कलिंपोंग: Difference between revisions
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thumb|250px|गोल्फ़ कोर्स, कलिंपोंग कलिंपोंग पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले में स्थित है। शहर की भीड़भाड़ से दूर रह कर प्रकृति को उस के असली रूप में और बहुत नजदीक से देखना है तो कलिंपोंग से बेहतर और दूसरा स्थान हो ही नहीं सकता। 1,056 वर्ग किलोमीटर में फैले कलिंपोंग की नैसर्गिक ख़ूबसूरती देखते ही बनती है, क्योंकि इस समतल इलाके का बर्फीला एकांत ही इस का वरदान है। समुद्रतट से 1,250 मीटर की ऊँचाई पर स्थित कलिंपोंग की आय का मुख्य साधन पर्यटन, बागबानी व कृषि है।
यातायात और परिवाहन
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले के अंतर्गत आने वाले कलिंपोंग का निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा है जो यहाँ से 80 किलोमीटर तथा नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी 70 किलोमीटर की दूरी पर है। कलिंपोंग बस मार्ग द्वारा कोलकाता, दार्जिलिंग, गंगटोक और गुवाहाटी से जुड़ा है। यहाँ का बस स्टेशन सिलिगुड़ी 65 किलोमीटर दूर है जो राष्ट्रीय राजमार्ग पर है।
पर्यटन स्थल
डेलो, दुर्पीन, रेलीपाला, लोलेगाँव, कफेर, लाभा आदि पर्यटन स्थलों की हरीभरी वादियों को देख कर लगता है कि इन्हें प्रकृति ने फुरसत से तलाशा व तराशा है। thumb|250px|left|कलिंपोंग का एक दृश्य डेलो कलिंपोंग नगर से 5 किलोमीटर दुर्पीन 4 किलोमीटर, रेलीपाला 20 किलोमीटर की दूरी पर हैं। लोलेगाँव 20 किलोमीटर तथा कफेर 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भागदौड़ भरी जिंदगी के व्यस्त कार्यक्रमों से कुछ आरामदायक दिन गुजारने के लिए देशी-विदेशी सैलानी कलिंपोंग की प्राकृतिक छटा से भरपूर स्थलों की ओर रुख करते हैं। कफेर से दिखाई देने वाला सूर्योदय का मनोरम दृश्य यहाँ आने वाले सैलानियों की पहली पसंद है। हजारों विदेशी सैलानी सिर्फ सूर्योदय ही देखने के लिए ही यहाँ आते हैं।
हवाओं के मंद झोंकों के साथ अठखेलियाँ करने वाले टीक के ऊँचे-ऊँचे दरख्त, हर रुकावटों से जूझती हुई यहाँ बहने वाली पहाड़ी नदियाँ, सड़कों के दोनों किनारों पर रहोडोडैंड्रन डून, मैग्नोलिया, मैरीगोल्ड और और्किड के फूलों को देख कर लगता वादियों को कुदरत ने फूलों का हार पहना रखा है।
मात्र कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित कंचनजंघा का ख़ूबसूरत नजारा तो इन वादियों की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा देता है। बागबानी में विश्वविख्यात हालैंड का सानी रखने वाले कलिंपोंग का तापमान गरमी के मौसम में अधिकतम 27 डिग्री सैल्सियस तक रहता है। यहाँ के पर्यटक स्थालों पर ज्यादातर नेपाली व भूटिया लोग रहते हैं जिन की मेहमाननवाजी को देख कर कोई भी पर्यटक प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकता। पर्वत, शिखर व घाटी से सुसज्जित यहाँ के पर्यटन स्थलों की भौगोलिक बनावट दर्शनीय भी है तो दिलचस्प भी। जनसमुदाय में व्याप्त सादगी एवं अनेकता में एकता की भावना यहाँ हर तरफ देखने को मिलती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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