योगी आदित्यनाथ: Difference between revisions

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हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगी आदित्यनाथ जी को 'विश्व हिन्दु महासंघ' जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आदित्यनाथ जी वर्ष [[1997]], [[2003]], [[2006]] में [[गोरखपुर]] में और [[2008]] में तुलसीपुर ([[बलरामपुर]]) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। राजनीति के मैदान में आते ही उन्होंने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली। उन्होंने '''हिन्दू युवा वाहिनी''' का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी।
हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगी आदित्यनाथ जी को 'विश्व हिन्दु महासंघ' जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आदित्यनाथ जी वर्ष [[1997]], [[2003]], [[2006]] में [[गोरखपुर]] में और [[2008]] में तुलसीपुर ([[बलरामपुर]]) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। राजनीति के मैदान में आते ही उन्होंने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली। उन्होंने '''हिन्दू युवा वाहिनी''' का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी।
==लेखन कार्य==
==लेखन कार्य==
योगी आदित्यनाथ की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का भी है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही आदित्यनाथ जी ने निम्न पुस्तकें लिखी हैं-
योगी आदित्यनाथ की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का भी है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में [[समाचार पत्र|समाचार पत्रों]] में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही आदित्यनाथ जी ने निम्न पुस्तकें लिखी हैं-
#‘यौगिक षटकर्म’
#‘यौगिक षटकर्म’
#‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’
#‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’

Revision as of 07:25, 19 March 2017

योगी आदित्यनाथ
पूरा नाम योगी आदित्यनाथ
अन्य नाम अजय सिंह नेगी (वास्तविक नाम)
जन्म 5 जून, 1972
जन्म भूमि गढ़वाल, उत्तराखण्ड
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री
भाषा हिन्दी
विशेष आदित्यनाथ जी की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का भी है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ वे समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार पत्रों में भेजते रहते हैं।
रचनाएँ 'यौगिक षटकर्म', 'हठयोग: स्वरूप एवं साधना', 'राजयोग: स्वरूप एवं साधना' तथा 'हिन्दू राष्ट्र नेपाल'।
अन्य जानकारी योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से लोकसभा चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया और वे 1999, 2004, 20092014 में सांसद चुने गए।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

योगी आदित्यनाथ (अंग्रेज़ी: Yogi Adityanath, जन्म- 5 जून, 1972, गढ़वाल, उत्तराखण्ड) उत्तर प्रदेश राज्य के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री हैं। उनका मूल नाम 'अजय सिंह नेगी' है। पूर्वांचल में गहरी पैठ रखने वाले योगी आदित्यनाथ अपनी हिन्दुत्व छवि के लिए विशेषतौर पर जाने जाते हैं। 'हिन्दू युवा वाहिनी' के संस्थापक आदित्यनाथ तमाम हिन्दू संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। दस वर्षों से अधिक समय से वे भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। योगी आदित्यनाथ 2014 के लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोक सभा सांसद चुने गए थे। वे 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आदित्यनाथ जी गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं।

परिचय

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून, 1972 को गढ़वाल, उत्तराखण्ड में हुआ था। उनका वास्तविक नाम अजय सिंह नेगी है। उन्होंने 22 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग दिया और संन्यास ग्रहण कर लिया। गोरखनाथ मंदिर के महन्त अवैद्यनाथ के पुत्र योगी आदित्यनाथ बारहवीं लोक सभा (1998-1999) के सबसे युवा सांसद थे। उस समय उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी। उन्होंने धर्मांतरण तथा गौ वध रोकने की दिशा में सार्थक कार्य किये हैं। वे गोरखपुर से लगातार पाँच बार से सांसद हैं। आदित्यनाथ जी का भारतीय जनता पार्टी के साथ रिश्ता एक दशक से भी पुराना है। वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ भी भारतीय जनता पार्टी से 1991 तथा 1996 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।

शिक्षा

योगी आदित्यनाथ ने टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में अपनी प्रारम्भिक शिक्षा शुरू की थी। स्कूल और कॉलेज के प्रमाणपत्र में उनका नाम अजय सिंह नेगी है। उन्होंने 1987 में टिहरी के गजा स्कूल से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1989 में उन्होंने ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद 1990 में अपनी स्नातक की शिक्षा ग्रहण करते हुए वे एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़ गये। 1992 में कोटद्वार के गढ़वाल विश्वविद्यालय से उन्होंने गणित में बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। योगी आदित्यनाथ वर्ष 1993 में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर रिसर्च करने गोरखपुर आए। यहाँ गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ की नज़र अजय सिंह नेगी (आदित्यनाथ) पर पड़ी। इसके बाद 1994 में सांसारिक मोहमाया त्यागकर वे पूर्ण संन्यासी बन गए और दीक्षा लेने के बाद उनका नाम अजय सिंह नेगी से योगी आदित्यानाथ हो गया।

हिन्दू पुनर्जागरण अभियान

योगी आदित्यनाथ ने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर, आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली वे निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार उनके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ। अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हज़ारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में उन्होंने सफलता प्राप्त की। उनके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णत: समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।[1]

राजनीतिक गतिविधियाँ

गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ जी ने जब 1998 में राजनीति से संन्यास लिया, तब उन्होंने योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई।[2] योगी आदित्यनाथ ने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्हें वर्ष 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया।[1]

संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण योगी आदित्यनाथ को केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया। व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी योगी आदित्यनाथ की प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आदित्यनाथ जी लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।

हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगी आदित्यनाथ जी को 'विश्व हिन्दु महासंघ' जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आदित्यनाथ जी वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। राजनीति के मैदान में आते ही उन्होंने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली। उन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी।

लेखन कार्य

योगी आदित्यनाथ की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का भी है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही आदित्यनाथ जी ने निम्न पुस्तकें लिखी हैं-

  1. ‘यौगिक षटकर्म’
  2. ‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’
  3. ‘राजयोग: स्वरूप एवं साधना’
  4. ‘हिन्दू राष्ट्र नेपाल’


श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक ‘योगवाणी’ के योगी आदित्यनाथ प्रधान सम्पादक हैं। वे ‘हिन्दवी’ साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक भी रहे हैं। उनका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है।

व्यक्तित्व आयाम

योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व के कई आयाम हैं। उनका जीवन एक योगी का जीवन है, सन्त का जीवन है। पीड़ित, गरीब, असहाय के प्रति करुणा, किसी के भी प्रति अन्याय एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध तनकर खड़ा हो जाने का निर्भीक मन, विचारधारा एवं सिद्धान्त के प्रति अटल, लाभ-हानि, मान-सम्मान की चिन्ता किये बगैर साहस के साथ किसी भी सीमा तक जाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा का प्रयास उनकी पहचान है।[1]

स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दिये जाने के गोरक्षपीठ द्वारा जारी अभियान को योगी आदित्यनाथ ने भी और सशक्त ढंग से आगे बढ़ाया है। उनके नेतृत्व में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा आज तीन दर्जन से भी अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएँ गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपद में कुष्ठ रोगियों एवं वनटांगियों के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा से लेकर बी.एड. एवं पॉलिटेक्निक जैसे रोज़गारपरक सस्ती एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने का भगीरथ प्रयास जारी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय ने अमीर-गरीब सभी के लिये एक समान उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी हैं। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों ने जनता के घर तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुचायी हैं।

सामाजिक समरसता के अग्रदूत

गोरक्षपीठ का मंत्र है- जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई। गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पद-चिह्नों पर चलते हुए योगी आदित्यनाथ ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से एक साथ बैठें-एक साथ खाएँं मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।

मानवता को समर्पित जीवन

वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्याग कर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग योगी आदित्यनाथ ने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है-

"न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।"

अर्थात् "हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 परम पूज्य महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज (हिंदी) yogiadityanath.in। अभिगमन तिथि: 19 मार्च, 2018।
  2. अजय सिंह के योगी आदित्यनाथ बनने की पूरी कहानी (हिंदी) news18.com। अभिगमन तिथि: 18 मार्च, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

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