सोनारगाँव: Difference between revisions

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1204-05 ई. में गौड़ नरेश लक्ष्मणसेन ने, जिसकी राजधानी लखनौती थी, गोरी के एक सरदार इख्तियारुद्दीन-बिन-बख्तियार खलजी द्वारा अचानक आक्रमण किये जाने पर, लखनौती को छोड़कर सोनारगाँव को अपनी राजधानी बनाया था। सेनवंशीय शासको की यह 13 वीं शताब्दी तक राजधानी रहा।  
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पूर्व मध्यकाल में यह [[बंगाल]] के उत्पादनों का निर्यात केन्द्र था, जहाँ से सूती कपड़ा, [[लंका]], [[मक्का (अरब)|मक्का]], सुमात्रा आदि देशों को भेजा जाता था। मध्ययुग में सोनारगाँव से लेकर [[तक्षशिला]], सुमात्रा आदि देशों को भेजा जाता था। मध्ययुग में सोनारगाँव से लेकर तक्षशिला तक एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग था, जो गौड़, [[बनारस]], कड़ा-मनिकपुर, [[आगरा]], [[दिल्ली]], [[सरहिन्द]], [[लाहौर]], [[पेशावर]] होकर जाता था।  




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सोनारगाँव एक ऐतिहासिक स्थल जो बांग्लादेश में ढाका के निकट स्थित है।

इतिहास

1204-05 ई. में गौड़ नरेश लक्ष्मणसेन ने, जिसकी राजधानी लखनौती थी, गोरी के एक सरदार इख्तियारुद्दीन-बिन-बख्तियार खलजी द्वारा अचानक आक्रमण किये जाने पर, लखनौती को छोड़कर सोनारगाँव को अपनी राजधानी बनाया था। सेनवंशीय शासको की यह 13 वीं शताब्दी तक राजधानी रहा।

उत्पादन केन्द्र

पूर्व मध्यकाल में यह बंगाल के उत्पादनों का निर्यात केन्द्र था, जहाँ से सूती कपड़ा, लंका, मक्का, सुमात्रा आदि देशों को भेजा जाता था। मध्ययुग में सोनारगाँव से लेकर तक्षशिला, सुमात्रा आदि देशों को भेजा जाता था। मध्ययुग में सोनारगाँव से लेकर तक्षशिला तक एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग था, जो गौड़, बनारस, कड़ा-मनिकपुर, आगरा, दिल्ली, सरहिन्द, लाहौर, पेशावर होकर जाता था।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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