संविधान संशोधन- 77वाँ: Difference between revisions

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*अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखने का फैसला किया है।
*अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखने का फैसला किया है।
*इसके लिए यह आवश्यक था कि संविधान के अनुच्छेद 16 में एक नई धारा (4 ए) जोड़कर उसमें संशोधन किया जाए, ताकि अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नतियों में आरक्षण प्रदान किया जा सके।  
*इसके लिए यह आवश्यक था कि संविधान के अनुच्छेद 16 में एक नई धारा (4 ए) जोड़कर उसमें संशोधन किया जाए, ताकि अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नतियों में आरक्षण प्रदान किया जा सके।  
*यह कानून उपरोक्त उद्देश्य पूरा करने के लिए है।  
*यह क़ानून उपरोक्त उद्देश्य पूरा करने के लिए है।  





Revision as of 11:59, 10 September 2011

भारत का संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम,1995

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को 1955 से ही पदोन्नतियों में आरक्षण की सुविधा मिल रही है।
  • लेकिन इंदिरा साहनी और अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य के मुकदमे में 16 नवम्बर 1992 को उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में यह कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अंतर्गत नियुक्तियों अथवा पदों का आरक्षण केवल शुरू में की जाने वाली नियुक्ति पर लागू होता है तथा इसे पदोन्नतियों के मामले में आरक्षण पर लागू किया जा सकता है।
  • उच्चतम न्यायालय के इस फ़ैसले से अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
  • चूंकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों का राज्य की नौकरियों में प्रतिनिधित्व अभी उस स्तर तक नहीं पहूँचा है जिस स्तर पर होना चाहिए था, अत: अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने की वर्तमान छूट को जारी रखना आवशयक है।
  • अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने जारी रखना आवशयक है।
  • अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के प्रति सरकार की वचनबद्धता को देखते हुए सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखने का फैसला किया है।
  • इसके लिए यह आवश्यक था कि संविधान के अनुच्छेद 16 में एक नई धारा (4 ए) जोड़कर उसमें संशोधन किया जाए, ताकि अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नतियों में आरक्षण प्रदान किया जा सके।
  • यह क़ानून उपरोक्त उद्देश्य पूरा करने के लिए है।


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