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- [[उत्तराखंड]] | - [[उत्तराखंड]] | ||
+ [[छत्तीसगढ़]] | + [[छत्तीसगढ़]] | ||
- मध्य प्रदेश | - [[मध्य प्रदेश]] | ||
- उत्तर प्रदेश | - [[उत्तर प्रदेश]] | ||
||छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरी और नागावंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन 980 से लेकर 1791 तक राज किया सन 1854 में अंग्रेज़ों के आक्रमण के बाद महत्त्व बढ़ गया सन 1904 में संबलपुर उड़ीसा में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई। छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखण्ड और उड़ीसा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर में उत्तर प्रदेश और पश्चिमी झारखण्ड और दक्षिण में आंध्र प्रदेश से घिरा है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[छत्तीसगढ़]] | ||छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरी और नागावंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन 980 से लेकर 1791 तक राज किया सन 1854 में अंग्रेज़ों के आक्रमण के बाद महत्त्व बढ़ गया सन 1904 में संबलपुर उड़ीसा में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई। छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखण्ड और उड़ीसा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर में उत्तर प्रदेश और पश्चिमी झारखण्ड और दक्षिण में आंध्र प्रदेश से घिरा है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[छत्तीसगढ़]] | ||
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- [[घूमर नृत्य]] | - [[घूमर नृत्य]] | ||
+ [[कथकली]] | + [[कथकली]] | ||
- | - गरबा | ||
- डांडिया | - डांडिया | ||
||इस नृत्य का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव भाव की उच्च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्यक्ति होती है जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[कथकली]] | ||इस नृत्य का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव भाव की उच्च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्यक्ति होती है जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[कथकली]] | ||
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- सरोद | - सरोद | ||
+ वीणा | + वीणा | ||
{ निम्नलिखित में से कौन-सा वाद्ययंत्र बिना तार का है? | { निम्नलिखित में से कौन-सा वाद्ययंत्र बिना तार का है? | ||
Line 158: | Line 151: | ||
+ नक्कारा | + नक्कारा | ||
{उस्ताद बिस्मिल्ला | { उस्ताद [[बिस्मिल्ला ख़ाँ]] किस वाद्ययंत्र को बजाते थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-बाँसुरी | - [[बाँसुरी]] | ||
-तबला | - [[तबला]] | ||
+शहनाई | + शहनाई | ||
-सरोद | - सरोद | ||
{अमजद अली ख़ान किस वाद्ययंत्र से सम्बद्ध हैं? | { अमजद अली ख़ान किस वाद्ययंत्र से सम्बद्ध हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-तबला | - तबला | ||
+सरोद | + सरोद | ||
-सितार | - [[सितार]] | ||
-वायलिन | - वायलिन | ||
{विलायत ख़ान किस वाद्ययंत्र से सम्बन्ध रखते हैं? | { विलायत ख़ान किस वाद्ययंत्र से सम्बन्ध रखते हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सरोद | - सरोद | ||
+सितार | + सितार | ||
-शहनाई | - शहनाई | ||
-वीणा | - वीणा | ||
{नीरू स्वामी पिल्लई सम्बन्धित हैं? | { नीरू स्वामी पिल्लई सम्बन्धित हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-वायलिन से | - वायलिन से | ||
-वीणा से | - वीणा से | ||
+नादस्वरम् से | + नादस्वरम् से | ||
-तबला से | - [[तबला]] से | ||
{एस0 बालचन्द्रन किस वाद्ययंत्र से सम्बन्धित हैं? | { एस0 बालचन्द्रन किस वाद्ययंत्र से सम्बन्धित हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सितार से | - [[सितार]] से | ||
-संतूर से | - संतूर से | ||
+वीणा से | + वीणा से | ||
-सारंगी से | - सारंगी से | ||
{हरि प्रसाद चौरसिया ने किस क्षेत्र में प्रसिद्धि अर्जित की है? | { हरि प्रसाद चौरसिया ने किस क्षेत्र में प्रसिद्धि अर्जित की है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-गिराट वादन | - गिराट वादन | ||
-पखावज वादन | - पखावज वादन | ||
+बाँसुरी वादन | + [[बाँसुरी]] वादन | ||
- | - मृदंग वादन | ||
||बाँसुरी की बजाने की तकनीक कलाएं समृद्ध ही नहीं, उस की किस्में भी विविधतापूर्ण हैं, जैसे मोटी लम्बी बांसुरी, पतली नाटी बांसुरी, सात छेदों वाली बांसुरी और ग्यारह छेदों वाली बांसुरी आदि देखने को मिलते हैं और उस की बजाने की शैली भी भिन्न रूपों में पायी जाती है। बाँसुरी, वंसी, वेणु, वंशिका आदि कई सुंदर नामो से सुसज्जित है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:-[[बाँसुरी]] | |||
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