खेचेओपलरी झील: Difference between revisions

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इस पवित्र जलाशय के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि यहाँ आने वाले पक्षी यह सुनिश्चित करते हैं कि [[झील]] के पानी पर कोई पत्‍ती नहीं गिरे। ऐसा क्‍यों होता है, इसके कारण आज तक नहीं पता चल सके। जैसे ही कोई पत्‍ती झील पर गिरती है, चिड़ियां उड़ कर आती हैं और पानी की सतह से पत्ती उठाकर पानी से दूर ले जाती हैं।
==त्योहार==
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==प्रसिद्धि==
==प्रसिद्धि==

Revision as of 13:52, 1 December 2014

खेचेओपलरी झील
विवरण 'खेचेओपलरी झील' सिक्किम स्थित एक ख़ूबसूरत झील है। यह सिक्किम के प्रसिद्ध पर्यटन तथा धार्मिक स्थलों में से एक है।
राज्य सिक्किम
मान्यता ऐसी मान्यता है कि इस झील में मनोकामनाओं को पूर्ण करने की शक्ति है।
विशेष पक्षी इस झील में पेड़ की पत्तियाँ नहीं गिरने देते, जैसे ही कोई पत्ती गिरती है, उसे चिड़िया चोंच में उठाकर ले जाती है।
अन्य जानकारी खेचेओपलरी झील बौद्ध धर्म के तीर्थ स्‍थलों की शृंखला के एक भाग को बनाती है, जिसमें ताशीदिंग मठ, डुबडी मठ, युकसोम, पेमायांगसे मठ, दबडेंसे और संगा चोएलिंग मठ शामिल हैं।


खेचेओपलरी झील (अंग्रेज़ी: Khecheopalri lake) सिक्किम में एक खूबसूरत झील है। इस झील को बौद्ध के साथ-साथ हिन्दू भी पवित्र जलाशय के रूप में मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस झील में मनोकामनाओं को पूर्ण करने की शक्ति है।

नामकरण

'खेचेओपलरी' दो शब्दों 'खचेओ' और 'पलरी' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ क्रमशः 'उड़ने वाले फरिश्ते या स्वर्गदूत' और 'महल' है। यह सुंदर झील 'खा-चोट-पलरी' नाम से भी जानी जाती है और यह खेचोएडपलडरी पहाड़ी से घिरी हुई है, जो पवित्र भी समझी जाती है।

किंवदंतियाँ

इस झील से जुड़ी हुई कुछ किंवदंतियाँ इस प्रकार हैं-

  1. माना जाता है कि गुरु पद्मसंभव ने इस प्राचीन झील में 64 योगिनी को शिक्षा दी थी।
  2. यह भी माना जाता है कि झील 'देवी तारा' की पदचिन्ह है। देवी तारा वज्रयान बौद्ध धर्म में महिला बुद्ध हैं। तदनुसार, झील ऊपर से एक पदचिन्ह की तरह दिखाई देती है।
  3. एक और रोचक कथा के अनुसार, माना जाता है कि यह विशेष झील छाती का प्रतिनिधित्‍व करती है। छाती मानव शरीर के चार स्‍नायुजाल में से एक है। ऐसा माना जाता है कि तीन अन्‍य जाल का प्रति‍निधित्‍व ताशीदिंग, युकसोम और पेमायांग से करती हैं।[1]

मठ शृंखला

खेचेओपलरी झील बौद्ध धर्म के तीर्थ स्‍थलों की शृंखला के एक भाग को बनाती है, जिसमें ताशीदिंग मठ, डुबडी मठ, युकसोम, पेमायांगसे मठ, दबडेंसे और संगा चोएलिंग मठ शामिल हैं।

दिलचस्प तथ्य

इस पवित्र जलाशय के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि यहाँ आने वाले पक्षी यह सुनिश्चित करते हैं कि झील के पानी पर कोई पत्‍ती नहीं गिरे। ऐसा क्‍यों होता है, इसके कारण आज तक नहीं पता चल सके। जैसे ही कोई पत्‍ती झील पर गिरती है, चिड़ियां उड़ कर आती हैं और पानी की सतह से पत्ती उठाकर पानी से दूर ले जाती हैं।

त्योहार

350px|thumb|खेचेओपलरी झील प्रत्येक वर्ष अप्रैल-मई के दौरान एक धार्मिक त्योहार 'माघे पुर्णें' यहाँ आकर्षण के साथ मनाया जाता है, जिसमें भारत ही नहीं बल्कि नेपाल और भूटान जैसे स्‍थानों से हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा एक और त्योहार, जिसे 'हम चो-शो' कहते हैं, अक्टूबर में इलायची वृक्षारोपण की फ़सल के लिये मनाया जाता है।

प्रसिद्धि

इस स्‍थान का धार्मिक जगह के रूप में प्रसिद्धि होने के साथ-साथ एक पर्यटन स्‍थल के रूप में भी महत्‍व है। इसलिये कुछ परिसरों में आवश्यक सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं। एक झील घाट मौजूद है, जहां पर खड़े होकर झील को सामने देख सकते हैं और प्रार्थना कर सकते हैं। इसके अलावा घाट के चारों ओर प्रार्थना पहिये और प्रार्थना झंडे लगे हैं, जो सिर्फ झील को सौंदर्य ही प्रदान नहीं करते, बल्कि इस जगह के पवित्र वातावरण को बढ़ाते भी हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 खेचेओपलरी झील (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 01 दिसम्बर, 2014।

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