मंगलयान का कालक्रम: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:17, 15 July 2017
मंगलयान विषय सूची
मंगलयान का कालक्रम
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विवरण | 'मंगलयान' अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की महत्त्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना है। इस परियोजना में मंगल ग्रह की परिक्रमा के लिये एक उपग्रह छोड़ा गया, जो 24 सितंबर, 2014 को ग्रह पर पहुँच गया। |
मिशन प्रकार | मंगल कक्षीयान |
संचालक | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) |
कोस्पर आईडी | 2013-060A |
सैटकैट संख्या | 39370 |
निर्माता | इसरो उपग्रह केन्द्र |
प्रक्षेपण तिथि | 5 नवंबर, 2013 |
रॉकेट | ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 |
प्रक्षेपण स्थल | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
अन्य जानकारी | मंगलयान के जरिए भारत मंगल ग्रह पर जीवन के सूत्र तलाशने के साथ ही वहाँ के पर्यावरण की भी जाँच करना चाहता है। यह भी पता लगाया जायेगा कि लाल ग्रह पर मीथेन गैस मौजूद है या नहीं। |
अद्यतन | 13:45, 14 जुलाई 2017 (IST)
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भारत के मंगलयान का सफर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों के लिए उत्साह और चुनौतियों से भरा रहा। मिशन की शुरुआत हुई 5 नवंबर, 2013 को; जब श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट ने उड़ान भरी और 44 मिनट बाद रॉकेट से अलग होकर उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में आ गया। यह घटनाक्रम कुछ इस प्रकार रहा[1]-
- 7 नवंबर, 2013 को मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की पहली कोशिश सफल रही।
- 8 नवंबर, 2013 को मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की दूसरी कोशिश भी सफल रही।
- 9 नवंबर, 2013 को मंगलयान की एक और कक्षा सफलतापूर्वक बढ़ाई गई।
- 11 नवंबर, 2013 को यान की कक्षा बढ़ाने की चौथी सफल कोशिश हुई।
- 12 नवंबर, 2013 के दिन मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की पांचवीं कोशिश सफल रही।
- 16 नवंबर, 2013 को मंगलयान की आखिरी बार कक्षा बढ़ाई गई।
- 1 दिसंबर, 2013 को यान ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा छोड़ दी और मंगल ग्रह की तरफ़ बढ़ चला।
- 4 दिसंबर, 2013 को मंगलयान पृथ्वी के 9.25 लाख किलोमीटर घेरे के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकल गया।
- 11 दिसंबर, 2013 को अंतरिक्ष यान में पहले सुधार किए गए।
- 11 जून, 2014 को यान में दूसरे सुधार तथा संशोधन प्रक्रिया संपन्न की गई।
- 14 सितंबर, 2014 को अंतिम चरण के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश अपलोड किये गए।
- 22 सितंबर, 2014 को यान ने मंगल के गुरुत्वीय क्षेत्र में प्रवेश किया। लगभग 300 दिन की संपूर्ण यात्रा के दौरान सुषुप्ति में पड़े रहने के बाद मंगलयान के मुख्य इंजन 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर को 4 सेकंडस तक चलाकर अंतिम परीक्षण एवं अंतिम पथ संशोधन का कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
- 24 सितंबर, 2014 को सुबह 7 बजकर 17 मिनट पर 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) यान को मंगल की कक्षा में प्रवेश कराने वाले थ्रस्टर्स के साथ सक्रिय की गई, जिससे यान की गति को 22.1 कि.मी. प्रति सेकंड से घटा कर 4.4 कि.मी. प्रति सेकंड करके मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रविष्ट कराया गया। यह कार्य संपन्न होते ही सभी वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे। इस क्षण का सीधा प्रसारण दूरदर्शन द्वारा राष्ट्रीय टेलीविज़न पर किया गया तथा भारत के इस गौरवमयी क्षण को देखने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं वहाँ उपस्थित रहे। जिस समय यान मंगल की कक्षा में प्रविष्ट हुआ, उस समय पृथ्वी तक इसके संकेतों को पहुंचने में लगभग 12 मिनट 28 सेकंड का समय लगा। ये संकेत नासा के कैनबरा और गोल्डस्टोन स्थित डीप स्पेस नेटवर्क स्टेशनों ने ग्रहण किए और आंकड़े रीयल टाइम पर यहां इसरो स्टेशन भेजे गए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मंगलयान: कब क्या हुआ (हिंदी) dw.com। अभिगमन तिथि: 14 जुलाई, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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