एकोराम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "संन्यास" to "सन्न्यास")
m (Text replacement - "सन्न्यासी" to "संन्यासी")
 
Line 1: Line 1:
'''एकोराम''' वीरशैव मत के संस्थापकों के आचार्यों में से एक है। वीरशैव मत को लिंगायत वा जंगम भी कहते हैं।  
'''एकोराम''' वीरशैव मत के संस्थापकों के आचार्यों में से एक है। वीरशैव मत को लिंगायत वा जंगम भी कहते हैं।  
*वीरशैव मत संस्थापक के पाँच सन्न्यासी माने जाते हैं, जो [[शिव]] के पाँच सिरों से उत्पन्न दिव्य रूपधारी माने गये हैं। कहा जाता है कि पाँच सन्न्यासी अतिप्राचीन युग में प्रकट हुए थे, बाद में वसव ने उनके मत को पुर्नजीवित किया। किन्तु प्राचीन साहित्य के पर्यालोचन से पता चलता है कि ये लोग वसव के समकालीन अथवा कुछ आगे तथा कुछ पीछे के समय के हैं।  
*वीरशैव मत संस्थापक के पाँच संन्यासी माने जाते हैं, जो [[शिव]] के पाँच सिरों से उत्पन्न दिव्य रूपधारी माने गये हैं। कहा जाता है कि पाँच संन्यासी अतिप्राचीन युग में प्रकट हुए थे, बाद में वसव ने उनके मत को पुर्नजीवित किया। किन्तु प्राचीन साहित्य के पर्यालोचन से पता चलता है कि ये लोग वसव के समकालीन अथवा कुछ आगे तथा कुछ पीछे के समय के हैं।  
*वीरशैव मत संस्थापक के पाँचों महात्मा वीरशैव मत से सम्बन्ध रखने वाले मठों के महन्त थे। एकोराम भी उन्हीं में से एक थे और ये [[केदारनाथ]] ([[हिमालय]]) मठ के अध्यक्ष थे।<ref>पुस्तक 'हिन्दू धर्मकोश' पृष्ठ संख्या-144</ref>
*वीरशैव मत संस्थापक के पाँचों महात्मा वीरशैव मत से सम्बन्ध रखने वाले मठों के महन्त थे। एकोराम भी उन्हीं में से एक थे और ये [[केदारनाथ]] ([[हिमालय]]) मठ के अध्यक्ष थे।<ref>पुस्तक 'हिन्दू धर्मकोश' पृष्ठ संख्या-144</ref>



Latest revision as of 11:43, 3 August 2017

एकोराम वीरशैव मत के संस्थापकों के आचार्यों में से एक है। वीरशैव मत को लिंगायत वा जंगम भी कहते हैं।

  • वीरशैव मत संस्थापक के पाँच संन्यासी माने जाते हैं, जो शिव के पाँच सिरों से उत्पन्न दिव्य रूपधारी माने गये हैं। कहा जाता है कि पाँच संन्यासी अतिप्राचीन युग में प्रकट हुए थे, बाद में वसव ने उनके मत को पुर्नजीवित किया। किन्तु प्राचीन साहित्य के पर्यालोचन से पता चलता है कि ये लोग वसव के समकालीन अथवा कुछ आगे तथा कुछ पीछे के समय के हैं।
  • वीरशैव मत संस्थापक के पाँचों महात्मा वीरशैव मत से सम्बन्ध रखने वाले मठों के महन्त थे। एकोराम भी उन्हीं में से एक थे और ये केदारनाथ (हिमालय) मठ के अध्यक्ष थे।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक 'हिन्दू धर्मकोश' पृष्ठ संख्या-144

संबंधित लेख