सुमुखि सवैया: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('सुमुखि सवैया सात जगण और लघु-गुरु से यह छन्द बनता है; ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(4 intermediate revisions by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
सुमुखि सवैया सात जगण और लघु-गुरु से यह [[छन्द]] बनता है; 11, 12 वर्णों पर यति होती है। [[मदिरा सवैया]] आदि में लघु वर्ण जोड़ने से यह शब्द बनता है। *"सखीन सों देत उराहनो नित्य, सो चित्त सँकोच सने लहिये।" <ref>देव : शब्द रसायन, प्र. 10 : पृष्ठ 152</ref>
'''सुमुखि सवैया सात जगण और लघु-गुरु से [[छन्द]] बनता''' है; 11, 12 वर्णों पर यति होती है। [[मदिरा सवैया]] आदि में लघु वर्ण जोड़ने से यह शब्द बनता है।  
*"सखीन सों देत उराहनो नित्य, सो चित्त सँकोच सने लहिये।" <ref>[[देव (कवि)|देव]] : शब्द रसायन, प्र. 10 : पृष्ठ 152</ref>
*"अनन्य हिमांशु, सदा तरुणीजन की परिरम्भण-शीतलता।"<ref> चन्द्राकार</ref>
*"अनन्य हिमांशु, सदा तरुणीजन की परिरम्भण-शीतलता।"<ref> चन्द्राकार</ref>




{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
{{cite book | last =धीरेंद्र| first =वर्मा| title =हिंदी साहित्य कोश| edition =| publisher =| location =| language =हिंदी| pages =740| chapter =भाग- 1 पर आधारित}}
{{cite book | last =धीरेंद्र| first =वर्मा| title =हिंदी साहित्य कोश| edition =| publisher =| location =| language =हिंदी| pages =741| chapter =भाग- 1 पर आधारित}}


==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{छन्द}}
[[Category:व्याकरण]][[Category:हिन्दी भाषा]][[Category:भाषा कोश]][[Category:छंद]]
[[Category:व्याकरण]][[Category:हिन्दी भाषा]][[Category:भाषा कोश]][[Category:छन्द]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 14:07, 1 December 2011

सुमुखि सवैया सात जगण और लघु-गुरु से छन्द बनता है; 11, 12 वर्णों पर यति होती है। मदिरा सवैया आदि में लघु वर्ण जोड़ने से यह शब्द बनता है।

  • "सखीन सों देत उराहनो नित्य, सो चित्त सँकोच सने लहिये।" [1]
  • "अनन्य हिमांशु, सदा तरुणीजन की परिरम्भण-शीतलता।"[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देव : शब्द रसायन, प्र. 10 : पृष्ठ 152
  2. चन्द्राकार

धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख