शिवसमुद्रम: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
(3 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''शिवसमुद्रम''' [[कर्नाटक]] के [[मैसूर]] में स्थित है। सोमनाथपुर से लगभग 17 मील की दूरी पर [[कावेरी नदी|कावेरी]] की दो शाखाओं के मध्य में बसा यह छोटा-सा द्वीपनगर है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=901|url=}}</ref> | [[चित्र:Shivanasamudra-Falls-1.jpg|thumb|250px|शिवसमुद्रम जलप्रपात]] | ||
'''शिवसमुद्रम''' [[कर्नाटक]] के [[मैसूर]] में स्थित है। सोमनाथपुर से लगभग 17 मील की दूरी पर [[कावेरी नदी|कावेरी]] की दो शाखाओं के मध्य में बसा यह छोटा-सा द्वीपनगर है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=901|url=}}</ref><br /> | |||
<br /> | |||
*'गगनचक्की' और 'बराचक्की' नामक दो झरने द्वीप के निकट प्रकृति की रम्य छटा उपस्थित करते हैं। | *'गगनचक्की' और 'बराचक्की' नामक दो झरने द्वीप के निकट प्रकृति की रम्य छटा उपस्थित करते हैं। | ||
*शिवसमुद्रम द्वीप लगभग तीन मील लम्बा और पौन मील चौड़ा है। | |||
*[[शिव]] और [[विष्णु]] के दो विराटकाय और भव्य मंदिर इस स्थान के मुख्य स्मारक हैं। | *[[शिव]] और [[विष्णु]] के दो विराटकाय और भव्य मंदिर इस स्थान के मुख्य स्मारक हैं। | ||
*शिवसमुद्रम एक प्राचीन स्थान है। यह मैसूर नगर से | *शिवसमुद्रम एक प्राचीन स्थान है। यह मैसूर नगर से क़रीब 56 किलोमीटर उत्तर-पूरब में कावेरी नदी के दोआब में बसा है। | ||
*इस स्थान पर कावेरी का [[जल]], पहाड़ की बनावट के कारण, विशाल [[झील]] की तरह दिखाई देता है। इसी झील से थोड़ी दूर आगे कावेरी तीन सौ अस्सी फुट की ऊंचाई से जल-प्रपात के रूप में गिरती है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.indiawaterportal.org/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80|title= कावेरी|accessmonthday=23 अगस्त |accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=इण्डिया वाटर पोर्टल|language= हिन्दी}}</ref> | *इस स्थान पर कावेरी का [[जल]], पहाड़ की बनावट के कारण, विशाल [[झील]] की तरह दिखाई देता है। इसी झील से थोड़ी दूर आगे कावेरी तीन सौ अस्सी फुट की ऊंचाई से जल-प्रपात के रूप में गिरती है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.indiawaterportal.org/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80|title= कावेरी|accessmonthday=23 अगस्त |accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=इण्डिया वाटर पोर्टल|language= हिन्दी}}</ref> | ||
*[[कावेरी नदी]] तीन स्थानों पर दो शाखाओं में बंटकर फिर से एक हो जाती है, जिससे तीन द्वीप बन गए हैं। ये द्वीप हैं- 'आदिरंगम', 'शिवसमुद्रम' तथा '[[श्रीरंगम]]'। | |||
*यहाँ से 3 मील पर दक्षिण विडिगिरि रंग पर्वत है। [[पर्वत]] पर चम्पकारण्य क्षेत्र में श्रीनिवास मंदिर है। इसमें [[विष्णु|भगवान विष्णु]] की खड़ी मूर्ति है। | |||
*सन [[1902]] में [[भारत]] की सबसे पहली जलविद्युत परियोजना भी शिवसमुद्रम में ही स्थापित की गयी थी। | |||
*[[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में दक्षिण की विजय के समय [[कृष्णदेव राय|राजा कृष्णदेव राय]] ने शिवसमुद्रम के युद्ध में ही कावेरी के प्रवाह को परिवर्तित करके अपूर्व रण-कौशल का परिचय दिया था और उस अजेय जल [[दुर्ग]] को जीत लिया था। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Latest revision as of 04:05, 26 May 2021
thumb|250px|शिवसमुद्रम जलप्रपात
शिवसमुद्रम कर्नाटक के मैसूर में स्थित है। सोमनाथपुर से लगभग 17 मील की दूरी पर कावेरी की दो शाखाओं के मध्य में बसा यह छोटा-सा द्वीपनगर है।[1]
- 'गगनचक्की' और 'बराचक्की' नामक दो झरने द्वीप के निकट प्रकृति की रम्य छटा उपस्थित करते हैं।
- शिवसमुद्रम द्वीप लगभग तीन मील लम्बा और पौन मील चौड़ा है।
- शिव और विष्णु के दो विराटकाय और भव्य मंदिर इस स्थान के मुख्य स्मारक हैं।
- शिवसमुद्रम एक प्राचीन स्थान है। यह मैसूर नगर से क़रीब 56 किलोमीटर उत्तर-पूरब में कावेरी नदी के दोआब में बसा है।
- इस स्थान पर कावेरी का जल, पहाड़ की बनावट के कारण, विशाल झील की तरह दिखाई देता है। इसी झील से थोड़ी दूर आगे कावेरी तीन सौ अस्सी फुट की ऊंचाई से जल-प्रपात के रूप में गिरती है।[2]
- कावेरी नदी तीन स्थानों पर दो शाखाओं में बंटकर फिर से एक हो जाती है, जिससे तीन द्वीप बन गए हैं। ये द्वीप हैं- 'आदिरंगम', 'शिवसमुद्रम' तथा 'श्रीरंगम'।
- यहाँ से 3 मील पर दक्षिण विडिगिरि रंग पर्वत है। पर्वत पर चम्पकारण्य क्षेत्र में श्रीनिवास मंदिर है। इसमें भगवान विष्णु की खड़ी मूर्ति है।
- सन 1902 में भारत की सबसे पहली जलविद्युत परियोजना भी शिवसमुद्रम में ही स्थापित की गयी थी।
- भारतीय इतिहास में दक्षिण की विजय के समय राजा कृष्णदेव राय ने शिवसमुद्रम के युद्ध में ही कावेरी के प्रवाह को परिवर्तित करके अपूर्व रण-कौशल का परिचय दिया था और उस अजेय जल दुर्ग को जीत लिया था।
|
|
|
|
|