घर की रसोई, यातायात के साधन हों अथवा गाँव के लालटेन की रोशनी हर जगह पैट्रोलियम पदार्थ महत्त्वपूर्ण है। इन्हीं पैट्रोलियम पदार्थों को देश के उत्तर-पश्चिमी प्रान्तों की आवश्यकता पूर्ति के लिए भगवान कृष्ण की इस कर्मभूमि में 60 लाख टन प्रतिवर्ष कच्चा तेल साफ़ करने वाली देश की अत्याधुनिक रिफ़ाइनरी की स्थापना की गई। हमारे प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने इन्हीं कारखानों को आधुनिक मन्दिर की संज्ञा दी थी। 2 अक्टूबर, 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा मथुरा रिफ़ाइनरी का शिलान्यास किया गया।
कच्चे तेल का शोधन
रिफ़ाइनरी द्वारा 50 प्रतिशत बॉम्बे हाई तथा 50 प्रतिशत कच्चे तेल का शोधन किया जाता है। आयातित तथा बॉम्बे हाई दोनों कच्चे तेल सलाया से मथुरा रिफ़ाइनरी 1085 किलोमीटर लम्बी पाइपलाइन के जरिए लाया जाता है। पैट्रोलियम पदार्थों को देश के विभिन्न भागों में टैंकरों तथा रेल वैगनों से भेजने के अलावा दिल्ली, जालंधर व अम्बाला 513 किलोमीटर लम्बी पाइपलाइन के जरिए भेजा जाता है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन
देश की 12वीं तथा इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की इस छठी रिफ़ाइनरी में तेल शोधन की आधुनिकतम तकनीक का उपयोग किया गया है। मथुरा रिफ़ाइनरी के निर्माण में देशीय क्षमताओं का अधिकतम उपयोग किया गया है। इस रिफ़ाइनरी के लिए एक भारतीय कम्पनी ने (मैसर्स इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड) एक प्रमुख सलाहकार तथा तकनीकी ठेकेदार के रूप में काम किया। रिफ़ाइनरी में निर्माण कार्य पूर्णतः भारतीय ठेकेदारों द्वारा किया गया। सयंत्रों और उपकरणों की सप्लाई भी मुख्यतया भारतीय स्रोतों के द्वारा ही की गई। रिफ़ाइनरी द्वारा उत्पादित मुख्य पैट्रोलियम पदार्थ है घरेलू काम में आने वाली एल. पी. जी., फ्यूल गैस, नैप्था, कैरोसिन, एवीएशन टरबाइन फ्यूल, हाई स्पीड डीज़ल, लाइट ऑयल, फ्यूल ऑइल, बिटूमिन तथा सल्फर। यहाँ से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा राजस्थान को पैट्रोलियम पदार्थ भेजे जाते हैं।
प्रतिवर्ष की क्षमता
मथुरा रिफ़ाइनरी विगत 5 वर्षों से अपनी 60 लाख टन प्रतिवर्ष की क्षमता से अधिक कच्चे तेल का शोधन कर पश्चिमी प्रान्तों में पैट्रोलियम पदार्थों की उपलब्धता को बेहतर बनाने के लिए लगतार प्रयत्नशील है। मथुरा रिफ़ाइनरी ने वर्ष 1988-89 के दौरान 60.56 लाख टन कच्चे तेल का शोधन किया कीर्तिमान है। इससे पूर्व वर्ष 1987-88 में रिफ़ाइनरी ने 65.53 लाख टन तेल का शोधन किया।
रिफ़ाइनरी के लिए वर्ष 1988-89 का मार्च माह उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा जिसके दौरान 7325 हज़ार मीट्रिक टन तेल शोधन किया गया जो कि एक माह में तेल शोधन का कीर्तिमान है। मार्च के दौरान, एक माह में औसत ब्रॉड गैज रेल वैगन भी 558 की कीर्तिमान संख्या में भरे गये। मथुरा रिफ़ाइनरी की द्वितीय इकाई फ्ल्यूड कैटेलिटिक क्रोकिंग यूनिट ने भी वर्ष 1988-89 के दौरान 1073 मिलियन मीट्रिक टन का थ्रू पूट अर्जित किया जो कि निर्धारित क्षमता का 107.3 प्रतिशत है।
पैट्रोलियम पदार्थ
मथुरा रिफ़ाइनरी ने इस वर्ष पैट्रोलियम हाई स्पीड डीज़ल, लाइट डीज़ल ऑयल तथा बिटूमन का कीर्तिमान उत्पादन किया। इसके अलावा, पैट्रोल, हाई स्पीड डीज़ल, लाइट डीज़ल ऑयल, रैजीडुअल फ्यूल ऑयल तथा सल्फर कीर्तिमान मात्रा में रिफ़ाइनरी से भेजे गये।
मथुरा रिफ़ाइनरी को कच्चा तेल उपलब्ध कराने वाली सलाया मथुरा पाइपलाइन ने 657 मिलियन मैट्रिक टन तेल प्राप्त किया, यह भी कीर्तिमान है। इस प्रकार, दिल्ली, जालन्धर, अम्बाला को पैट्रोलियम पदार्थ भेजने वाली 513 किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन के मथुरा टर्मिनल के 3.2 मिलियन मैट्रिक टन पैट्रोलियम पदार्थ प्रेषित कर 1987-88 के 3.00 मिलियन मैट्रिक टन के कीर्तिमान को बेहतर किया है।
विभिन्न क्षेत्रों को परम्परागत पैट्रोलियम पदार्थ की सप्लाई करने के अतिरिक्त मथुरा रिफ़ाइनरी फूलपुर, कोटा तथा पनकी को उर्वरक उत्पादन के लिए नेप्था और पानीपत नॉगल तथा भटिंडा उर्वरक कारखानों को फीड स्टाक के रूप में हैवी पैट्रोलियम भी प्रदान करती है। मथुरा रिफ़ाइनरी घरेलू काम में आने वाली एल. पी. जी. के उत्तरी क्षेत्र की 30 प्रतिशत से अधिक माँग को पूरा कर रही है तथा 87 स्थानों पर 155 इण्डेन डिस्ट्रव्यूटरों की मार्फत एल. पी. जी. उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए सप्लाई कर रही है।
क्षमता विस्तार
पैट्रोलियम जीवन के हर क्षेत्र में आज हमारी बाध्यता बनने जा रहे हैं और उनकी माँग लगातार बढ़ती जा रही है। इस बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए कुछ घरेलू तकनीकी परिवर्तन करके रिफ़ाइनरी की वर्तमान की वर्तमान क्षमता 60 लाख टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 75 लाख टन प्रतिवर्ष की जा रही है।
रिफ़ाइनरी तकनीक में एक नए युग
मथुरा रिफ़ाइनरी में वायु द्वारा संचालित संप्रेक्षण तथा परिमति पर आधारित नियंत्रण व्यवस्था अपनायी गई यद्यपि यह तकनीक सर्वाधिक सुरक्षित है किन्तु उन्नत नियंत्रण कौशल व आधुनिकतम तकनीक अपनाने की इस व्यवस्था की अपनी सीमाएँ हैं। इसी संन्दर्भ में रिफ़ाइनरी आधुनिकतम तकनीकी डिस्ट्रीब्यूटेड डिजीटल कन्ट्रोल सिस्टम को मथुरा रिफ़ाइनरी में शुरू किया गया है। प्रथम चरण में एटमास्फिरक वैक्यूम यूनिट, विस्ब्रेकर यूनिट तथा मेराक्स यूनिट का नियंत्रण इसके तहत हाथ में लिया गया है तथा भविष्य में अन्य यूनिटें भी इस प्रणाली के अन्तर्गत ली जायेगी। डिस्ट्रीब्यूटेड डिजीटल कन्ट्रोल सिस्टम रिफ़ाइनरी तकनीक में एक नए युग की शुरुआत है।
पर्यावरण संरक्षण
मथुरा रिफ़ाइनरी
Mathura Refinery|thumb|300px
मथुरा रिफ़ाइनरी विश्व के आश्चर्य ताजमहल, सिकंदरा व अन्य ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों व भरतपुर पक्षी बिहार जैसे महत्त्वपूर्ण स्थानों से घिरी हुई है। इन स्थानों से मथुरा रिफ़ाइनरी की निकटता के कारण मथुरा रिफ़ाइनरी प्रबन्धन ने प्रारम्भ से ही पर्यावरण के संरक्षण को सर्वाधिक प्राथमिकता दी है। कारखाने के शुरू होने से प्रदूषण न बढ़े इसलिए पर्यावरण संरक्षण कार्यों पर 10 करोड़ रुपये खर्च किये गये। इस दिशा में विस्तृत प्रबन्ध किए गये।
- मथुरा रिफ़ाइनरी से आगरा के बीच फरह, कीठम व सिकन्दरा तथा भरतपुर में स्थित वायु की स्थिति व प्रदूषण स्तर नापने के लिए चार केन्द्र (एयर मानीटरिंग स्टेशन) रिफ़ाइनरी शुरू होने से पहले ही स्थापित किए गये।
- अधिक ऊँची चिमनियाँ (80-120 मीटर) लगाई गई ताकि उनसे उत्सर्जित गैसें अच्छी तरह ऊपर चले जाएँ तथा बेहतर ढंग से छितराया जा सके।
- दो सल्फर रिकवरी यूनिटों की स्थापना ताकि ईंधन गैसों से सल्फर निकाला जा सके।
- आधुनिकतम उपकरण जो चिमनियों से निकलने वाली गैसों की निरन्तर निगरानी कर सके, प्रदान किए गये।
- भट्टियों (फरनेस) में केवल कम सल्फर वाले ईधन का उपयोग।
- एक चलती फिरती सुसज्जित गाड़ी (एयर मानीटरिंग वेन) वायु स्थिति व प्रदूषण की जाँच के लिये।
वायु की गुणवत्ता सम्बन्धी आँकड़े यही दर्शाते हैं कि रिफ़ाइनरी के बनने के बाद से यहाँ के पर्यावरण पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा है बल्कि सरकार व जन सामान्य को पहले से कही अधिक जागरुकता पर्यावरण संरक्षण के प्रति जाग्रत हुई है।
यही नहीं, कारखाने से निकलने वाले बेकार गन्दे पानी बहिःस्त्राव जल के उपचार के लिए भी सर्वश्रेष्ठ साधनों, उपकरणों व प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। यह निस्सारी (एफ्ल्यूएन्ट) जल तीन चरणों में साथ किया जाता है।
- प्रथम चरण में भौतिक प्रक्रिया के अन्तर्गत इस जल को ए. पी. आई. सैपरेटर द्वारा किया जाता है। रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा सल्फाइड अलग किए जाते हैं।
- दूसरे चरण में ट्रिकिंलिंग फिल्टर व एरेटर द्वारा जैव विज्ञानी प्रक्रिया से जल साफ़ किया जाता है।
- तीसरे चरण में इस पानी को पॉलशिग पॉन्ड में कुछ दिन रखा जाता है जिससे इसमें उपस्थित ऑर्गोनिक तत्वों का ऑक्सीकरण हो सके और पानी पूर्णतः स्वच्छ हो जाये। इसी पानी की निकासी बरारी सिंचाई नहर में की जाती है और इसका उपयोग करके आस-पास के कृषक अपने खेतों को हरा कर रहे हैं-खुशहाल हो रहे हैं।
इस बहिःस्त्राव जल की निकासी से पूर्व कड़ी जाँच की जाती है तथा इस जल की गुणवत्ता से संतुष्ट होकर ही इस जल की निकासी की जाती है। जल की उत्कृष्टता को रिफ़ाइनरी प्रारम्भ होने के बाद से लगातार बनाए रखा जा रहा है तथा इसकी गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों से भी बेहतर है।
मथुरा रिफ़ाइनरी द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रयोगात्मक कृषि फार्म परियोजना शुरू की गई। इस परियोजना के अंतर्गत अध्ययन सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आर. एच. सिद्दीकी व डॉ. सैनी तथा वनस्पतिशास्त्र के डॉ. समीउल्लाह के निर्देशों में किया जा रहा है जिसका उद्देश्य रिफ़ाइनरी के बहिःस्त्राव जल से इस क्षेत्र में होने वाली विभिन्न फ़सलों का अध्ययन करना है इसमें बहिःस्त्राव के मिट्टी के अलावा फ़सलों में वृद्धि गुणवत्ता व उत्पादन पर असर का भी अध्ययन किया गया। प्रथम चरण में यह अध्ययन तीन वर्ष के लिए था। मथुरा रिफ़ाइनरी की भूमि पर बरारी पम्प हाउस के नज़दीक 12 मीटर 40 मीटर के क्षेत्र में यह प्रगोगात्मक फार्म विकसित किया गया।
ग्रामीण विकास कार्य
मथुरा रिफ़ाइनरी सही मायने में ब्रज क्षेत्र के लिए सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का यन्त्र बन गई। इसने इस पूरे क्षेत्र में एक नई सम्पन्नता का संचार किया है तथा इसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सभी को लाभ हुआ। मथुरा रिफ़ाइनरी ने अपने आस-पास के गाँववासियों की मदद करने तथा उनके सामाजिक आर्थिक विकास और कल्याण के भी अनेक कार्य हाथ में लिए हैं। ग्रामीण विकास की ये गतिविधियाँ कोयला, अलीपुर, भैंसा, राँची, वाँगर, छँड़गाव तथा धानातेजा गाँवों में शुरू की गई।
इनके अन्तर्गत गाँवों की सड़कें व खरंजा बनवाने, पीने का पानी के सुलभ कराने तथा स्कूल भवन के निर्माण आदि के कार्य भी हाथ में लिए गये।
बच्चों को शिक्षा तथा महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण के लिए सुविधाएँ दी गई हैं। रिफ़ाइनरी द्वारा एक चिकित्सा वाहन की व्यवस्था भी की गई है जिसके तहत डॉक्टर इन गाँवों में जाकर अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
मानसी गंगा की सफाई
मथुरा रिफ़ाइनरी ब्रज क्षेत्र की साँस्कृतक धरोहर की सुरक्षा के प्रति भी पूर्ण जागरूक है। मानसी गंगा, गोवर्धन में स्थित एक पवित्र सरोवर है जिसके बारे में मान्यता है कि उसकी भगवान श्रीकृष्ण ने स्वंय रचना की थी। इस पवित्र सरोवर की सफाई के लिए मथुरा रिफ़ाइनरी द्वारा 10 लाख रुपये का अनुदान दिया गया।
प्रगति और विकास की उत्प्रेरक
मथुरा रिफ़ाइनरी के निर्माण के बाद प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ब्रज क्षेत्र को लाभ हुआ तथा विकास को एक नई दिशा मिली। जहाँ लोगों को रिफ़ाइनरी व उससे सम्बद्ध अन्य उपक्रमों में रोज़गार के अवसर सुलभ हुए वहीं अनेक उद्यमियों, व्यापारियों, ठेकेदारों को पनपने का मौक़ा मिला।