सुल्तानगंज: Difference between revisions

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*सुल्तानगंज एक ऐतिहासिक स्थान है जो [[भारत]] में [[बिहार]] राज्य के [[भागलपुर ज़िला|भागलपुर ज़िले]] में [[गंगा नदी]] तट पर स्थित है।
*सुल्तानगंज ऐतिहासिक स्थान जो [[भारत]] में [[बिहार]] राज्य के [[भागलपुर|भागलपुर ज़िले]] में [[गंगा नदी]] तट पर स्थित है।
*सुल्तानगंज एक प्राचीन [[बौद्ध धर्म]] का केन्द्र है।  
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*सुल्तानगंज में कई बौद्ध विहारों तथा एक [[स्तूप]] के अवशेष प्राप्त हुए हैं।  
*सुल्तानगंज में कई बौद्ध विहारों तथा एक [[स्तूप]] के अवशेष प्राप्त हुए हैं।  
*सुल्तानगंज में बाबा अजगबीनाथ का विश्वप्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है।
*सुल्तानगंज में बाबा अजगबीनाथ का विश्वप्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है।
*सुल्तानगंज से एक विशाल गुप्तकालीन बौद्ध प्रतिमा मिली है, जो वर्तमान में बर्मिघंम [[इंग्लैण्ड]] के संग्रहालय में सुरक्षित है। यह बुद्ध प्रतिमा दो टन से भी अधिक भारी तथा दो मीटर ऊँची है।  
*सुल्तानगंज से एक विशाल गुप्तकालीन बौद्ध प्रतिमा मिली है, जो वर्तमान में बर्मिघम [[इंग्लैण्ड]] के संग्रहालय में सुरक्षित है।  
*यह बुद्ध प्रतिमा दो टन से भी अधिक भारी तथा दो मीटर ऊँची है।  
*इस प्रतिमा में [[महात्मा बुद्ध]] के शीश पर कुंचित केश हैं, परंतु उसके चारों ओर प्रभामंडल नहीं है।  
*इस प्रतिमा में [[महात्मा बुद्ध]] के शीश पर कुंचित केश हैं, परंतु उसके चारों ओर प्रभामंडल नहीं है।  
*सुल्तानगंज में स्थित यह ताम्र प्रतिमा नालंदा शैली की प्रतीत होती है। राखाल दास बनर्जी इसे [[पाटलिपुत्र]] शैली की मानते हैं।
*सुल्तानगंज में स्थित यह ताम्र प्रतिमा नालंदा शैली की प्रतीत होती है।  
 
*राखाल दास बनर्जी इसे [[पाटलिपुत्र]] शैली की मानते हैं।  





Revision as of 11:40, 16 September 2011

  • सुल्तानगंज एक ऐतिहासिक स्थान है जो भारत में बिहार राज्य के भागलपुर ज़िले में गंगा नदी तट पर स्थित है।
  • सुल्तानगंज एक प्राचीन बौद्ध धर्म का केन्द्र है।
  • सुल्तानगंज में कई बौद्ध विहारों तथा एक स्तूप के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  • सुल्तानगंज में बाबा अजगबीनाथ का विश्वप्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है।
  • सुल्तानगंज से एक विशाल गुप्तकालीन बौद्ध प्रतिमा मिली है, जो वर्तमान में बर्मिघम इंग्लैण्ड के संग्रहालय में सुरक्षित है।
  • यह बुद्ध प्रतिमा दो टन से भी अधिक भारी तथा दो मीटर ऊँची है।
  • इस प्रतिमा में महात्मा बुद्ध के शीश पर कुंचित केश हैं, परंतु उसके चारों ओर प्रभामंडल नहीं है।
  • सुल्तानगंज में स्थित यह ताम्र प्रतिमा नालंदा शैली की प्रतीत होती है।
  • राखाल दास बनर्जी इसे पाटलिपुत्र शैली की मानते हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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