महबूब स्टूडियो: Difference between revisions

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;मंच
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ऑफिस के ठीक पीछे मंच नंबर एक है। यह बेहद विशाल है। बायीं ओर मंच नंबर तीन है। मंच तीन के पीछे मंच चार है। स्टूडियो के इस सबसे छोटे मंच में ज़्यादातर विज्ञापन फ़िल्मों की शूटिंग होती है। उसके सामने मंच नंबर पांच एवं छह है तथा बगल में मंच नंबर दो है।  
ऑफिस के ठीक पीछे मंच नंबर एक है। यह बेहद विशाल है। बायीं ओर मंच नंबर तीन है। मंच तीन के पीछे मंच चार है। स्टूडियो के इस सबसे छोटे मंच में ज़्यादातर विज्ञापन फ़िल्मों की शूटिंग होती है। उसके सामने मंच नंबर पांच एवं छह है तथा बगल में मंच नंबर दो है।  
;रिकॉर्डिग स्टूडियो
;रिकॉर्डिंग स्टूडियो
दो नंबर मंच से सटी बिल्डिंग के दूसरे फ्लोर पर 'महबूब रिकॉर्डिग स्टूडियो' है। एक विशाल कक्ष एवं आमने-सामने छोटे-छोटे दो कमरे हैं। पुराने जमाने में विशाल कक्ष में लाइव ऑर्केस्ट्रा बजता था और एक छोटे कमरे में 'साउंड रिकॉर्डिग' तथा दूसरे में गायक गाते थे। [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] अपनी हर फ़िल्म का गाना यहीं रिकॉर्ड करते थे।
दो नंबर मंच से सटी बिल्डिंग के दूसरे फ्लोर पर 'महबूब रिकॉर्डिंग स्टूडियो' है। एक विशाल कक्ष एवं आमने-सामने छोटे-छोटे दो कमरे हैं। पुराने जमाने में विशाल कक्ष में लाइव ऑर्केस्ट्रा बजता था और एक छोटे कमरे में 'साउंड रिकॉर्डिंग' तथा दूसरे में गायक गाते थे। [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] अपनी हर फ़िल्म का गाना यहीं रिकॉर्ड करते थे।
;कैंटीन
;कैंटीन
भारतीय सिनेमा के इतिहास को अपने आगोश में समेटे हुए महबूब स्टूडियो की लोकप्रियता आज भी विद्यमान है। महबूब स्टूडियो के प्रांगण में छोटा सा हरा-भरा गार्डन है। गार्डन के दूसरी तरफ कैंटीन है। महबूब खान ने कैंटीन इसलिए बनवायी थी ताकि जूनियर कलाकारों और उनके कार्यकर्ताओं को चाय नाश्ते के लिए स्टूडियो से बाहर न जाना पड़े। कैंटीन के भीतर दीवार पर महबूब खान की बड़ी तस्वीर टंगी है। हट्टे-कट्टे चौड़ी छाती वाले महबूब खान लगता है कि अपनी विरासत पर गौरवान्वित हो रहे हैं!
भारतीय सिनेमा के इतिहास को अपने आगोश में समेटे हुए महबूब स्टूडियो की लोकप्रियता आज भी विद्यमान है। महबूब स्टूडियो के प्रांगण में छोटा सा हरा-भरा गार्डन है। गार्डन के दूसरी तरफ कैंटीन है। महबूब खान ने कैंटीन इसलिए बनवायी थी ताकि जूनियर कलाकारों और उनके कार्यकर्ताओं को चाय नाश्ते के लिए स्टूडियो से बाहर न जाना पड़े। कैंटीन के भीतर दीवार पर महबूब खान की बड़ी तस्वीर टंगी है। हट्टे-कट्टे चौड़ी छाती वाले महबूब खान लगता है कि अपनी विरासत पर गौरवान्वित हो रहे हैं!
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==महबूब स्टूडियो का इतिहास==
==महबूब स्टूडियो का इतिहास==
#महबूब खान ने [[1942]] में चार एकड़ ज़मीन ख़रीदी। [[1950]] में स्टूडियो का निर्माण कार्य शुरू हुआ और [[1954]] में स्टूडियो बनकर तैयार हुआ। स्टूडियो की ज़मीन एवं निर्माण की लागत बीस लाख रूपए से अधिक आयी थी।
#महबूब खान ने [[1942]] में चार एकड़ ज़मीन ख़रीदी। [[1950]] में स्टूडियो का निर्माण कार्य शुरू हुआ और [[1954]] में स्टूडियो बनकर तैयार हुआ। स्टूडियो की ज़मीन एवं निर्माण की लागत बीस लाख रूपए से अधिक आयी थी।
#स्टूडियो में पहले छह स्टेज थे। तीन विशाल एवं तीन छोटे, लेकिन [[1992]] में महबूब रिकॉर्डिग स्टूडियो को स्टेज में तब्दील करने के बाद कुल सात स्टेज हो गए।
#स्टूडियो में पहले छह स्टेज थे। तीन विशाल एवं तीन छोटे, लेकिन [[1992]] में महबूब रिकॉर्डिंग स्टूडियो को स्टेज में तब्दील करने के बाद कुल सात स्टेज हो गए।
#महबूब खान ने स्टूडियो का निर्माण 'होम प्रोडक्शन' की फ़िल्मों की शूटिंग के लिए किया था, लेकिन बाद में [[गुरुदत्त]], [[चेतन आनंद (निर्देशक)|चेतन आनंद]] आदि की मांग पर वे इसे किराए पर देने लगे।
#महबूब खान ने स्टूडियो का निर्माण 'होम प्रोडक्शन' की फ़िल्मों की शूटिंग के लिए किया था, लेकिन बाद में [[गुरुदत्त]], [[चेतन आनंद (निर्देशक)|चेतन आनंद]] आदि की मांग पर वे इसे किराए पर देने लगे।
#[[1964]] में [[महबूब खान]] के इंतक़ाल के बाद उनके बेटे अयूब ख़ान, इक़बाल ख़ान एवं शौकत ख़ान स्टूडियो को संभाल रहे हैं।
#[[1964]] में [[महबूब खान]] के इंतक़ाल के बाद उनके बेटे अयूब ख़ान, इक़बाल ख़ान एवं शौकत ख़ान स्टूडियो को संभाल रहे हैं।

Revision as of 14:02, 1 August 2017

महबूब स्टूडियो
विवरण 'महबूब स्टूडियो' बांद्रा, मुम्बई के हिल रोड पर स्थित है। महबूब ख़ान ने स्टूडियो का निर्माण होम प्रोडक्शन की फ़िल्मों की शूटिंग के लिए किया था।
उद्योग मनोरंजन
स्थापना 1954
संस्थापक महबूब ख़ान
मुख्यालय बांद्रा, मुम्बई, महाराष्ट्र
सेवाएँ फ़िल्म स्टूडियो, रिकॉर्डिंग स्टूडियो
प्रमुख फ़िल्में 'हम दोनों', 'गाइड', 'आर्मपाली', 'जॉनी मेरा नाम', 'हाउसफुल 2', 'दबंग 2', 'चेन्नई एक्सप्रेस' आदि।
अन्य जानकारी इस स्टूडियो में पहले छह स्टेज थे, लेकिन 1992 में महबूब रिकॉर्डिंग स्टूडियो को स्टेज में तब्दील करने के बाद कुल सात स्टेज हो गए।

महबूब स्टूडियो (अंग्रेज़ी: Mehboob Studio) मुंबई में बांद्रा (वेस्ट) के हिल रोड पर स्थित है। शाम के टी-ब्रेक की घोषणा होती है और स्टेज तीन के सामने हलचल मच जाती है। छोटा सा प्रांगण टेक्नीशियनों एवं जूनियर आर्टिस्ट से भर जाता है। महबूब स्टूडियो में यह रोज़ का नज़ारा है। निर्माण के 55 साल बाद भी इस स्टूडियो की लोकप्रियता और मांग फ़िल्मकारों के बीच किसी नए स्टूडियो के समान बनी हुई है। महबूब स्टूडियो की इमारतें अब पुरानी दिखने लगी हैं। दीवारों के रंग धूमिल हो चुके हैं। सिर्फ महबूब स्टूडियो के ऑफिस के बगल वाली बिल्डिंग थोड़ी चमकती है। इसी बिल्डिंग में महबूब खान के स्वर्गीय बड़े बेटे अयूब खान का परिवार एवं मंझले बेटे इक़बाल ख़ान रहते हैं। प्रांगण के मध्य में स्थित ऑफिस की भीतरी दीवारों पर महबूब खान की मदर इंडिया, आन, अंदाज, अमर आदि फ़िल्मों की टंगी तस्वीरें महबूब स्टूडियो के शानदार इतिहास को बयां करती हैं।

स्टूडियो

ऑफिस की दोमंजिला इमारत में प्रॉपर्टी रूम, मेकअप रूम, कारपेंटर रूम हैं। जानकार बताते हैं कि इसी इमारत के मेकअप रूम में दिलीप कुमार और मधुबाला का प्रेम परवान चढ़ा था। महबूब खान की उन दोनों पर कड़ी नजर रहती थी इसलिए वे मुश्किल से यहां छुपकर बैठ पाते थे। इसी इमारत के दूसरे तल पर ए सी लगे एक कमरे में महबूब खान की फ़िल्मों के निगेटिव, रील, पोस्टर आदि सुरक्षित रखे हैं।

मंच

ऑफिस के ठीक पीछे मंच नंबर एक है। यह बेहद विशाल है। बायीं ओर मंच नंबर तीन है। मंच तीन के पीछे मंच चार है। स्टूडियो के इस सबसे छोटे मंच में ज़्यादातर विज्ञापन फ़िल्मों की शूटिंग होती है। उसके सामने मंच नंबर पांच एवं छह है तथा बगल में मंच नंबर दो है।

रिकॉर्डिंग स्टूडियो

दो नंबर मंच से सटी बिल्डिंग के दूसरे फ्लोर पर 'महबूब रिकॉर्डिंग स्टूडियो' है। एक विशाल कक्ष एवं आमने-सामने छोटे-छोटे दो कमरे हैं। पुराने जमाने में विशाल कक्ष में लाइव ऑर्केस्ट्रा बजता था और एक छोटे कमरे में 'साउंड रिकॉर्डिंग' तथा दूसरे में गायक गाते थे। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल अपनी हर फ़िल्म का गाना यहीं रिकॉर्ड करते थे।

कैंटीन

भारतीय सिनेमा के इतिहास को अपने आगोश में समेटे हुए महबूब स्टूडियो की लोकप्रियता आज भी विद्यमान है। महबूब स्टूडियो के प्रांगण में छोटा सा हरा-भरा गार्डन है। गार्डन के दूसरी तरफ कैंटीन है। महबूब खान ने कैंटीन इसलिए बनवायी थी ताकि जूनियर कलाकारों और उनके कार्यकर्ताओं को चाय नाश्ते के लिए स्टूडियो से बाहर न जाना पड़े। कैंटीन के भीतर दीवार पर महबूब खान की बड़ी तस्वीर टंगी है। हट्टे-कट्टे चौड़ी छाती वाले महबूब खान लगता है कि अपनी विरासत पर गौरवान्वित हो रहे हैं!

लोकप्रियता का कारण

  1. स्टूडियो बांद्रा के हिल रोड पर है। बांद्रा एवं अंधेरी में अधिकतर फ़िल्म स्टार रहते हैं। उन्हें स्टूडियो पहुंचने में ज़्यादा समय नहीं लगता।
  2. स्टूडियो के बाहर बड़ा बाज़ार है। शूटिंग के दौरान यदि प्रोडक्शन से जुड़ी किसी चीज़ की जरूरत पड़ती है तो कहीं दूर नहीं जाना पड़ता।
  3. स्टूडियो में फ़िल्म स्टार, निर्माता, निर्देशक एवं यूनिट के लोगों की गाड़ी खड़ी होने की क्षमता वाला बड़ा पार्किंग स्पेस है।
  4. स्टूडियो में शूटिंग के सभी उपकरण उपलब्ध हैं। अन्य स्टूडियो की तुलना में महबूब स्टूडियो में शूटिंग सही क़ीमत पर होती है।

महबूब स्टूडियो का इतिहास

  1. महबूब खान ने 1942 में चार एकड़ ज़मीन ख़रीदी। 1950 में स्टूडियो का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1954 में स्टूडियो बनकर तैयार हुआ। स्टूडियो की ज़मीन एवं निर्माण की लागत बीस लाख रूपए से अधिक आयी थी।
  2. स्टूडियो में पहले छह स्टेज थे। तीन विशाल एवं तीन छोटे, लेकिन 1992 में महबूब रिकॉर्डिंग स्टूडियो को स्टेज में तब्दील करने के बाद कुल सात स्टेज हो गए।
  3. महबूब खान ने स्टूडियो का निर्माण 'होम प्रोडक्शन' की फ़िल्मों की शूटिंग के लिए किया था, लेकिन बाद में गुरुदत्त, चेतन आनंद आदि की मांग पर वे इसे किराए पर देने लगे।
  4. 1964 में महबूब खान के इंतक़ाल के बाद उनके बेटे अयूब ख़ान, इक़बाल ख़ान एवं शौकत ख़ान स्टूडियो को संभाल रहे हैं।
  5. महबूब स्टूडियो में अब तक साढ़े तीन सौ से अधिक देसी-विदेशी फ़िल्मों की शूटिंग हो चुकी है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महबूब स्टूडियो (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 31 मई, 2011।

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