प्रयोग:लक्ष्मी1: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 8: | Line 8: | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ [[संगीत]] में समान गति को क्या कहा जाता है? | {[[संगीत]] में समान गति को क्या कहा जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मात्रा | -मात्रा | ||
Line 37: | Line 37: | ||
-विभाग | -विभाग | ||
{ भातखण्डे संगीत पद्धति में सम को किस चिह्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है? | {भातखण्डे संगीत पद्धति में सम को किस चिह्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-+ | -+ | ||
Line 44: | Line 44: | ||
-1 | -1 | ||
{ 'ध्रुपद' एवं 'धमार' गायकों में किस प्रकार के आलाप की परम्परा है? | {'ध्रुपद' एवं 'धमार' गायकों में किस प्रकार के आलाप की परम्परा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+नोमतोम का आलाप | +नोमतोम का आलाप | ||
Line 51: | Line 51: | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
{ निम्नलिखित में से कौन-सा तान का रूप है? | {निम्नलिखित में से कौन-सा तान का रूप है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अलंकृत तान | -अलंकृत तान | ||
Line 58: | Line 58: | ||
+ये सभी | +ये सभी | ||
{ 'खटका' का दूसरा नाम क्या है? | {'खटका' का दूसरा नाम क्या है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मुर्की | -मुर्की | ||
Line 65: | Line 65: | ||
+जमजमा | +जमजमा | ||
{ 'मिजराब' द्वारा किस वाद्य यंत्र को बजाया जाता है? | {'मिजराब' द्वारा किस वाद्य यंत्र को बजाया जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[सितार]] | +[[सितार]] | ||
Line 73: | Line 73: | ||
||[[चित्र:Sitar.jpg|सितार|100px|right]]सितार के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं। अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार इसका निर्माण वीणा के एक प्रकार के आधार पर हुआ है। भारतीयता को महत्त्व देने वाले भारतीय विद्वान इस मत को सहज में ही मान लेते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[सितार]] | ||[[चित्र:Sitar.jpg|सितार|100px|right]]सितार के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं। अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार इसका निर्माण वीणा के एक प्रकार के आधार पर हुआ है। भारतीयता को महत्त्व देने वाले भारतीय विद्वान इस मत को सहज में ही मान लेते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[सितार]] | ||
{ ' | {'संगति' गाने-बजाने की नवीन पद्धति है, जिसकी शुरुआत की थी- | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने | -पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने | ||
Line 80: | Line 80: | ||
-पं. शारंगदेव ने | -पं. शारंगदेव ने | ||
{ निम्नलिखित में कौन [[कर्नाटक]] संगीत के संगीतज्ञ नहीं है? | {निम्नलिखित में कौन [[कर्नाटक]] संगीत के संगीतज्ञ नहीं है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-त्यागराज | -त्यागराज | ||
-रामदास | |||
-पुरन्दरदास | -पुरन्दरदास | ||
+साजन मिश्र | +साजन मिश्र | ||
{ [[राग|रागों]] में 'तान' किस लय में गाया जाता है? | {[[राग|रागों]] में 'तान' किस लय में गाया जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-विलम्बित | -विलम्बित | ||
Line 94: | Line 94: | ||
-सभी में | -सभी में | ||
{ [[कर्नाटक]] [[संगीत]] में 'सरगम' को क्या कहा जाता है? | {[[कर्नाटक]] [[संगीत]] में 'सरगम' को क्या कहा जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-वर्णम | -वर्णम | ||
Line 101: | Line 101: | ||
-मुखारी | -मुखारी | ||
{ तंत्र वादन में 'मींड' लेने की क्रिया को क्या कहा जाता है? | {तंत्र वादन में 'मींड' लेने की क्रिया को क्या कहा जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+सूत | +सूत | ||
Line 108: | Line 108: | ||
-कण | -कण | ||
{ हिंदुस्तानी शैली का विकास किसने किया था? | {हिंदुस्तानी शैली का विकास किसने किया था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[अमीर ख़ुसरो]] | +[[अमीर ख़ुसरो]] | ||
Line 137: | Line 137: | ||
-'ख्याल' [[फ़ारसी भाषा]] से लिया गया है। | -'ख्याल' [[फ़ारसी भाषा]] से लिया गया है। | ||
{ प्राचीन काल में ध्रुपद गाने वाले को क्या कहा जाता था? | {प्राचीन काल में ध्रुपद गाने वाले को क्या कहा जाता था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-गायक | -गायक | ||
Line 144: | Line 144: | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
{ 'विलम्बित ख़्याल' में प्रयोग न होने वाला ताल है? | {'विलम्बित ख़्याल' में प्रयोग न होने वाला ताल है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+रूपक | +रूपक | ||
Line 151: | Line 151: | ||
-झूमरा | -झूमरा | ||
{ 'धमार' गायक शैली में किस भाषा का मुख्यतः प्रयोग किया जाता है? | {'धमार' गायक शैली में किस भाषा का मुख्यतः प्रयोग किया जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[अवधी भाषा]] | -[[अवधी भाषा]] | ||
Line 159: | Line 159: | ||
||[[चित्र:Raskhan-2.jpg|रसखान के दोहे|100px|right]] ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]], [[अलीगढ़]] ज़िलों में बोली जाती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[ब्रज भाषा]] | ||[[चित्र:Raskhan-2.jpg|रसखान के दोहे|100px|right]] ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]], [[अलीगढ़]] ज़िलों में बोली जाती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[ब्रज भाषा]] | ||
{ 'धमार ताल' कितनी मात्रा का होता है? | {'धमार ताल' कितनी मात्रा का होता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-10मात्रा | -10मात्रा | ||
Line 166: | Line 166: | ||
-18 मात्रा | -18 मात्रा | ||
{ 'ठुमरी' गायन शैली में प्रयुक्त राग है? | {'ठुमरी' गायन शैली में प्रयुक्त राग है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-राग खमाज | -राग खमाज | ||
Line 173: | Line 173: | ||
+ये सभी | +ये सभी | ||
{ निम्नलिखित में से कौन ठुमरी गायक/गायिका नहीं है? | {निम्नलिखित में से कौन ठुमरी गायक/गायिका नहीं है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-बेगम अख्तर | -बेगम अख्तर | ||
Line 181: | Line 181: | ||
||[[चित्र:Birju-Maharaj-2.jpg|बिरजू महाराज|100px|right]] बिरजू महाराज का पूरा नाम बृज मोहन मिश्रा है। बिरजू महाराज [[नृत्य कला|भारतीय नृत्य]] की '[[कथक नृत्य|कथक]]' शैली के आचार्य और [[लखनऊ]] के कालका–बिंदादीन घराने के एक मुख्य प्रतिनिधि हैं। अपनी परिशुद्ध ताल और भावपूर्ण अभिनय के लिये प्रसिद्ध बिरजू महाराज ने एक ऐसी शैली विकसित की है, जो उनके दोनों चाचाओं और पिता से संबंधित तत्वों को सम्मिश्रित करती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[बिरजू महाराज]] | ||[[चित्र:Birju-Maharaj-2.jpg|बिरजू महाराज|100px|right]] बिरजू महाराज का पूरा नाम बृज मोहन मिश्रा है। बिरजू महाराज [[नृत्य कला|भारतीय नृत्य]] की '[[कथक नृत्य|कथक]]' शैली के आचार्य और [[लखनऊ]] के कालका–बिंदादीन घराने के एक मुख्य प्रतिनिधि हैं। अपनी परिशुद्ध ताल और भावपूर्ण अभिनय के लिये प्रसिद्ध बिरजू महाराज ने एक ऐसी शैली विकसित की है, जो उनके दोनों चाचाओं और पिता से संबंधित तत्वों को सम्मिश्रित करती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[बिरजू महाराज]] | ||
{ 'दादरा' गायन शैली में किस गायन शैली की छाया दृष्टिगोचर होती है? | {'दादरा' गायन शैली में किस गायन शैली की छाया दृष्टिगोचर होती है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-टप्पा | -टप्पा | ||
Line 188: | Line 188: | ||
-ख्याल | -ख्याल | ||
{ 'मार्गी संगीत' का अभिप्राय है? | {'मार्गी संगीत' का अभिप्राय है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+मोक्ष प्राप्त करने से | +मोक्ष प्राप्त करने से |