संविधान संशोधन- 77वाँ: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "कानून" to "क़ानून") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "पहूँच" to "पहुँच") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''भारत का संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम,1995''' | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
|चित्र=The-Constitution-Of-India.jpg | |||
|चित्र का नाम=भारत का संविधान | |||
|विवरण='[[भारतीय संविधान]]' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। [[संविधान]] में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। | |||
|शीर्षक 1=संविधान लागू होने की तिथि | |||
|पाठ 1=[[26 जनवरी]], [[1950]] | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3=77वाँ संशोधन | |||
|पाठ 3=[[1995]] | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|शीर्षक 6= | |||
|पाठ 6= | |||
|शीर्षक 7= | |||
|पाठ 7= | |||
|शीर्षक 8= | |||
|पाठ 8= | |||
|शीर्षक 9= | |||
|पाठ 9= | |||
|शीर्षक 10= | |||
|पाठ 10= | |||
|संबंधित लेख=[[भारतीय संविधान सभा|संविधान सभा]] | |||
|अन्य जानकारी='[[भारत का संविधान]]' [[ब्रिटेन]] की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि [[भारत]] में [[संसद]] नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''भारत का संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995''' | |||
*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया। | *[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया। | ||
*अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को 1955 से ही पदोन्नतियों में आरक्षण की सुविधा मिल रही है। | *अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को 1955 से ही पदोन्नतियों में आरक्षण की सुविधा मिल रही है। | ||
*लेकिन इंदिरा साहनी और अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य के मुकदमे में [[16 नवम्बर]] 1992 को [[उच्चतम न्यायालय]] ने अपने निर्णय में यह कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अंतर्गत नियुक्तियों अथवा पदों का आरक्षण केवल शुरू में की जाने वाली नियुक्ति पर लागू होता है तथा इसे पदोन्नतियों के मामले में आरक्षण पर लागू किया जा सकता है। | *लेकिन इंदिरा साहनी और अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य के मुकदमे में [[16 नवम्बर]] 1992 को [[उच्चतम न्यायालय]] ने अपने निर्णय में यह कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अंतर्गत नियुक्तियों अथवा पदों का आरक्षण केवल शुरू में की जाने वाली नियुक्ति पर लागू होता है तथा इसे पदोन्नतियों के मामले में आरक्षण पर लागू किया जा सकता है। | ||
*उच्चतम न्यायालय के इस फ़ैसले से अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। | *उच्चतम न्यायालय के इस फ़ैसले से अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। | ||
*चूंकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों का राज्य की नौकरियों में प्रतिनिधित्व अभी उस स्तर तक नहीं | *चूंकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों का राज्य की नौकरियों में प्रतिनिधित्व अभी उस स्तर तक नहीं पहुँचा है जिस स्तर पर होना चाहिए था, अत: अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने की वर्तमान छूट को जारी रखना आवशयक है। | ||
*अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने जारी रखना आवशयक है। | *अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने जारी रखना आवशयक है। | ||
*अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखने का फैसला किया है। | *अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखने का फैसला किया है। | ||
Line 12: | Line 42: | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{संविधान संशोधन}} | {{संविधान संशोधन}} |
Latest revision as of 13:33, 7 April 2018
संविधान संशोधन- 77वाँ
| |
विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
77वाँ संशोधन | 1995 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को 1955 से ही पदोन्नतियों में आरक्षण की सुविधा मिल रही है।
- लेकिन इंदिरा साहनी और अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य के मुकदमे में 16 नवम्बर 1992 को उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में यह कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अंतर्गत नियुक्तियों अथवा पदों का आरक्षण केवल शुरू में की जाने वाली नियुक्ति पर लागू होता है तथा इसे पदोन्नतियों के मामले में आरक्षण पर लागू किया जा सकता है।
- उच्चतम न्यायालय के इस फ़ैसले से अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
- चूंकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों का राज्य की नौकरियों में प्रतिनिधित्व अभी उस स्तर तक नहीं पहुँचा है जिस स्तर पर होना चाहिए था, अत: अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने की वर्तमान छूट को जारी रखना आवशयक है।
- अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने जारी रखना आवशयक है।
- अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखने का फैसला किया है।
- इसके लिए यह आवश्यक था कि संविधान के अनुच्छेद 16 में एक नई धारा (4 ए) जोड़कर उसमें संशोधन किया जाए, ताकि अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नतियों में आरक्षण प्रदान किया जा सके।
- यह क़ानून उपरोक्त उद्देश्य पूरा करने के लिए है।
|
|
|
|
|