पद्मदुर्ग: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "काबिज" to "क़ाबिज़")
 
Line 4: Line 4:
*इसे विकसित [[कमल]] के आकार में बनाया गया है, जिसके 22 बुर्जों पर तोप रखने की व्यवस्था है, इसकी दीवारों पर [[पाषाण काल|पाषाण]] कलाकृतियाँ भी बनी हुई हैं।  
*इसे विकसित [[कमल]] के आकार में बनाया गया है, जिसके 22 बुर्जों पर तोप रखने की व्यवस्था है, इसकी दीवारों पर [[पाषाण काल|पाषाण]] कलाकृतियाँ भी बनी हुई हैं।  
*शिवाजी महाराज ने इसे काफ़ी मुश्किलों से निर्मित करवाया था, इसका मुख्य उद्देश्य था, समुंदर मार्ग से होने वाले आक्रमण से गड़ क़िले की रक्षा करना और जंजीरा क़िले पर कब्ज़ा करना।  
*शिवाजी महाराज ने इसे काफ़ी मुश्किलों से निर्मित करवाया था, इसका मुख्य उद्देश्य था, समुंदर मार्ग से होने वाले आक्रमण से गड़ क़िले की रक्षा करना और जंजीरा क़िले पर कब्ज़ा करना।  
*इस जलदुर्ग से एक उद्देश्य सफल रहा परंतु जंजीरा को काबिज़ करने में सफलता हासिल नहीं हो पाई।  
*इस जलदुर्ग से एक उद्देश्य सफल रहा परंतु जंजीरा को क़ाबिज़़ करने में सफलता हासिल नहीं हो पाई।  
   
   



Latest revision as of 13:59, 25 August 2012

पद्मदुर्ग, महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ ज़िले में स्थित है। इस क़िले का निर्माण 1663 ई. शिवाजी के उत्तराधिकारी और पुत्र सम्भाजी ने सिद्दिकियों के जंजीरा क़िले के जबाव के रुप में करवाया था।

  • दुर्ग का निर्माण एक कासा बेट पर किया गया है, जिसके किनारों पर प्राचीर बनी हुई है।
  • दुर्ग का द्वार अत्यंत सुरक्षित है। पत्थर और चूने-गारे से निर्मित यह दुर्ग 300 वर्षों से भी अधिक समय के बाद आज भी उसी अवस्था में है।
  • इसे विकसित कमल के आकार में बनाया गया है, जिसके 22 बुर्जों पर तोप रखने की व्यवस्था है, इसकी दीवारों पर पाषाण कलाकृतियाँ भी बनी हुई हैं।
  • शिवाजी महाराज ने इसे काफ़ी मुश्किलों से निर्मित करवाया था, इसका मुख्य उद्देश्य था, समुंदर मार्ग से होने वाले आक्रमण से गड़ क़िले की रक्षा करना और जंजीरा क़िले पर कब्ज़ा करना।
  • इस जलदुर्ग से एक उद्देश्य सफल रहा परंतु जंजीरा को क़ाबिज़़ करने में सफलता हासिल नहीं हो पाई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख