काका हाथरसी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Adding category Category:काका हाथरसी (को हटा दिया गया हैं।))
No edit summary
Line 1: Line 1:
{| style="background:transparent; float:right; margin:5px;"
|-
|
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
|चित्र=Kaka-Hathrasi.jpg
|चित्र=Kaka-Hathrasi.jpg
Line 4: Line 7:
|पूरा नाम=प्रभुलाल गर्ग उर्फ़ काका हाथरसी
|पूरा नाम=प्रभुलाल गर्ग उर्फ़ काका हाथरसी
|अन्य नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म=18 सितंबर, 1906
|जन्म=[[18 सितंबर]], 1906
|जन्म भूमि=[[हाथरस]], [[उत्तर प्रदेश]]
|जन्म भूमि=[[हाथरस]], [[उत्तर प्रदेश]]
|मृत्यु=18 सितंबर, 1995
|मृत्यु=18 सितंबर, 1995
Line 31: Line 34:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
काका हाथरसी ([[अंग्रेज़ी]]:''Kaka Hathrasi'') (वास्तविक नाम:- प्रभुलाल गर्ग, जन्म- 18 सितंबर, 1906  [[हाथरस]] [[उत्तर प्रदेश]] - 18 सितंबर, 1995) हिंदी हास्य कवि थे। काका हाथरसी हिन्दी हास्य व्यंग कविताओं के पर्याय माने जाते है। वे आज हमारे बीच नही हैं, लेकिन उनकी हास्य कविताए जिन्हें वे फुलझडियाँ कहा करते थे, सदैव हमे गुदगुदाती रहेंगी।  
|-
| style="width:260px; float:right;"|
<div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:5px">
{|  align="center"
! काका हाथरसी की रचनाएँ
|}
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
{{काका हाथरसी की रचनाएँ}}
</div></div>
|}
काका हाथरसी ([[अंग्रेज़ी]]:''Kaka Hathrasi'') (वास्तविक नाम:- प्रभुलाल गर्ग, जन्म- [[18 सितंबर]], 1906  [[हाथरस]] [[उत्तर प्रदेश]] - 18 सितंबर, 1995) हिंदी हास्य कवि थे। काका हाथरसी हिन्दी हास्य व्यंग कविताओं के पर्याय माने जाते है। वे आज हमारे बीच नही हैं, लेकिन उनकी हास्य कविताए जिन्हें वे फुलझडियाँ कहा करते थे, सदैव हमे गुदगुदाती रहेंगी।  
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
[[पद्मश्री]] काका हाथरसी का जन्म बरफ़ी देवी और शिवलाल गर्ग के यहाँ [[हाथरस]] में हुआ था। जब वे मात्र 15 दिन के थे। [[प्लेग]] की महामारी ने उनके पिता को छीन लिया और परिवार के दुर्दिन आरम्भ हो गये। भयंकर ग़रीबी में भी काका ने अपना संघर्ष जारी रखते हुए छोटी-मोटी नौकरियों के साथ ही कविता रचना और संगीत शिक्षा का समंवय बनाये रखा। उन्होंने हास्य कविताओं के साथ-साथ [[संगीत]] पर पुस्तकें भी लिखीं और संगीत पर एक मासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया। 'काका के कारतूस' और 'काका की फुलझडियाँ' जैसे स्तम्भों के द्वारा अपने पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए वे अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों के प्रति भी सचेत रहते थे। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना 1933 में "गुलदस्ता" मासिक पत्रिका में उनके वास्तविक नाम से छपी थी।<ref>{{cite web |url=http://hindi-blog-list.blogspot.com/2011/09/18-september-kaka-hathrasi-anniversary.html |title=काका हाथरसी का जन्मदिन और पुण्यतिथि (18 सितम्बर) |accessmonthday=21 अक्टूबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग सूची |language=हिन्दी }}</ref>
[[पद्मश्री]] काका हाथरसी का जन्म बरफ़ी देवी और शिवलाल गर्ग के यहाँ [[हाथरस]] में हुआ था। जब वे मात्र 15 दिन के थे। [[प्लेग]] की महामारी ने उनके पिता को छीन लिया और परिवार के दुर्दिन आरम्भ हो गये। भयंकर ग़रीबी में भी काका ने अपना संघर्ष जारी रखते हुए छोटी-मोटी नौकरियों के साथ ही कविता रचना और संगीत शिक्षा का समंवय बनाये रखा। उन्होंने हास्य कविताओं के साथ-साथ [[संगीत]] पर पुस्तकें भी लिखीं और संगीत पर एक मासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया। 'काका के कारतूस' और 'काका की फुलझडियाँ' जैसे स्तम्भों के द्वारा अपने पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए वे अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों के प्रति भी सचेत रहते थे। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना 1933 में "गुलदस्ता" मासिक पत्रिका में उनके वास्तविक नाम से छपी थी।<ref>{{cite web |url=http://hindi-blog-list.blogspot.com/2011/09/18-september-kaka-hathrasi-anniversary.html |title=काका हाथरसी का जन्मदिन और पुण्यतिथि (18 सितम्बर) |accessmonthday=21 अक्टूबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग सूची |language=हिन्दी }}</ref>
Line 59: Line 72:
18 सितंबर, 1906 को जन्म लेने वाले काका हाथरसी का निधन भी 18 सितंबर को ही सन 1995 में हुआ।  
18 सितंबर, 1906 को जन्म लेने वाले काका हाथरसी का निधन भी 18 सितंबर को ही सन 1995 में हुआ।  


 
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

Revision as of 06:07, 3 November 2011

काका हाथरसी
पूरा नाम प्रभुलाल गर्ग उर्फ़ काका हाथरसी
जन्म 18 सितंबर, 1906
जन्म भूमि हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 18 सितंबर, 1995
कर्म-क्षेत्र हास्य कवि, लेखक
मुख्य रचनाएँ काका की फुलझड़ियाँ, काका के प्रहसन, लूटनीति मंथन करि, खिलखिलाहट आदि
भाषा हिन्दी
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी इनके नाम से चलाया गया काका हाथरसी पुरस्कार ट्रस्ट, हाथरस द्वारा प्रतिवर्ष एक सर्वश्रेष्ठ हास्य कवि को प्रदान किया जाता है।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
काका हाथरसी की रचनाएँ

काका हाथरसी (अंग्रेज़ी:Kaka Hathrasi) (वास्तविक नाम:- प्रभुलाल गर्ग, जन्म- 18 सितंबर, 1906 हाथरस उत्तर प्रदेश - 18 सितंबर, 1995) हिंदी हास्य कवि थे। काका हाथरसी हिन्दी हास्य व्यंग कविताओं के पर्याय माने जाते है। वे आज हमारे बीच नही हैं, लेकिन उनकी हास्य कविताए जिन्हें वे फुलझडियाँ कहा करते थे, सदैव हमे गुदगुदाती रहेंगी।

जीवन परिचय

पद्मश्री काका हाथरसी का जन्म बरफ़ी देवी और शिवलाल गर्ग के यहाँ हाथरस में हुआ था। जब वे मात्र 15 दिन के थे। प्लेग की महामारी ने उनके पिता को छीन लिया और परिवार के दुर्दिन आरम्भ हो गये। भयंकर ग़रीबी में भी काका ने अपना संघर्ष जारी रखते हुए छोटी-मोटी नौकरियों के साथ ही कविता रचना और संगीत शिक्षा का समंवय बनाये रखा। उन्होंने हास्य कविताओं के साथ-साथ संगीत पर पुस्तकें भी लिखीं और संगीत पर एक मासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया। 'काका के कारतूस' और 'काका की फुलझडियाँ' जैसे स्तम्भों के द्वारा अपने पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए वे अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों के प्रति भी सचेत रहते थे। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना 1933 में "गुलदस्ता" मासिक पत्रिका में उनके वास्तविक नाम से छपी थी।[1]

दिन अट्ठारह सितंबर, अग्रवाल परिवार। उन्नीस सौ छ: में लिया, काका ने अवतार।[2]

काका परिवार

काका के प्रपितामह गोकुल-महावन से आकर हाथरस में बस गए और यहाँ बर्तन-विक्रय का काम (व्यापार) किया। बर्तन के व्यापारी को उन दिनों कसेरे कहा जाता था। पितामह (बाबा) श्री सीताराम कसेरे ने अपने पिता के व्यवसाय को चालू रखा। उसके बाद बँटवारा होने पर बर्तन की दुकान परिवार की दूसरी शाखा पर चली गईं। परिणामत: इनके पिताजी को बर्तनों की एक दुकान पर मुनीमगीरी करनी पड़ी।[2]

आठ रुपए मासिक से पलता परिवार

काका का जन्म 1906 में ऐसे समय में हुआ जब प्लेग की भयंकर बीमारी ने हज़ारों घरों को उज़ाड़ दिया था। यह बीमारी देश के जिस भाग में फैलती, उसके गाँवों और शहरों को वीरान बनाती चली जाती थी। शहर से गाँवों और गाँवों से नगरों की ओर व्याकुलता से भागती हुई भीड़ हृदय को कंपित कर देती थी। कितने ही घर उजड़ गए, बच्चे अनाथ हो गए, महिलाएँ विधवा हो गईं। किसी-किसी घर में तो नन्हें-मुन्नों को पालने वाला तक न बचा। अभी काका केवल 15 दिन के ही शिशु थे, कि इनके पिताजी को प्लेग की बीमारी हो गयी। 20 वर्षीय माता बरफ़ी देवी, जिन्होंने अभी संसारी जीवन जानने-समझने का प्रयत्न ही किया था, इस वज्रपात से व्याकुल हो उठीं। मानों सारा विश्व उनके लिए सूना और अंधकारमय हो गया। उन दिनों घर में माताजी, बड़े भाई भजनलाल और एक बड़ी बहिन किरन देवी और काका कुल चार प्राणी साधन-विहीन रह गए।[2]

मुख्य रचनाएँ

काका हाथरसी की मुख्य कविता संग्रह इस प्रकार है-

  • काका की फुलझड़ियाँ
  • काका के प्रहसन
  • लूटनीति मंथन करि
  • खिलखिलाहट
  • काका तरंग
  • जय बोलो बेईमान की
  • यार सप्तक
  • काका के व्यंग्य बाण

योगदान

जीवन के संघर्षों के बीच हास्य की फुलझड़ियाँ जलाने वाले काका ने 1932 में हाथरस में संगीत की उन्नति के लिये गर्ग ऐंड कम्पनी की स्थापना की जिसका नाम बाद में संगीत कार्यालय हाथरस हुआ। भारतीय संगीत के सन्दर्भ में विभिन्न भाषा और लिपि में किये गये कार्यों को उन्होंने जतन से इकट्ठा करके प्रकाशित किया। उनकी लिखी पुस्तकें संगीत विद्यालयों में पाठ्य-पुस्तकों के रूप में प्रयुक्त हुईं। 1935 से संगीत कार्यालय ने मासिक पत्रिका "संगीत" का प्रकाशन भी आरम्भ किया जो कि अब तक अनवरत चल रहा है। उन्होंने हास्य कवियों के लिये काका हाथरसी पुरस्कार और संगीत के क्षेत्र में काका हाथरसी संगीत सम्मान भी आरम्भ किये। काका हाथरसी ने अपने जीवनकाल में हास्यरस को भरपूर जिया था वे और हास्यरस आपस में इतने घुलमिल गए हैं कि हास्यरस कहते ही उनका चित्र सामने आ जाता है। उन्होंने कवि सम्मेलनों, गोष्ठियों, रेडियो और टी. वी. के माध्यम से हास्य-कविता और साथ ही हिन्दी के प्रसार में अविस्मरणीय योग दिया है। उन्होंने साधारण जनता के लिए सीधी और सरल भाषा में ऐसी रचनाएँ लिखीं, जिन्होंने देश और विदेश में बसे हुए करोड़ों हिन्दी-प्रेमियों के हृदय को छुआ।

काका हाथरसी पुरस्कार

इनके नाम से चलाया गया काका हाथरसी पुरस्कार ट्रस्ट, हाथरस द्वारा प्रतिवर्ष एक सर्वश्रेष्ठ हास्य कवि को प्रदान किया जाता है। पुरस्कार के तहत शॉल, श्रीफल के साथ एक लाख रुपए नकद दिए जाते हैं। वर्ष 2008 के लिए यह पुरस्कार हास्य और व्यंग्य के क्षेत्र में विशिष्ट रचनात्मक योगदान के लिए उत्तरप्रदेश के गोवर्धन (गिरिराजधाम) में गत दिनों हुए समारोह के दौरान सुरेन्द्र दुबे को प्रदान किया गया। वे यह सम्मान पाने वाले 34 वें कवि बने।

निधन

18 सितंबर, 1906 को जन्म लेने वाले काका हाथरसी का निधन भी 18 सितंबर को ही सन 1995 में हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काका हाथरसी का जन्मदिन और पुण्यतिथि (18 सितम्बर) (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग सूची। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2011।
  2. 2.0 2.1 2.2 मेरा जीवन ए-वन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख