फ़ारसी शिलालेख: Difference between revisions
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[[भारत]] में [[मुस्लिम]] राज्य की स्थापना के पश्चात् [[फ़ारसी भाषा]] के लेख भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ये लेख मस्जिदों, दरगाहों, कब्रों, सरायों, तालाबों के घाटों, पत्थर आदि पर उत्कीर्ण करके लगाए गए थे। [[राजस्थान]] के [[मध्यकालीन इतिहास]] के निर्माण में इन लेखों से महत्त्वपूर्ण सहायता मिलती है। इनके माध्यम से [[राजपूत]] शासकों और [[दिल्ली]] के सुलतान तथा [[मुग़ल]] शासकों के मध्य लड़े गए युद्धों, राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों पर समय-समय पर होने वाले मुस्लिम आक्रमण, राजनीतिक संबंधों आदि का मूल्यांकन कर सकते हैं।<br /> | [[भारत]] में [[मुस्लिम]] राज्य की स्थापना के पश्चात् [[फ़ारसी भाषा]] के लेख भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ये लेख मस्जिदों, दरगाहों, कब्रों, सरायों, तालाबों के घाटों, पत्थर आदि पर उत्कीर्ण करके लगाए गए थे। [[राजस्थान]] के [[मध्यकालीन भारत|मध्यकालीन इतिहास]] के निर्माण में इन लेखों से महत्त्वपूर्ण सहायता मिलती है। इनके माध्यम से [[राजपूत]] शासकों और [[दिल्ली]] के सुलतान तथा [[मुग़ल]] शासकों के मध्य लड़े गए युद्धों, राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों पर समय-समय पर होने वाले मुस्लिम आक्रमण, राजनीतिक संबंधों आदि का मूल्यांकन कर सकते हैं।<br /> | ||
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Latest revision as of 11:37, 14 December 2021
फ़ारसी शिलालेख (अंग्रेज़ी: Persian Inscriptions)
भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना के पश्चात् फ़ारसी भाषा के लेख भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ये लेख मस्जिदों, दरगाहों, कब्रों, सरायों, तालाबों के घाटों, पत्थर आदि पर उत्कीर्ण करके लगाए गए थे। राजस्थान के मध्यकालीन इतिहास के निर्माण में इन लेखों से महत्त्वपूर्ण सहायता मिलती है। इनके माध्यम से राजपूत शासकों और दिल्ली के सुलतान तथा मुग़ल शासकों के मध्य लड़े गए युद्धों, राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों पर समय-समय पर होने वाले मुस्लिम आक्रमण, राजनीतिक संबंधों आदि का मूल्यांकन कर सकते हैं।
- इस प्रकार के लेख सांभर, नागौर, मेड़ता, जालौर, सांचोर, जयपुर, अलवर, टोंक, कोटा आदि क्षेत्रों में अधिक पाए गए हैं।
- फ़ारसी भाषा में लिखा सबसे पुराना लेख अजमेर के अढ़ाई दिन के झोंपड़े के गुम्बज की दीवार के पीछे लगा हुआ मिला है। यह लेख 1200 ई. का है और इसमें उन व्यक्तियों के नामों का उल्लेख है जिनके निर्देशन में संस्कृत पाठशाला तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया गया।
- चित्तौड़ की गैबी पीर की दरगाह से 1325 ई. का फ़ारसी लेख मिला है जिससे ज्ञात होता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ का नाम खिज्राबाद कर दिया था।[1]
- जालौर और नागौर से जो फ़ारसी लेख मिले हैं, उनसे इस क्षेत्र पर लम्बे समय तक मुस्लिम प्रभुत्व की जानकारी मिलती है।
- पुष्कर के जहाँगीर महल के लेख (1615 ई.) से राणा अमर सिंह पर जहाँगीर की विजय की जानकारी मिलती है। इस घटना की पुष्टि 1637 ई. के शाहजहानी मस्जिद, अजमेर के लेख से भी होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राजस्थान के अभिलेख (हिंदी) govtexamsuccess.com। अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2021।