बूढ़ेश्वरनाथ मंदिर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "काफी " to "काफ़ी ")
Line 22: Line 22:
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]]
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]]
[[Category:हिन्दू मन्दिर]]
[[Category:हिन्दू मन्दिर]]
[[Category:हिन्दू धर्म]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:हिन्दू धर्म]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
[[Category:उत्तर प्रदेश के मन्दिर]]
[[Category:उत्तर प्रदेश के मन्दिर]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 12:15, 21 March 2014

बूढ़ेश्वरनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जनपद के लालगंज तहसील मुख्यालय से लगभग दस किलोमीटर दूर देउम ग्राम में स्थित है। यह पौराणिक स्थल घुश्मेश्वरनाथ मंदिर के समीप स्थित है। स्वयम्भू महादेव का यह मंदिर बूढ़ेनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। देऊम में बूढ़ेनाथ धाम मंदिर में स्थित बूढ़ेश्वर शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि यहां के शिवलिंग की स्थापना किसी व्यक्ति विशेष ने नहीं की, बल्कि उनका उद्भव स्वयं हुआ है।

निर्माण

संवत 2001 में आसपास गिरि परिवार ने बूढ़ेश्वर शिवलिंग के पास एक मंदिर का निर्माण जनसहयोग से प्रारंभ कर दिया। आज वहां एक मुख्य भव्य मंदिर और चार छोटे मंदिर स्थित हैं। यहां मलमास के पूरे माह और महाशिवरात्रि के दिन दूर-दूर तक के श्रद्धालु आते हैं और गंगाजल, बिल्व पत्र आदि से पूजन अर्चन करते हैं।

इतिहास

भारतीयों की धर्म के प्रति आस्था को देखकर यूं तो कई जगह अंग्रेज़ों ने इसकी थाह लेनी चाही पर वे कामयाब नहीं हुए, ऐसे ही देउम के बूढ़ेश्वर नाथधाम की थाह भी अंग्रेज नहीं ले पाए। चौबीस फीट की खुदाई के बाद जब बिच्छू, बर्र और अन्य विषैले जंतु निकलने लगे तो अंग्रेज अपनी जान बचाकर भाग खड़े हुए, बताते हैं कि सैकड़ों साल पहले अंग्रेज़ों ने यहां के लोगों की आस्था देखकर बाबा बूढ़े नाथ के शिवलिंग को यह देखना चाहा कि इसे किसी ने स्थापित किया है या वे स्वयं उद्भूत हुए हैं। अंग्रेजों के आदेश पर मजदूरों ने खुदाई शुरु की और कई दिन तक खोदने के बाद लगभग चौबीस फीट तक की गहराई तक पहुंच गए। जब वे लोग आगे बढ़ने लगे तो उसमें से विषैले बिच्छू, बर्र, हांड़ा आदि निकल कर मजदूरों पर टूट पड़े। इससे मजदूर अपनी जान बचाते हुए भाग निकले। इसके पहले भी हजारों भक्त प्रभु को सच्चे दिल से प्रार्थना, अरज कर मनवांछित फल प्राप्त करते थे और आज भी सर्व भक्तो की मनोकामना प्रभु पूर्ण करते हैं।

पौराणिक कथा

"उपलिंग रहत मुख्य लिंग साथा | भक्त वृन्द गांवइ शिव गाथा ||
बूढ़ेश्वर हैं देऊम् पासा | पूजेहु सेवत सेवक दासा || "[1]

घुश्मेश्वर भगवान इलापुर (अब कुम्भापुर) घुइसरनाथ धाम में प्रकट हुए थे और भगवान बूढ़ेश्वर जी देऊम धाम में स्वयं ही जन कल्याण के लिए प्रकट हुए थे। दोनों क़ी लड़ाई काफ़ी दिनों तक चलती रही, एक दिन ऐसा आया जब घुइसरना था। भगवान ने बूढ़े धाम के ऊपर वार किया और उनके शरीर का कुछ हिस्सा गायब हो गया और तब जाकर भगवान बूढ़ेश्वर माने कि भगवान घुश्मेश्वर जी ही बड़े हैं। आज भी बूढ़े धाम के मंदिर के शिवलिंग का उपरी हिस्सा टुटा हुआ है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. घुश्मेश्वर-ज्योतिर्लिंग,प्रतापगढ़

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख