चीरवे का शिलालेख: Difference between revisions
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Latest revision as of 09:16, 15 December 2021
चीरवे का शिलालेख (अंग्रेज़ी: Chirve Inscriptions) राजस्थान के इतिहास से सम्बंधित पुराना अभिलेख है। इस शिलालेख के समय मेवाड़ का शासक समर सिंह था। भुवनसिंहसूरि के शिष्य रत्नप्रभसूरी ने चित्तौड़ में रहते हुए चीरवा शिलालेख की रचना की और उनके मुख्य शिष्य पार्श्वचन्द ने, जो बड़े विद्वान थे, उसको सुन्दर लिपि में लिखा। पद्यसिंह के पुत्र केलिसिंह ने उसे खोदा और शिल्पी देल्हण ने उसे दीवार में लगाने आदि कार्य का सम्पादन किया।
- चीरवा गांव उदयपुर से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक मंदिर की बाहरी दीवार पर यह लेख लगा हुआ है।
- चीरवे शिलालेख में संस्कृत में 51 श्लोकों का वर्णन मिलता है।
- शिलालेख में गुहिल वंशीय, बप्पा, पद्मसिंह, जैत्रसिंह, तेजसिंह और समर सिंह का वर्णन मिलता है।
- इस शिलालेख में चीरवा गांव की स्थिति, विष्णु मंदिर की स्थापना, शिव मंदिर के लिए खेतों का अनुदान आदि विषयों का समावेश है।
- शिलालेख में मेवाड़ी गोचर भूमि, सती प्रथा, शैव धर्म आदि पर प्रकाश पड़ता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राजस्थान के अभिलेख (हिंदी) govtexamsuccess.com। अभिगमन तिथि: 15 दिसम्बर, 2021।