जैन चित्रकला: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:03, 12 January 2012
- 7वीं से 12वीं शताब्दी तक सम्पूर्ण भारत को प्रभावित करने वाली शैलियों में जैन शैली का प्रमुख स्थान है।
- जैनशैली का प्रथम प्रमाण सित्तनवासल की गुफा में बनी उन पाँच जैनमूर्तियों से प्राप्त होता है जो 7वीं शताब्दी के पल्लव नरेश महेन्द्र वर्मन के शासनकाल में बनी थीं।
- भारतीय चित्रकलाओं में काग़ज़ पर की गई चित्रकारी के कारण इसका प्रथम स्थान है।
- जैन चित्रकला शैली में जैन तीर्थंकरों-पार्श्वनाथ, नेमिनाथ, ऋषभनाथ, महावीर स्वामी आदि के चित्र सर्वाधिक प्राचीन हैं।
- जैन चित्रकला का नमूना जैन ग्रंथों के ऊपर लगी दफ्तियों या लकड़ी की पटरियों पर भी मिलता है जिसमें सीमित रेखाओं के माध्यम से तीव्र भावाभिव्यक्ति तथा आंखों के बड़े सुन्दर चित्र बनाये गये है।
- जैन चित्रकला शैली पर मुग़ल और ईरानी शैली का भी प्रभाव पड़ा है।
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